Indo-French TRISHNA Mission: Monitoring Land Surface Temperature and Water Management; इंडो-फ्रेंच तृष्णा मिशन: भू-सतह तापमान और जल प्रबंधन की निगरानी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में अपने नए इंडो-फ्रेंच थर्मल इमेजिंग मिशन “तृष्णा (TRISHNA)” की घोषणा की है। तृष्णा का मतलब है थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग सैटेलाइट फॉर हाई रिजोल्यूशन नेचुरल रिसोर्स असेसमेंट। यह मिशन इसरो और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी CNES के बीच सहयोग आधारित पहल है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय से लेकर वैश्विक स्तर पर भू-सतह के तापमान और जल प्रबंधन की निगरानी करना है।

तृष्णा/TRISHNA मिशन के बारे में:

तृष्णा मिशन का उद्देश्य भू-सतह के तापमान और जल संसाधनों की निगरानी करना है। इसके निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य हैं:

  1. जल संकट और जल उपयोग की निगरानी:
    इस मिशन का एक प्रमुख उद्देश्य महाद्वीपीय जीवमंडल के ऊर्जा और जल बजट की विस्तृत निगरानी करना है, जिससे जल संकट और जल उपयोग की मात्रा का पता लगाया जा सके।
  2. जल की गुणवत्ता और गतिशीलता:
    यह मिशन जल की गुणवत्ता और गतिशीलता का उच्च-रिज़ॉल्यूशन आधारित पर्यवेक्षण प्रदान करेगा, जो जल संसाधनों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  3. अर्बन हीट आइलैंड्स और तापीय विसंगतियाँ:
    तृष्णा मिशन अर्बन हीट आइलैंड्स के व्यापक आकलन में मदद करेगा और ज्वालामुखी गतिविधियों तथा भूतापीय संसाधनों से जुड़ी तापीय विसंगतियों का पता लगाएगा।

तृष्णा मिशन के प्राथमिक पेलोड्स:

तृष्णा मिशन के दो मुख्य पेलोड्स हैं:

  1. थर्मल इन्फ्रारेड (TIR) पेलोड:
    इसे CNES द्वारा प्रदान किया जाएगा और इसमें चार चैनल वाले लॉन्ग-वेव इन्फ्रारेड इमेजिंग सेंसर लगे होंगे।
  2. विजिबल नियर इन्फ्रारेड-शॉर्ट वेव इन्फ्रारेड (VNIR-SWIR) पेलोड:
    इसका निर्माण इसरो द्वारा किया जाएगा और यह सात स्पेक्ट्रल बैंड से युक्त होगा, जो पृथ्वी से परावर्तन की विस्तृत मैपिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मिशन की कक्षा और अवधि:

इस मिशन को सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा (Sun-synchronous orbit: SSO) में स्थापित किया जाएगा। यह मिशन पांच साल तक सेवा प्रदान करेगा। सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा एक विशेष प्रकार की ध्रुवीय कक्षा है, जिसमें उपग्रह ध्रुवों के ऊपर परिक्रमा करते हुए सूर्य समकालिक अवस्था में होते हैं। इसका अर्थ है कि उपग्रह हर दिन एक नियत समय पर एक निश्चित जगह से गुजरेगा।

मिशन का महत्त्व:

तृष्णा मिशन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में योगदान देगा:

  1. जलवायु निगरानी:
    यह सूखा, पर्माफ्रॉस्ट में परिवर्तन और वाष्पोत्सर्जन दर जैसी जलवायु निगरानी में मदद करेगा।
  2. शहरी नियोजन:
    यह विस्तृत अर्बन हीट आइलैंड्स मानचित्र और हीट अलर्ट से युक्त बेहतर शहरी नियोजन में मदद करेगा।
  3. प्राकृतिक संसाधनों का आकलन:
    तृष्णा मिशन प्राकृतिक संसाधनों की विस्तृत मैपिंग और उनके सतत उपयोग में सहायता करेगा, जिससे पर्यावरणीय सुरक्षा और संसाधनों के स्थायी उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।

भारत का अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग:

भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई देशों के साथ अंतरिक्ष सहयोग कर रहा है। इनमें प्रमुख सहयोग शामिल हैं:

