भारत की आर्थिक गाड़ी एक बार फिर तेज रफ्तार पकड़ती दिख रही है। कई प्रतिष्ठित संस्थानों के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2023-24 में देश की जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट) 7.3% की मजबूत दर से बढ़ने की उम्मीद है। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि आर्थिक प्रगति का गीत है, जिसमें हर क्षेत्र की धुन मिलकर एक सुरीली ताल बना रहा है। आइए देखें कि कैसे भारत तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है और इसके वर्तमान संदर्भ में क्या प्रासंगिकता है।
अनुमान
- सरकार का अनुमान: वित्त मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि 2023-24 में देश की जीडीपी 296.58 लाख करोड़ रुपये (3,570 अरब डॉलर) तक पहुंच सकती है, जो 7.3% की वृद्धि दर्शाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF): आईएमएफ ने अक्टूबर 2023 में अपनी विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में भारत की जीडीपी वृद्धि 6.3% रहने का अनुमान लगाया था।
- विश्व बैंक: विश्व बैंक ने जून 2023 में भारत की जीडीपी वृद्धि 6.3% रहने का अनुमान लगाया था।
विकास के सूत्रधार
- बुनियादी ढांचे का विकास: सरकार के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर से सड़कों, हवाईअड्डों, रेलवे आदि का जाल लगातार विस्तारित हो रहा है। इससे कनेक्टिविटी बढ़ रही है और व्यापार को भी गति मिल रही है।
- डिजिटल क्रांति: डिजिटल इंडिया का सपना साकार हो रहा है। इंटरनेट और मोबाइल पेनिट्रेशन बढ़ने से ई-कॉमर्स, फिनटेक आदि क्षेत्रों में उछाल आया है, जिससे रोजगार के नए द्वार खुल रहे हैं।
- निर्यात को बल: सरकार की मेक इन इंडिया पहल निर्यात को बढ़ावा दे रही है। विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ रहा है और देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।
- रोजगार सृजन: इन सबका परिणाम रोजगार सृजन के रूप में भी सामने आ रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी, निर्माण, सेवा क्षेत्र आदि में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे लोगों की आय बढ़ रही है और उपभोक्ता खर्च में तेजी आ रही है।
चुनौतियां
- भू-राजनीतिक अनिश्चितता: रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक व्यापार तनावों का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। इससे कच्चे माल की कीमतें बढ़ सकती हैं और मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है।
- मुद्रास्फीति का दबाव: पिछले कुछ महीनों में महंगाई में बढ़ोतरी देखी गई है, जो उपभोक्ता खर्च को प्रभावित कर सकती है। सरकार को मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है।
- ब्याज दरों में बढ़ोतरी: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकती है। इससे निवेश में कमी आ सकती है और आर्थिक विकास की रफ्तार कम हो सकती है। हालांकि, सरकार आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए ठोस कदम उठा रही है और उम्मीद है कि ये चुनौतियां भारत की विकास गाथा को बाधित नहीं कर पाएंगी।
इस सकारात्मक अनुमान के परिप्रेक्ष्य में, यह महत्वपूर्ण है कि हम घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दें, निर्यात को मजबूत करें, और रोजगार सृजन पर जोर दें। साथ ही, संसाधनों का कुशलता से उपयोग करते हुए पर्यावरण संरक्षण को भी ध्यान में रखना होगा।
अगर सब मिलकर प्रयास करें तो यह 7.3% की वृद्धि सिर्फ एक संख्या नहीं रहेगी, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के सपनों को उड़ान देने का जरिया बनेगी। आइए, मिलकर भारत को विकास के इस पथ पर आगे बढ़ाएं और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करें!