Nanoparticle Creation from Natural Minerals: A Breakthrough by IIT Madras; प्राकृतिक खनिजों से नैनोकणों का निर्माण: IIT मद्रास की नई खोज

IIT-मद्रास के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण खोज की है जिसमें उन्होंने दिखाया है कि प्राकृतिक खनिजों से नैनोकणों का निर्माण संभव है। इस प्रक्रिया में माइक्रो ड्रॉपलेट्स का उपयोग किया गया, जो लगभग 10 माइक्रोन (10 नैनोमीटर) आकार की पानी की सूक्ष्म बूंदें होती हैं। इन बूंदों का उपयोग करके प्राकृतिक खनिजों जैसे नदी की रेत, रूबी और एल्यूमिना को नैनोकणों में तोड़ा जा सकता है। यह शोध IIT मद्रास का पहला शोध पत्र है जिसे प्रतिष्ठित ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

नैनोकणों का निर्माण: प्राकृतिक खनिजों का उपयोग:

शोधकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को विस्तार से समझाया है:

  1. प्राकृतिक खनिजों का चयन: उन्होंने नदी की रेत, रूबी और एल्यूमिना जैसे प्राकृतिक खनिजों का उपयोग किया।
  2. माइक्रो ड्रॉपलेट्स का उपयोग: माइक्रो ड्रॉपलेट्स, जो कि आवेशित जल की सूक्ष्म बूंदें होती हैं, को इन खनिजों पर छिड़का गया।
  3. नैनोकणों का निर्माण: इन माइक्रो ड्रॉपलेट्स के प्रभाव से खनिज स्वतः टूटकर नैनोकणों में परिवर्तित हो गए, और यह प्रक्रिया मिलीसेकंड में होती है।

माइक्रो ड्रॉपलेट्स और उनकी भूमिका:

माइक्रो ड्रॉपलेट्स वास्तव में लगभग 10μm आकार की पानी की छोटी बूंदें होती हैं, जो रासायनिक अभिक्रियाओं को तीव्र करने में सक्षम होती हैं। ये प्राकृतिक रूप से समुद्र की लहरों के तट से टकराने और वायुमंडलीय प्रक्रियाओं से उत्पन्न होती हैं।

नैनोकणों का महत्व और उपयोग:

नैनोकण वे कण होते हैं जिनका आकार 1 से 100 नैनोमीटर के बीच होता है। इन कणों के गुण उनके आकार, आकृति, सतह की विशेषताओं और आंतरिक संरचना पर निर्भर करते हैं। नैनोकण वस्तुतः एरोसोल (हवा में ठोस या तरल पदार्थ), निलंबन (तरल पदार्थ में ठोस पदार्थ) या पायस (तरल पदार्थ में तरल पदार्थ) के रूप में पाए जा सकते हैं।

नैनोकणों के निर्माण के तरीके:

नैनोकणों का निर्माण प्राकृतिक रूप से (क्षरण या अपक्षय) या औद्योगिक और घरेलू मानवीय गतिविधियों (खाना पकाना, विनिर्माण, परिवहन आदि) के माध्यम से हो सकता है। नैनोकणों के निर्माण के निम्नलिखित दो तरीके हैं:

  1. टॉप-टू-बॉटम: एक बड़े कण को नैनोकण में तोड़ना।
  2. बॉटम-टू-टॉप: परमाणुओं या अणुओं को मिलाकर नैनोकण बनाना।

नैनोकणों के उपयोग:

