India’s Blue Revolution: Energizing through Blue Economy 2.0; भारत की नीली क्रांति: ब्लू इकोनॉमी 2.0 से ऊर्जा का संचार:

हिमालय की ऊंचाइयों से लेकर हजारों किलोमीटर लंबे सुनहरे समुद्रतटों तक फैला भारत सदियों से अपनी विविधता और संसाधनों के लिए जाना जाता है। आज, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच आर्थिक वृद्धि और स्थायी विकास का द्वंद्व एक वास्तविकता है। ऐसी परिस्थिति में, हमारी निगाहें समुद्र की ओर जा रही हैं, जो अनंत संभावनाओं का खजाना है। “ब्लू इकोनॉमी 2.0” योजना इसी खजाने को खोलने की एक महत्वाकांक्षी पहल है।

ब्लू इकोनॉमी – एक अवधारणा का उदय:

ब्लू इकोनॉमी का सार समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग करके आर्थिक वृद्धि, बेहतर आजीविका और रोजगार सृजन करना है। पारंपरिक मछली पालन से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा और समुद्री खनन तक, यह अवधारणा समुद्र के संसाधनों को संरक्षित करते हुए उनका विविध उपयोग करती है। भारत, अपनी 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा और विशाल अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के साथ, ब्लू इकोनॉमी में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की क्षमता रखता है।

भारत की ब्लू इकोनॉमी का मूल्य लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर अनुमानित है।

ब्लू इकोनॉमी 2.0 – समुद्र से समृद्धि का रास्ता:

2024-25 के अंतरिम बजट में घोषित ब्लू इकोनॉमी 2.0 योजना मौजूदा पहलों को अगले स्तर पर ले जाने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है। यह योजना जलवायु-लचीली गतिविधियों को बढ़ावा देती है, जिसमें तटीय जलीय कृषि और समुद्री कृषि पर विशेष ध्यान दिया जाता है। एकीकृत और बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाने से यह योजना इन क्षेत्रों में तेजी लाने का लक्ष्य रखती है।

योजना के प्रमुख बिंदु:

  • नवीनीकरण और अनुकूलन – समुद्री तटों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए पुनर्स्थापना और अनुकूलन प्रयासों पर जोर दिया जाएगा।
  • एकीकृत एक्वा पार्क – तटीय क्षेत्रों में पांच एकीकृत एक्वा पार्क स्थापित किए जाएंगे, जहाँ जलीय कृषि, मत्स्य प्रसंस्करण और विपणन को एकीकृत रूप से विकसित किया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) का विस्तार – निर्यात को दोगुना करके 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने और 55 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए PMMSY का विस्तार किया जाएगा।
  • बंदरगाह विकास और समुद्री बुनियादी ढाँचा – समुद्री बुनियादी ढाँचे को मजबूत बनाने और बंदरगाहों के आधुनिकीकरण पर ध्यान दिया जाएगा।
  • नौवहन और तटीय पर्यटन को बढ़ावा – तटीय पर्यटन को बढ़ावा देने और नौवहन क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
  • समुद्री कौशल विकास – ब्लू इकोनॉमी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ाया जाएगा।

योजना की महत्त्वपूर्णता:

ब्लू इकोनॉमी 2.0 योजना भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह कई क्षेत्रों में लाभ पहुँचाएगी, जिनमें शामिल हैं:

  • बेहतर आजीविका: मछुआरों, किसानों और समुद्री क्षेत्र में काम करने वाले अन्य लोगों की आजीविका में सुधार होगा। एक्वा पार्क मछली पालन, प्रसंस्करण और विपणन के लिए बेहतर बुनियादी ढाँचा और सुविधाएँ प्रदान करेंगे।
  • नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास: ब्लू इकोनॉमी 2.0 नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देगी। डीप सी मिशन जैसे कार्यक्रम समुद्री खनिजों के दोहन और महासागरों के अन्वेषण में भारत को अग्रणी बना सकते हैं।
  • स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन शमन: समुद्री ऊर्जा स्रोतों जैसे अपतटीय पवन और ज्वारीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देकर यह योजना स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ा सकती है और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम कर सकती है।
  • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण: योजना में सतत विकास पर जोर दिया गया है, जिसका अर्थ है कि समुद्री संसाधनों का दोहन पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना किया जाएगा। समुद्री प्रदूषण को कम करने और मछली आवासों के संरक्षण के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।
  • आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन: इस योजना से समुद्री क्षेत्र में निवेश बढ़ने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक वृद्धि और लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

चुनौतियाँ और समाधान:

ब्लू इकोनॉमी 2.0 योजना को सफल बनाने के लिए कुछ चुनौतियों का समाधान करना होगा। इनमें शामिल हैं:

  • अवसंरचना की कमी: तटीय क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे की कमी, जैसे बंदरगाहों और परिवहन नेटवर्क, एक बाधा हो सकती है।
  • निवेश की कमी: इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधारों और प्रोत्साहनों की आवश्यकता है।
  • कौशल की कमी: समुद्री क्षेत्र में कुशल कर्मचारियों की कमी है। कौशल विकास कार्यक्रमों को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
  • समुद्री सुरक्षा: समुद्री डकैती और अवैध मछली पकड़ जैसी सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना होगा।
  • जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण मानवीय गतिविधियों के दुष्परिणाम हैं। इन दुष्प्रभावों से महासागर भी नहीं बच सका है।

इन चुनौतियों से पार पाने के लिए सरकार को निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करनी होगी और समुदायों को शामिल करना होगा। साथ ही, नवाचार और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देकर और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर भारत ब्लू इकोनॉमी में एक वैश्विक नेता बन सकता है।

निष्कर्ष:

ब्लू इकोनॉमी 2.0 योजना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह न केवल आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग करके भारत एक समृद्ध और टिकाऊ भविष्य का निर्माण कर सकता है। यह योजना समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए आर्थिक विकास को संतुलित करने का एक प्रयास है। इस योजना की सफलता देश के सामाजिक-आर्थिक विकास और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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