IUCN Red List: First Global Assessment of Mangrove Ecosystems; IUCN की रेड लिस्ट: वैश्विक मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र का पहला मूल्यांकन:

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने पहली बार अपने “रेड लिस्ट ऑफ़ इकोसिस्टम्स (RLE)” का इस्तेमाल करके मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्रों का वैश्विक मूल्यांकन किया है। यह एक ऐतिहासिक कदम है जो पारिस्थितिकी-तंत्र के स्वास्थ्य को मापने, खतरे के स्तर का आकलन करने और सबसे प्रभावी प्रबंधन उपायों की पहचान करने में मदद करता है। IUCN का यह प्रयास मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्रों के संरक्षण और उनके महत्व को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Table Of Contents
  1. IUCN रेड लिस्ट ऑफ़ इकोसिस्टम्स (RLE) क्या है?
  2. वैश्विक मैंग्रोव मूल्यांकन के मुख्य बिंदु:
  3. भविष्य की चुनौतियाँ और प्रभाव:
  4. भारतीय मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र का IUCN रेड लिस्ट में वर्गीकरण:
  5. मैंग्रोव का महत्त्व:
  6. मैंग्रोव संरक्षण के लिए वैश्विक पहल:
  7. मैंग्रोव का महत्व और संरक्षण की आवश्यकता:
  8. निष्कर्ष:
  9. FAQs:

IUCN रेड लिस्ट ऑफ़ इकोसिस्टम्स (RLE) क्या है?

IUCN का रेड लिस्ट ऑफ़ इकोसिस्टम्स (RLE) एक वैश्विक मानक है जिसका उपयोग विभिन्न पारिस्थितिकी-तंत्रों के स्वास्थ्य और उनकी स्थिरता का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। यह पारिस्थितिकी-तंत्रों की रक्षा करने और उनकी दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। RLE का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पारिस्थितिकी-तंत्रों को संरक्षित किया जाए, उनके खतरों को समझा जाए और प्रभावी प्रबंधन उपायों की पहचान की जाए।

वैश्विक मैंग्रोव मूल्यांकन के मुख्य बिंदु:

इस मूल्यांकन में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं:

  • 50 प्रतिशत मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र विलुप्त होने की कगार पर हैं।
  • 20 प्रतिशत मैंग्रोव उच्च जोखिम का सामना कर रहे हैं, जिन्हें एनडेंजर्ड या क्रिटिकली एनडेंजर्ड के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, अविवेकपूर्ण विकास, प्रदूषण और बांध निर्माण मैंग्रोव के प्रमुख खतरे हैं।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण मूल्यांकन किए गए लगभग 33 प्रतिशत मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र खतरे में हैं।
  • समुद्री जल स्तर में वृद्धि के कारण, अगले 50 वर्षों में वैश्विक मैंग्रोव क्षेत्र का 25 प्रतिशत जलमग्न होने का अनुमान है।

मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्रों के सामने खतरे:

मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र विभिन्न खतरों का सामना कर रहे हैं जो उनके अस्तित्व को चुनौती दे रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख खतरे निम्नलिखित हैं:

जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है। समुद्री जल स्तर में वृद्धि और तापमान में बदलाव मैंग्रोव वनों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, मैंग्रोव क्षेत्र घट रहे हैं और उनका अस्तित्व संकट में है।

वनों की कटाई
मैंग्रोव वनों की अवैध कटाई और कृषि योग्य भूमि के रूप में उपयोग के कारण उनका क्षेत्रफल घट रहा है। यह न केवल जैव विविधता को प्रभावित करता है बल्कि तटीय क्षेत्रों की स्थिरता को भी खतरे में डालता है।

अविवेकपूर्ण विकास
तटीय क्षेत्रों में विकास गतिविधियों के कारण मैंग्रोव वनों का विनाश हो रहा है। अवैध निर्माण, पर्यटन गतिविधियां और औद्योगिक विकास मैंग्रोव वनों के लिए खतरा बन रहे हैं।

प्रदूषण
नदियों और समुद्रों में प्रदूषण के कारण मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र प्रभावित हो रहे हैं। रासायनिक कचरे, प्लास्टिक और अन्य प्रदूषकों के कारण मैंग्रोव वनों की जीवंतता घट रही है और वे नष्ट हो रहे हैं।

बांध निर्माण
नदियों पर बांध निर्माण के कारण मैंग्रोव वनों को पोषण देने वाले जल प्रवाह में कमी आ रही है। इससे मैंग्रोव वनों की वृद्धि और अस्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

भविष्य की चुनौतियाँ और प्रभाव:

यदि 2050 तक संरक्षण के लिए आवश्यक उपाय नहीं किए गए, तो जलवायु परिवर्तन और समुद्री जलस्तर में वृद्धि के कारण लगभग 1.8 बिलियन टन कार्बन भंडारित करने वाले सिंक लुप्त हो जाएंगे। इससे 2.1 मिलियन लोगों को तटीय बाढ़ के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है।

भारतीय मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र का IUCN रेड लिस्ट में वर्गीकरण:

भारत के मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्रों का IUCN रेड लिस्ट में निम्नलिखित रूप से वर्गीकरण किया गया है:

  • अंडमान और बंगाल की खाड़ी के मैंग्रोव: लीस्ट कंसर्न
  • दक्षिण भारत के मैंग्रोव: क्रिटिकली एनडेंजर्ड
  • पश्चिम भारत के मैंग्रोव: वल्नरेबल

मैंग्रोव का महत्त्व:

मैंग्रोव वन न केवल मात्स्यिकी और जैव विविधता के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाएं प्रदान करते हैं, बल्कि:

