India’s Signing of the Riyadh Design Law Treaty: Promoting Innovation and Creativity; रियाद डिजाइन कानून संधि पर भारत का हस्ताक्षर: नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहन

भारत ने रियाद डिजाइन कानून संधि (Design Law Treaty, DLT) पर हस्ताक्षर करके अपने बौद्धिक संपदा (Intellectual Property, IP) संरक्षण को सुदृढ़ करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह निर्णय भारत की डिजाइनों की सुरक्षा और वैश्विक स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहन देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

DLT: डिजाइन कानून संधि

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के सदस्य देशों ने लगभग दो दशकों की वार्ताओं के बाद इस संधि को अंतिम रूप दिया। यह संधि डिजाइन पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

  • डिजाइन बौद्धिक संपदा की एक श्रेणी है, जिसमें उत्पाद के सौंदर्य और सजावटी पहलू शामिल होते हैं।
  • DLT का उद्देश्य डिजाइनों के वैश्विक पंजीकरण को आसान, सस्ता और अधिक प्रभावी बनाना है।

यह संधि प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, डिज़ाइन फाइलिंग में अनावश्यक जटिलताओं को कम करती है, और डिज़ाइन रजिस्ट्रेशन के लिए मानकीकृत नियम एवं प्रावधान प्रदान करती है।

DLT के प्रमुख प्रावधान:

DLT डिजाइनों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई प्रगतिशील प्रावधानों का समावेश करती है।

1. मल्टीपल डिजाइनों का समावेश:

यह संधि आवेदकों को एक ही आवेदन में कई डिजाइनों को सम्मिलित करने की अनुमति देती है।

2. फाइलिंग तिथि का निर्धारण:

संधि में आवेदन दाखिल करने की तिथि निर्धारित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं, ताकि बौद्धिक संपदा अधिकारों की हानि न हो।

3. डिजाइन अप्रकाशन की अनुमति:

आवेदक आवेदन दाखिल करने के बाद कम से कम 6 महीने तक डिजाइनों को अप्रकाशित रख सकते हैं।

4. प्रथम प्रकटीकरण की छूट अवधि:

डिजाइनों के पहले सार्वजनिक प्रदर्शन के बाद 12 महीने की छूट प्रदान की गई है, ताकि उनकी पंजीकरण प्रक्रिया पर कोई प्रभाव न पड़े।

5. ई-फाइलिंग सिस्टम:

डिजाइनों और प्राथमिकता वाले दस्तावेजों के इलेक्ट्रॉनिक विनिमय के लिए आधुनिक ई-फाइलिंग प्रणाली की शुरुआत की गई है।

DLT के फायदे:

1. स्टार्टअप्स और SMEs को समर्थन:

यह संधि स्टार्टअप्स और छोटे एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) को उनके डिजाइनों की वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करके उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगी।

2. प्रक्रियाओं को सरल बनाना:

यह डिजाइनों की पंजीकरण प्रक्रिया को कम जटिल, अधिक पूर्वानुमेय और सस्ता बनाएगी।

3. पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का संरक्षण:

DLT डिजाइनों को पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत के साथ एकीकृत करती है, जिससे उनकी सुरक्षा बढ़ती है।

4. वैश्विक रचनात्मकता को प्रोत्साहन:

यह विभिन्न देशों में आवेदन प्रक्रियाओं को मानकीकृत और सुव्यवस्थित करके वैश्विक रचनात्मकता को प्रोत्साहन देगी।

भारत के लिए DLT का महत्व:

  • वैश्विक नवाचार में अग्रणी:
    DLT पर हस्ताक्षर करने से भारत को वैश्विक डिजाइन हब के रूप में स्थापित होने में मदद मिलेगी।
  • बौद्धिक संपदा संरक्षण में सुधार:
    यह कदम भारत के बौद्धिक संपदा इकोसिस्टम को अधिक मजबूत और प्रभावी बनाएगा।
  • निवेशकों का विश्वास:
    डिजाइनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने से भारत में वैश्विक निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
  • स्थानीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहन:
    भारतीय डिजाइनरों और रचनाकारों को वैश्विक मान्यता और संरक्षण का अवसर मिलेगा।

बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) क्या है?

बौद्धिक संपदा संपत्ति का एक ऐसा प्रकार है जिसमें मानव बुद्धि की अमूर्त रचनाएँ शामिल होती हैं। इसमें आविष्कार, औद्योगिक उत्पादों के डिज़ाइन, साहित्यिक और कलात्मक कार्य, तथा ऐसे प्रतीक शामिल हैं जिन्हें अंततः व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है।

बौद्धिक संपदा के प्रकार:

  • पेटेंट: नई खोजों और आविष्कारों की सुरक्षा।
  • कॉपीराइट: साहित्यिक और कलात्मक रचनाओं का संरक्षण।
  • ट्रेडमार्क: ब्रांड नाम और लोगो की सुरक्षा।
  • भौगोलिक संकेतक (GI): क्षेत्रीय विशेषताओं वाले उत्पादों का संरक्षण।
  • ट्रेड सीक्रेट्स: व्यावसायिक गुप्त जानकारियों की सुरक्षा।

बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR):

बौद्धिक संपदा अधिकार रचनाकारों या मालिकों को उनके रचनात्मक कार्यों से लाभ अर्जित करने की अनुमति प्रदान करते हैं, विशेष रूप से जब इनका व्यावसायिक रूप से उपयोग किया जाता है। ये अधिकार कानूनी प्रावधानों के तहत वैधानिक रूप से नियंत्रित होते हैं।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

  • स्थापना: 1967
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड
  • सदस्य देश: भारत सहित 193
  • कार्य: बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन।

निष्कर्ष

भारत द्वारा रियाद डिजाइन कानून संधि (DLT) पर हस्ताक्षर करना देश के बौद्धिक संपदा संरक्षण तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल भारत में डिजाइनों की वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि स्टार्टअप्स और SMEs को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगा। इसके साथ ही, यह संधि भारत के नवाचार और रचनात्मकता के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ने की महत्वाकांक्षाओं को साकार करने में सहायक होगी।

FAQs:

रियाद डिजाइन कानून संधि (DLT) क्या है?

रियाद डिजाइन कानून संधि (DLT) एक वैश्विक समझौता है जो डिजाइन बौद्धिक संपदा के संरक्षण और पंजीकरण की प्रक्रियाओं को सरल, किफायती और सुव्यवस्थित बनाने के लिए बनाई गई है। यह डिजाइन संरक्षण को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देती है और इसे सांस्कृतिक और पारंपरिक ज्ञान के साथ एकीकृत करती है।

DLT के तहत क्या मुख्य प्रावधान शामिल हैं?

# एक आवेदन में कई डिजाइनों को शामिल करने की अनुमति।
# डिजाइन के अप्रकाशन के लिए कम से कम छह महीने की सुरक्षा।
# डिजाइन प्रकटीकरण के बाद 12 महीने की छूट अवधि।
# इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग और दस्तावेज़ों के आदान-प्रदान की सुविधा।
# आवेदन प्रक्रियाओं में मानकीकरण और पारदर्शिता।

बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) क्या है?

बौद्धिक संपदा मानव बुद्धि की रचनाओं से संबंधित संपत्ति की एक श्रेणी है, जैसे आविष्कार, औद्योगिक डिज़ाइन, साहित्यिक और कलात्मक कार्य, प्रतीक, ट्रेडमार्क आदि।

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