केरल के वायनाड जिले में भारी बारिश के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन की घटनाएं हुईं, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। यह आपदा न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। पश्चिमी घाट के इस क्षेत्र में एक साथ कई भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
भूस्खलन की घटनाएं: कारण और प्रभाव
भारत में हिमालयी क्षेत्र के बाद भूस्खलन के मामले में पश्चिमी घाट दूसरा सबसे संवेदनशील क्षेत्र है। पश्चिमी घाट में अधिक गहराई तक मिट्टी होने और तीव्र ढलान के कारण मानसून के दौरान बार-बार भूस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं। मिट्टी की गहराई के कारण उसमें ज्यादा पानी जमा रहता है, और मिट्टी के रंध्रों में भरे पानी का अधिक दबाव अंततः भूस्खलन का कारण बनता है।
भूस्खलन की परिभाषा:
भूस्खलन तब होता है जब पहाड़ी ढलान पर धकेलने वाला गुरुत्वाकर्षण बल ढलान के मलबे को स्थिर रखने वाले घर्षण बल से अधिक हो जाता है। इससे ढलान खंडित हो जाती है और मलबा नीचे की ओर गिरने लगता है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के अनुसार, देश में लगभग 4.2 लाख वर्ग किलोमीटर यानी कुल भू-क्षेत्र का 12.6% हिस्सा भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र है, जिसमें बर्फ से ढके क्षेत्र शामिल नहीं हैं।
भूस्खलन के प्राकृतिक और मानवजनित कारण
प्राकृतिक कारणों में भारी वर्षा, बाढ़, या खुदाई के कारण ढलानों पर कटाव, भूकंप, बर्फ का पिघलना आदि शामिल हैं। वहीं, मानवजनित कारणों में मवेशियों द्वारा अत्यधिक चराई, वनस्पति के नुकसान के कारण मृदा अपरदन, भू-भाग को काटना और भरना, अत्यधिक विकास आदि शामिल हैं। इन कारणों से भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।
भूस्खलन के प्रभाव और चुनौतियाँ:
प्रभाव
नदी के मार्ग में परिवर्तन, नदी अपवाह मार्ग में रुकावट, गाद भरने से बांधों के कम प्रभावी होने के कारण बाढ़ का खतरा उत्पन्न होना शामिल है। इसके अलावा, पहाड़ी क्षेत्रों में यातायात में बाधा उत्पन्न होना और मानव बस्तियां अलग-थलग पड़ना भी भूस्खलन के प्रभाव हो सकते हैं।
चुनौतियां
भूस्खलन की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम में चुनौतियां भी हैं। अन्य आपदाओं की वजहें वैश्विक या बड़े क्षेत्र की गतिविधियों से जुड़ी होती हैं, जबकि भूस्खलन की मुख्य वजह स्थानीय गतिविधियां होती हैं। इसलिए, भूस्खलन संबंधी घटनाओं की जानकारी एकत्र करना और इन घटनाओं की संभावनाओं का पूर्वानुमान करना न केवल कठिन है, बल्कि इसमें अत्यधिक आर्थिक लागत भी आती है।
भूस्खलन से बचाव के लिए महत्वपूर्ण पहलें:
वायनाड जैसी घटनाओं से बचाव और रोकथाम के लिए सरकार और विभिन्न संस्थाएं लगातार प्रयास कर रही हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण पहलें इस प्रकार हैं:
- राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति (2019): राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने इसे अपनाया है, जिससे भूस्खलन के जोखिम को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण (NLSM) कार्यक्रम: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने इसके तहत भूस्खलन के खतरे वाले क्षेत्रों की मैपिंग का कार्य पूरा कर लिया है।
- हाई-रेजोल्यूशन भारतीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्र (ILSM): यह देश का पहला हाई-रेजोल्यूशन मानचित्र है, जिसे आईआईटी दिल्ली ने बनाया है।
- राष्ट्रीय भूस्खलन पूर्वानुमान केंद्र (NLFC): हाल ही में, कोलकाता में इसका उद्घाटन किया गया है। इसका मुख्य कार्य 2030 तक देश भर में क्षेत्रीय भूस्खलन प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (LEWS) को आरंभ करना है।
निष्कर्ष:
वायनाड में भूस्खलन की घटनाएं एक गंभीर प्राकृतिक आपदा हैं, जो न केवल स्थानीय निवासियों की जान-माल के लिए खतरा हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को भी प्रभावित करती हैं। इन घटनाओं से बचाव और नुकसान को कम करने के लिए राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर विभिन्न पहलें की जा रही हैं।
सरकार द्वारा राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति, राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण, और राष्ट्रीय भूस्खलन पूर्वानुमान केंद्र जैसी पहलें भूस्खलन से बचाव में अत्यधिक प्रभावी साबित हो सकती हैं।
वायनाड में भूस्खलन की घटनाएं एक गंभीर चेतावनी हैं कि हमें अपने पर्यावरण के प्रति अधिक संवेदनशील और जागरूक होना होगा। इन घटनाओं से निपटने के लिए प्रभावी योजना और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। केवल तभी हम अपने प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और समाज की स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।
FAQs:
वायनाड में भूस्खलन का मुख्य कारण क्या है?
वायनाड में भूस्खलन का मुख्य कारण भारी बारिश, गहरी मिट्टी, और तीव्र ढलान हैं, जो मिलकर मिट्टी के धंसने का कारण बनते हैं।
भूस्खलन के प्रभाव क्या होते हैं?
भूस्खलन के प्रभाव में नदी के मार्ग में परिवर्तन, यातायात में बाधा, मानव बस्तियों का अलग-थलग पड़ना, और बाढ़ का खतरा शामिल हैं।
भूस्खलन क्या होता है?
भूस्खलन एक प्राकृतिक घटना है जिसमें चट्टान, मिट्टी, और मलबा जैसी ढलान-बनाने वाली सामग्रियां गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे और बाहर की ओर खिसकती हैं।
भारत में भूस्खलन संभावित क्षेत्र कौन से हैं?
भारत में भूस्खलन संभावित क्षेत्र मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी हिमालय, पूर्वोत्तर हिमालय और पश्चिमी घाट में स्थित हैं। इन क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं अक्सर होती हैं।
भूस्खलन के प्रमुख कारण क्या हैं?
भूस्खलन के प्रमुख कारणों में मूसलाधार बारिश, बर्फ का पिघलना, जल स्तर में परिवर्तन, जलधारा जनित कटाव, भूकंप, ज्वालामुखी गतिविधि, कृषि, निर्माण कार्य, वनों की कटाई, सिंचाई और संवेदनशील क्षेत्रों का अतिक्रमण शामिल हैं।