  1. भारत-फ्रांस सहयोग:
    इसमें सामरिक अंतरिक्ष वार्ता का आयोजन, रक्षा अंतरिक्ष सहयोग पर आशय-पत्र पर हस्ताक्षर, अंतरिक्ष क्षेत्रक पर सूचना का आदान-प्रदान तथा रक्षा अंतरिक्ष औद्योगिक सहयोग आदि शामिल हैं। तृष्णा मिशन इसी सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  2. भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका सहयोग:
    इसमें द्विपक्षीय स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस अरेेंजमेंट (2022), नासा-इसरो सिंथेटिक एपरचर रडार (निसार) मिशन आदि शामिल हैं। ये सहयोग अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में उन्नति और अनुसंधान को प्रोत्साहन देते हैं।
  3. अन्य देशों के साथ सहयोग:
    भारत और जापान के बीच लूनर-पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEX) मिशन, भारत के छह पड़ोसियों के बीच संचार को बढ़ावा देने और आपदा कार्रवाई में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण एशिया उपग्रह (SAS) का प्रक्षेपण आदि शामिल हैं। इन सहयोगों का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में सुधार लाना है।

निष्कर्ष:

तृष्णा (TRISHNA) मिशन का उद्देश्य पृथ्वी की सतह के तापमान और जल संसाधनों की निगरानी करके जलवायु परिवर्तन और शहरी विकास में महत्वपूर्ण योगदान देना है। यह मिशन इसरो और CNES के बीच सफल सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और भविष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और भी महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए प्रेरणा प्रदान करेगा। तृष्णा मिशन से प्राप्त आंकड़े न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे, जो जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और शहरी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

FAQs:

तृष्णा (TRISHNA) मिशन क्या है?

तृष्णा (TRISHNA) से आशय है थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग सैटेलाइट फॉर हाई रिजोल्यूशन नेचुरल रिसोर्स असेसमेंट। यह एक इंडो-फ्रेंच थर्मल इमेजिंग मिशन है, जो इसरो और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी CNES के बीच सहयोग पर आधारित है। इसका उद्देश्य भू-सतह के तापमान और जल प्रबंधन की निगरानी करना है।

तृष्णा मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

तृष्णा मिशन का मुख्य उद्देश्य महाद्वीपीय जीवमंडल के ऊर्जा और जल बजट की विस्तृत निगरानी करना, जल की गुणवत्ता और गतिशीलता का उच्च-रिज़ॉल्यूशन आधारित पर्यवेक्षण प्रदान करना, और अर्बन हीट आइलैंड्स, ज्वालामुखी गतिविधियों तथा भूतापीय संसाधनों से जुड़ी तापीय विसंगतियों का पता लगाना है।

तृष्णा मिशन के प्रमुख पेलोड्स क्या हैं?

तृष्णा मिशन के दो प्रमुख पेलोड्स हैं:
1. थर्मल इंफ्रारेड (TIR) पेलोड: इसे CNES द्वारा प्रदान किया जाएगा और इसमें चार चैनल वाले लॉन्ग-वेव इंफ्रारेड इमेजिंग सेंसर लगे होंगे।
2. विजिबल नियर इंफ्रारेड-शॉर्ट वेव इंफ्रारेड (VNIR-SWIR) पेलोड: इसका निर्माण इसरो द्वारा किया जाएगा और यह सात स्पेक्ट्रल बैंड से युक्त होगा, जो पृथ्वी से परावर्तन की विस्तृत मैपिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है।

तृष्णा मिशन को किस कक्षा में स्थापित किया जाएगा?

तृष्णा मिशन को सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा (Sun-synchronous orbit: SSO) में स्थापित किया जाएगा। यह एक विशेष प्रकार की ध्रुवीय कक्षा है, जिसमें उपग्रह ध्रुवों के ऊपर परिक्रमा करते हुए सूर्य समकालिक अवस्था में होते हैं।

तृष्णा मिशन का महत्त्व क्या है?

तृष्णा मिशन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में योगदान देगा, जैसे कि जलवायु निगरानी, शहरी नियोजन, प्राकृतिक संसाधनों का आकलन। यह मिशन सूखा, पर्माफ्रॉस्ट में परिवर्तन, और वाष्पोत्सर्जन दर जैसी जलवायु निगरानी में मदद करेगा। इसके अलावा, यह अर्बन हीट आइलैंड्स के विस्तृत मानचित्र और हीट अलर्ट से युक्त बेहतर शहरी नियोजन में भी सहायक होगा।

तृष्णा मिशन से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग कैसे किया जाएगा?

तृष्णा मिशन से प्राप्त आंकड़े जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, शहरी विकास, और आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन आंकड़ों का उपयोग नीति निर्माताओं और योजना निर्माताओं द्वारा अधिक सटीक और प्रभावी नीतियां बनाने में किया जाएगा।

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