  • ये कार्बन सिंक के रूप में काम करते हैं और लगभग 11 बिलियन टन कार्बन भंडारित करते हैं।
  • जल प्रदूषकों को हटाकर और तलछटों को रोककर जल की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।
  • तटीय क्षेत्रों को बाढ़, चक्रवाती तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

मैंग्रोव संरक्षण के लिए वैश्विक पहल:

मैंग्रोव संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण वैश्विक पहलें शुरू की गई हैं:

  • मैंग्रोव ब्रेकथ्रू: इसे यूएन-हाई लेवल क्लाइमेट चैम्पियंस और ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस (GMA) ने UNFCCC के CoP-27 में लॉन्च किया था।
  • ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस: इसे 2018 में विश्व महासागर शिखर सम्मेलन में लॉन्च किया गया था।
  • मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट: इसे संयुक्त अरब अमीरात ने इंडोनेशिया के साथ साझेदारी में लॉन्च किया है।

भारत की पहलें:

भारत में मैंग्रोव संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की गई हैं:

  • मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटैट्स एंड टैंगिबल इनकम (मिष्टी/ MISHTI) योजना शुरू की गई है।
  • राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के तहत मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों का संरक्षण एवं प्रबंधन पहल शुरू की गई है।

मैंग्रोव का महत्व और संरक्षण की आवश्यकता:

मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्रों का महत्व न केवल स्थानीय समुदायों के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अत्यधिक है। यह न केवल जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं बल्कि जलवायु संतुलन को बनाए रखने में भी सहायक हैं। मैंग्रोव वनों का संरक्षण करने के लिए वैश्विक और स्थानीय स्तर पर संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। यह पहलें न केवल पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी बल्कि स्थानीय समुदायों की आजीविका और जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार करेंगी।

निष्कर्ष:

IUCN का यह पहला वैश्विक मैंग्रोव मूल्यांकन पारिस्थितिकी-तंत्र के संरक्षण और प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल वर्तमान स्थिति का स्पष्ट चित्रण प्रदान करता है बल्कि भविष्य में इसके संरक्षण के लिए आवश्यक उपायों की पहचान करने में भी मदद करता है। मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र की रक्षा करना न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह वैश्विक जलवायु संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में, सभी संबंधित पक्षों को एक साथ आकर मैंग्रोव संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि हम अपने पर्यावरण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और स्थिर पारिस्थितिकी-तंत्र सुनिश्चित कर सकें।

IUCN Red List: First Global Assessment of Mangrove Ecosystems

FAQs:

IUCN का “रेड लिस्ट ऑफ इकोसिस्टम्स” क्या है?

IUCN का “रेड लिस्ट ऑफ इकोसिस्टम्स” एक वैश्विक मानक है जो पारिस्थितिकी-तंत्रों के स्वास्थ्य और खतरे के स्तर का मूल्यांकन करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह पारिस्थितिकी-तंत्रों की स्थिरता और संरक्षण की आवश्यकताओं की पहचान करने में मदद करता है।

मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र को कौन-कौन से खतरे हैं?

मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र को जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, अविवेकपूर्ण विकास, प्रदूषण, और बांध निर्माण जैसे प्रमुख खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इन खतरों से मैंग्रोव वनों का क्षेत्रफल घट रहा है और उनका अस्तित्व संकट में है।

IUCN के अनुसार, भारतीय मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र का क्या हाल है?

IUCN के अनुसार, भारतीय मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र का वर्गीकरण इस प्रकार है:
1. अंडमान और बंगाल की खाड़ी के मैंग्रोव: लीस्ट कंसर्न
2. दक्षिण भारत के मैंग्रोव: क्रिटिकली एनडेंजर्ड
3. पश्चिम भारत के मैंग्रोव: वल्नरेबल

मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र का संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?

मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र मात्स्यिकी, जैव विविधता, और तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये कार्बन सिंक के रूप में काम करते हैं, जल प्रदूषकों को हटाते हैं, और जल की गुणवत्ता में सुधार करते हैं। तटीय क्षेत्रों को बाढ़, चक्रवाती तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से भी बचाते हैं।

मैंग्रोव संरक्षण के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर क्या पहल की गई हैं?

वैश्विक स्तर पर, मैंग्रोव ब्रेकथ्रू, ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस, और मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट जैसी पहलें की गई हैं। भारत में, मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटैट्स एंड टैंगिबल इनकम (मिष्टी) योजना और राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के तहत संरक्षण और प्रबंधन पहलें शुरू की गई हैं।

अगर मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र संरक्षित नहीं किए गए तो क्या परिणाम हो सकते हैं?

अगर मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र संरक्षित नहीं किए गए तो जलवायु परिवर्तन और समुद्री जलस्तर में वृद्धि के कारण लगभग 1.8 बिलियन टन कार्बन भंडारित करने वाले सिंक लुप्त हो सकते हैं। इससे 2.1 मिलियन लोगों को तटीय बाढ़ के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है।

मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र में जैव विविधता का क्या महत्व है?

मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र विभिन्न प्रकार के जीवों का निवास स्थान हैं, जिसमें मछलियाँ, पक्षी, और अन्य जलीय जीव शामिल हैं। ये पारिस्थितिकी-तंत्र जैव विविधता को बनाए रखने और स्वस्थ पर्यावरण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मैंग्रोव संरक्षण के लिए व्यक्तिगत स्तर पर क्या किया जा सकता है?

व्यक्तिगत स्तर पर, मैंग्रोव संरक्षण के लिए हम जागरूकता बढ़ा सकते हैं, प्रदूषण को कम कर सकते हैं, और तटीय क्षेत्रों में अविवेकपूर्ण विकास का विरोध कर सकते हैं। स्थानीय और वैश्विक संरक्षण परियोजनाओं का समर्थन करना और स्वच्छता अभियानों में भाग लेना भी सहायक हो सकता है।

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