ISRO successfully launches INSAT-3DS weather satellite: A milestone in disaster management and accurate weather forecasting; इसरो ने INSAT-3DS मौसम उपग्रह का किया सफल प्रक्षेपण: आपदा प्रबंधन और सटीक मौसम पूर्वानुमान में मील का पत्थर:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। 17 फरवरी 2024 को INSAT-3DS मौसम पूर्वानुमान उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के साथ, भारत आपदा प्रबंधन, कृषि, जलवायु निगरानी और सटीक मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा चुका है। यह लेख इस महत्वपूर्ण मिशन की विशेषताओं, INSAT-3DS उपग्रह की क्षमताओं और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए इसके महत्व पर गहन दृष्टि प्रदान करता है।

INSAT-3DS: प्रक्षेपण एवं स्थापना

  • प्रक्षेपण स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)
  • प्रक्षेपण तिथि: 17 फरवरी 2024
  • प्रक्षेपण यान: GSLV-F14 (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल)

INSAT-3DS उपग्रह को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के वित्त पोषण से विकसित किया गया। GSLV-F14 रॉकेट ने पहले उपग्रह को एक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया और बाद में भू-स्थिर कक्षा (Geo-stationary Orbit) में पहुंचाया। यह रॉकेट की स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक के साथ सफल 10वीं उड़ान थी।

INSAT-3DS उपग्रह:

INSAT-3DS की परिकल्पना भारत के भविष्य के मौसम संबंधी मिशनों के एक अत्याधुनिक केंद्रबिंदु के रूप में की गई है। इसका उद्देश्य मौजूदा INSAT-3D और INSAT-3DR उपग्रहों के साथ मिलकर निम्नलिखित कार्यों के जरिए एक उन्नत प्रणाली प्रदान करना है:

  • पृथ्वी और महासागर की निगरानी: उपग्रह पृथ्वी की सतह, महासागरों और पर्यावरण की उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें कैप्चर कर सकेगा, जिससे मौसम विज्ञानियों को बदलते पैटर्न की पहचान में मदद मिलेगी।
  • वायुमंडलीय प्रोफाइलिंग: यह विभिन्न मापदंडों जैसे तापमान, आर्द्रता, और हवा की गति की निगरानी करेगा। ये उपाय सटीक पूर्वानुमान मॉडल बनाने में आवश्यक हैं।
  • डेटा संग्रह व वितरण: INSAT-3DS जमीन पर स्थित सेंसर से महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करेगा और विभिन्न एजेंसियों में तेजी से सूचना प्रसारित करेगा।
  • खोज और बचाव सेवाएं: उपग्रह संकट के समय संकट के संकेतों का पता लगाने और खोजकर्ताओं को पीड़ितों के स्थान की ओर निर्देशित करने में मदद करेगा।

उपग्रह में लगे पेलोड:

INSAT-3DS को अत्याधुनिक पेलोड्स के साथ तैयार किया गया है:

  • इमेजर पेलोड: विज़िबल और इंफ्रारेड चैनलों का उपयोग करके बहु-स्तरीय इमेजिंग।
  • साउंडर पेलोड: वायुमंडलीय तापमान और नमी के प्रोफाइल के गहन मापन में सहायक।
  • डेटा रिले ट्रांसपोंडर: जमीनी स्टेशनों और उपयोगकर्ताओं के बीच त्वरित डेटा हस्तांतरण।
  • खोज और बचाव ट्रांसपोंडर: संकटकालीन संकेतों का पता लगाने और उनका पता लगाने के लिए।

भारतीय उद्योग का योगदान: INSAT-3DS उपग्रह के निर्माण में भारतीय निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का प्रमुख योगदान है, इसके जरिए भारत की देसी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उन्नत हुई है।

INSAT-3DS की आवश्यकता

INSAT-3DS जैसे उन्नत मौसम उपग्रह हमारे देश के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। मौसम संबंधी अनियमितताएं न केवल दैनिक जीवन को प्रभावित करती हैं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, फसल के नुकसान और संसाधनों पर दबाव बढ़ाती हैं। सटीक पूर्वानुमान, बेहतर चेतावनी तंत्र और निरंतर निगरानी भारत को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों के प्रभाव को कम करने में सक्षम बनाएंगे।

जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) क्या है?

जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) अंतरिक्ष में एक अंडाकार कक्षा है। इसका उपयोग उपग्रहों को एक कक्षा से दूसरी कक्षा में स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है, विशेष रूप से भू-स्थैतिक कक्षा (GEO) में।

GTO कैसे काम करता है?

  • एक उपग्रह को GTO में 37,000 किलोमीटर की एपोप्सिस (उच्चतम बिंदु) और 200 किलोमीटर की पेरिजी (निम्नतम बिंदु) के साथ लॉन्च किया जाता है।
  • पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल और उपग्रह की गति के संयोजन से, उपग्रह GTO में घूमता है।
  • उपग्रह को GEO में स्थानांतरित करने के लिए, उपग्रह के इंजन को एपोप्सिस पर निकाल दिया जाता है।
  • इंजन उपग्रह को गति प्रदान करते हैं, जिससे यह GTO से GEO में स्थानांतरित हो जाता है।

भू-स्थिर कक्षा (Geo-stationary Orbit) क्या है?

भू-स्थैतिक कक्षा (GEO) पृथ्वी के भूमध्य रेखा के ऊपर 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक वृत्ताकार कक्षा है। GEO में उपग्रह पृथ्वी के साथ समान गति से घूमते हैं, जिससे वे पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर दिखाई देते हैं।

GEO के लाभ:

  • GEO उपग्रहों का उपयोग संचार, नेविगेशन, मौसम विज्ञान और अन्य अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है।
  • GEO उपग्रहों का एक बड़ा नेटवर्क पृथ्वी की सतह का लगभग निरंतर कवरेज प्रदान कर सकता है।

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का भविष्य

INSAT-3DS का सफल प्रक्षेपण इसरो की बढ़ती क्षमताओं और अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की महत्वाकांक्षाओं की ओर इशारा करता है। यह उपग्रह देश के अंतरिक्ष आधारित बुनियादी ढांचे की नींव का हिस्सा बनेगा। भविष्य के मिशनों और अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास के जरिए भारत का लक्ष्य मौसम पूर्वानुमान, आपदा जोखिम में कमी तथा प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन को बेहतर करना है।

इसरो ने मौसम पूर्वानुमान के साथ अंतरिक्ष संचार, नेविगेशन और अन्य वैज्ञानिक मिशनों में महत्वपूर्ण काम किया है, जिसने वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भारत को एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित किया है।

निष्कर्ष:

INSAT-3DS भारत के उन्नत अंतरिक्ष मिशनों की कड़ी में नया नाम है। इस उपग्रह द्वारा मिलने वाला डेटा मौसम, जलवायु, फसल उत्पादन जैसी जानकारियां समय रहते मुहैया कराएगा जो राष्ट्रीय विकास में योगदान देगा। सफल मिशन भारत के अंतरिक्ष विज्ञान की बढ़ती ताकत और वैज्ञानिक समुदाय की विशेषज्ञता का भी स्पष्ट संकेत करता है।

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