  1. चिकित्सा: नैनोकणों का उपयोग टार्गेटेड ड्रग डिलीवरी, जीन थेरेपी, टिश्यू इंजीनियरिंग आदि में किया जाता है।
  2. औद्योगिक: इनमें विशिष्ट विद्युत और यांत्रिक गुण होते हैं। इसके अलावा ये मजबूत, हल्के और स्वच्छ सतह की क्षमता से भी युक्त होते हैं।
  3. खाद्य प्रसंस्करण: नैनोकणों का उपयोग खाद्य पैकेजिंग में एंटी-माइक्रोबियल एजेंट के रूप में और पैकेजिंग मटेरियल की गैस परमीबिलिटी (प्रवेश करने की क्षमता) बनाए रखने में किया जा सकता है।
  4. पर्यावरण: नैनोकणों के आयनों के जरिए वायु प्रदूषण को कम करने, नैनोबबल्स या नैनोफिल्ट्रेशन सिस्टम से अपशिष्ट जल को साफ करने और उसमें से भारी धातुओं को हटाने में उपयोग किया जाता है।
  5. इलेक्ट्रॉनिक्स: इनका उपयोग कार्बन नैनोट्यूब सहित प्रिंटेड इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में किया जाता है।

नैनोकणों के फायदे:

नैनोकणों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे:

  • मृदा निर्माण में तेजी: इस प्रक्रिया से प्राकृतिक अपक्षय प्रक्रिया को तेज करके मृदा निर्माण की प्रक्रिया को भी तीव्र किया जा सकता है।
  • उद्योगों में उपयोग: नैनोकणों के उत्पादन को विभिन्न उद्योगों में उपयोग के लिए सुगम बनाया जा सकता है।
  • कृषि में लाभ: इससे चावल और गेहूं जैसी फसलों में वृद्धि के लिए नैनोकणों के रूप में महत्वपूर्ण खनिज (जैसे सिलिका) की आपूर्ति की जा सकती है।

निष्कर्ष:

IIT-मद्रास के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यह शोध न केवल नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगा, बल्कि विभिन्न उद्योगों और पर्यावरण संरक्षण में भी उपयोगी साबित होगा। यह खोज नैनोकणों के उत्पादन और उपयोग के नए अवसर प्रदान कर सकती है और भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को वैश्विक मानचित्र पर और भी मजबूती से स्थापित कर सकती है।

FAQs:

IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने क्या खोज की है?

IIT मद्रास के शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि प्राकृतिक खनिजों (जैसे नदी की रेत, रूबी और एल्यूमिना) से नैनोकणों का निर्माण संभव है। उन्होंने यह प्रक्रिया माइक्रो ड्रॉपलेट्स का उपयोग करके की है।

नैनोकण क्या होते हैं?

नैनोकण वे कण होते हैं जिनका आकार 1 से 100 नैनोमीटर के बीच होता है। इन कणों के गुण उनके आकार, आकृति, सतह की विशेषताओं और आंतरिक संरचना पर निर्भर करते हैं। नैनोकण एरोसोल, निलंबन या पायस के रूप में पाए जा सकते हैं।

माइक्रो ड्रॉपलेट्स क्या हैं?

माइक्रो ड्रॉपलेट्स लगभग 10μm (10 नैनोमीटर) आकार की पानी की सूक्ष्म बूंदें होती हैं। ये बूंदें रासायनिक अभिक्रियाओं को तीव्र करने में सक्षम होती हैं और प्राकृतिक रूप से समुद्र की लहरों के तट से टकराने और वायुमंडलीय प्रक्रियाओं से उत्पन्न होती हैं।

नैनोकणों का निर्माण कैसे होता है?

नैनोकणों का निर्माण प्राकृतिक रूप से (क्षरण या अपक्षय) या औद्योगिक और घरेलू मानवीय गतिविधियों (खाना पकाना, विनिर्माण, परिवहन आदि) के माध्यम से हो सकता है। नैनोकणों के निर्माण के दो प्रमुख तरीके हैं:
टॉप-टू-बॉटम: एक बड़े कण को नैनोकण में तोड़ना।
बॉटम-टू-टॉप: परमाणुओं या अणुओं को मिलाकर नैनोकण बनाना।

माइक्रो ड्रॉपलेट्स से नैनोकण बनाने की प्रक्रिया कैसे काम करती है?

माइक्रो ड्रॉपलेट्स के प्रभाव से खनिज टूटकर नैनोकणों में परिवर्तित हो जाते हैं। यह प्रक्रिया रासायनिक अभिक्रियाओं को तीव्र करती है और खनिजों को छोटे-छोटे कणों में विभाजित करती है।

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