नागपुर ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाई है। शहर ने भारत का पहला ‘शहर-विशिष्ट जीरो कार्बन बिल्डिंग एक्शन प्लान’ (ZCBAP) लॉन्च किया है। यह अभिनव योजना 2050 तक नागपुर में सभी इमारतों को नेट ज़ीरो कार्बन इमारतों में बदलने की परिकल्पना करती है। आइए, इस महत्वपूर्ण पहल के पहलुओं पर एक व्यापक नजर डालते हैं।
जीरो कार्बन बिल्डिंग (ZCB) क्या है?
जीरो कार्बन बिल्डिंग्स, पारंपरिक भवनों से अलग, अपने निर्माण से लेकर रखरखाव और सम्पूर्ण जीवन-चक्र में पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालते हुए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को महत्वपूर्ण मात्रा में कम करते हैं। ये इमारतें कई तरीकों से कार्बन पदचिन्ह (carbon footprint) को कम करने पर काम करती हैं। ज़ीरो कार्बन के लक्ष्य को प्राप्त करते हुए ग्रीन बिल्डिंग निवासियों या उपयोगकर्ताओं के लिए आराम और सुविधा के साथ समझौता नहीं करती।
- ऊर्जा कुशल प्रणालियाँ: अधिक ऊर्जा दक्ष प्रकाश व्यवस्था, ऊष्मीय निष्पादन (Thermal performance) को बेहतर करने वाली सामग्री, स्वचालित जलवायु नियंत्रण।
- नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग: सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों या अन्य हरित ऊर्जा स्रोतों का एकीकरण।
- टिकाऊ निर्माण सामग्री: कम कार्बन उत्सर्जन वाली निर्माण प्रक्रियाओं से प्राप्त सामग्री।
- पानी का बेहतर प्रबंधन: वर्षा जल संचयन और अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण जैसी प्रणालियाँ।
उद्देश्यों के अतिरिक्त लाभ: ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग परियोजनाएं न केवल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करती हैं बल्कि इनके साथ कई सह-लाभ (co-benefits) भी जुड़े हैं:
- विजुअल और थर्मल कम्फर्ट में सुधार: इमारत के भीतर सही तापमान और प्राकृतिक प्रकाश की उचित व्यवस्था कर्मचारियों और रहने वालों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है।
- हवा की गुणवत्ता में सुधार: ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग के डिज़ाइन में वेंटिलेशन के माध्यम से हवा के उचित आदान-प्रदान पर ध्यान दिया जाता है।
नागपुर का ZCBAP:
नागपुर का महत्वाकांक्षी ZCBAP ‘जीरो कार्बन बिल्डिंग एक्सेलेरेटर’ (ZCBA) प्रोजेक्ट से संरेखित (align) है। इस पहल को वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI) ने अपने वैश्विक भागीदारों के साथ 2021 में शुरू किया था। नागपुर इस परियोजना में भाग लेने वाले छह वैश्विक शहरों में से एक है, अन्य शहरों में केन्या, कोस्टा रिका, तुर्की और कोलंबिया के शहर शामिल हैं।
ZCBAP की आवश्यकता:
भारत में तेजी से होते शहरीकरण और इमारतों के विस्तार को देखते हुए ZCBAP जैसे कदमों की अत्यंत आवश्यकता है। कुछ आंकड़े वर्तमान स्थिति को समझने में मदद करते हैं:
- 2000 से 2017 के बीच भारत के ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में भवनों से निकलने वाले उत्सर्जन की मात्रा दोगुनी हो गई है।
- अनुमान है कि भारत के इस्पात और सीमेंट उद्योगों से GHG उत्सर्जन अगले 20-30 वर्षों में क्रमशः लगभग तीन गुना और छह गुना बढ़ जाएगा।
- पारंपरिक ईंट भट्टे भी कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), और अन्य कण उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं।
राष्ट्रीय नीतियों के साथ संयोजन
नागपुर का ZCBAP मौजूदा राष्ट्रीय नीतिगत निर्देशों और डीकार्बोनाइजेशन (विकार्बनीकरण) की दिशा में भारत के प्रयासों के अनुरूप है। इनमें शामिल हैं:
- भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions)
- भारत की दीर्घकालिक निम्न-कार्बन विकास रणनीति
- ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता, 2017
- ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग सिस्टम जैसे:
- इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC)
- ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट (GRIHA)
- इको-निवास संहिता 2018
ZCBAP के अपेक्षित लाभ
नागपुर के लिए ZCBAP के कई दीर्घकालिक लाभ परिलक्षित होते हैं:
- ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा: इससे भारी मात्रा में बिजली की बचत एवं कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण में कमी संभव होगी।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: यह शहर को जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों में सहायक होगा और अन्तराष्ट्रीय मंच पर भारत के नेतृत्व की स्थिति को भी मजबूत करेगा।
- हवा की गुणवत्ता में सुधार: ज़ीरो कार्बन बिल्डिंग रणनीतियों से निर्माण तथा रखरखाव में होने वाले वायु प्रदूषण को सीमित किया जा सकता है।
- रोजगार के नए अवसर: स्वच्छ ऊर्जा और हरित निर्माण क्षेत्रों में कुशल नौकरियों का बाजार खुलने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष
नागपुर का ZCBAP भारत में टिकाऊ शहरी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक और स्वागत योग्य कदम है। यह अन्य शहरों को भी कम कार्बन वाली और पर्यावरण के अनुकूल इमारतों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा, और भारत को जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सहयोग प्रदान करेगा। ZCBAP की सफलता भारत के शहरों को स्वच्छ और हरित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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