Nature Geoscience Study Predicts Groundwater Temperature Rise Due to Climate Change; नेचर जियोसाइंसेज के अनुसार जलवायु परिवर्तन से भूजल का तापमान बढ़ेगा:

हाल ही में नेचर जियोसाइंसेज में प्रकाशित एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण 2000-2100 के बीच भूमिगत जल (भूजल) के तापमान में औसतन 2.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी। इस तापमान वृद्धि के विभिन्न प्रभाव हो सकते हैं जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

भूजल का उच्च तापमान: प्रभाव और चुनौतियाँ

उच्च तापमान भूमिगत जल में कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है:

  1. ऑक्सीजन स्तर में कमी: उच्च तापमान जल में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर देता है, जिससे हाइपोक्सिया की स्थिति उत्पन्न होती है। यह स्थिति जलीय जीवों के विकास, वितरण और जीवनचक्र को प्रभावित कर सकती है।
  2. शैवाल की वृद्धि: उच्च तापमान घुलनशील फॉस्फोरस की मात्रा बढ़ाता है, जिससे हानिकारक शैवाल की वृद्धि होती है। यह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बिगाड़ सकता है।
  3. जैव विविधता पर प्रभाव: तापमान के प्रति संवेदनशील प्रजातियों के आहार और प्रजनन चक्र प्रभावित होते हैं, जिससे जैव विविधता के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।
  4. रोगजनकों का प्रसार: उच्च तापमान रोगजनकों (pathogens) के प्रसार को बढ़ावा देता है, जिससे जल की गुणवत्ता खराब हो सकती है।

हालांकि, भूजल के गर्म होने के कुछ सकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, गर्म भूजल का उपयोग स्थानीय रूप से हीटिंग की मांग को संधारणीय तरीके से पूरा करने के लिए किया जा सकता है।

भूजल की स्थिति:

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, भारत में भूजल सिंचाई के लिए सबसे बड़ा क्षेत्र है। डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज आकलन 2022 के अनुसार, भारत में 14% मूल्यांकित इकाइयां अत्यधिक दोहन (overexploited) की स्थिति में हैं और 4% गंभीर (critical) स्थिति में हैं।

  • अत्यधिक दोहन: एक वर्ष में भूजल का जितना पुनर्भरण (रिचार्ज) होता है, उससे अधिक जल की निकासी को अत्यधिक दोहन कहा जाता है।
  • गंभीर स्थिति: वार्षिक आधार पर जितना दोहन योग्य भूजल संसाधन उपलब्ध है, उसका 90-100% दोहन ‘गंभीर’ स्थिति मानी जाती है।
  • सुरक्षित स्थिति: भूजल पुनर्भरण का 70% से कम दोहन ‘सुरक्षित’ स्थिति है।

पोलर आइस कैप्स और ग्लेशियरों में मौजूद जल की मात्रा भूजल की मात्रा से अधिक है। इसके विपरीत, नदियों और झीलों में मौजूद जल की मात्रा भूजल की तुलना में कम है।

भूजल का महत्व:

भूजल सतही जल के स्तर को बनाए रखने और उसे फिर से भरने में मदद करता है। दुनिया भर में लगभग 50% आबादी पेयजल हेतु भूजल पर निर्भर है। इसका उपयोग खाद्य उत्पादन, फसल सिंचाई, और औद्योगिक प्रक्रियाओं (जैसे- तेल, गैस, बिजली उत्पादन) में किया जाता है।

भूजल संरक्षण के लिए शुरू की गई पहलें:

  1. अटल भूजल योजना: यह योजना जल शक्ति मंत्रालय के अधीन भूजल के संधारणीय प्रबंधन के लिए शुरू की गई है।
  2. भूजल प्रबंधन और विनियमन: यह केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है, जो जलभृत (Aquifer) मैपिंग और भूजल स्तर तथा गुणवत्ता की निगरानी से संबंधित है।
  3. नेशनल एक्वीफर मैपिंग प्रोग्राम: यह कार्यक्रम जलभृतों के संधारणीय प्रबंधन पर केंद्रित है।

निष्कर्ष:

जलवायु परिवर्तन के कारण भूजल के तापमान में वृद्धि एक गंभीर चिंता का विषय है। यह न केवल जलीय जीवों और पारिस्थितिक तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य और जल संसाधनों की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए उचित संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है। इन्हीं कदमों के माध्यम से हम आने वाले समय में भूजल के महत्वपूर्ण संसाधन को सुरक्षित और संधारणीय बना सकते हैं।

FAQs:

भूजल के तापमान में वृद्धि क्यों हो रही है?

जलवायु परिवर्तन के कारण वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि हो रही है, जो सतह और भूमिगत जल को प्रभावित कर रहा है।

भूजल का तापमान बढ़ने के क्या प्रभाव हो सकते हैं?

ऑक्सीजन स्तर में कमी: उच्च तापमान जल में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर देता है, जिससे हाइपोक्सिया की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
शैवाल की वृद्धि: उच्च तापमान घुलनशील फॉस्फोरस की मात्रा बढ़ाता है, जिससे हानिकारक शैवाल की वृद्धि होती है।
जैव विविधता पर प्रभाव: तापमान के प्रति संवेदनशील प्रजातियों के आहार और प्रजनन चक्र प्रभावित होते हैं।
रोगजनकों का प्रसार: उच्च तापमान रोगजनकों के प्रसार को बढ़ावा देता है, जिससे जल की गुणवत्ता खराब हो सकती है।

भूजल की स्थिति भारत में कैसी है?

डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज आकलन 2022 के अनुसार, भारत में 14% मूल्यांकित इकाइयां अत्यधिक दोहन की स्थिति में हैं और 4% गंभीर स्थिति में हैं।

अत्यधिक दोहन (overexploitation) और गंभीर (critical) स्थिति का क्या मतलब है?

अत्यधिक दोहन: एक वर्ष में भूजल का जितना पुनर्भरण होता है, उससे अधिक जल की निकासी को अत्यधिक दोहन कहा जाता है।
गंभीर स्थिति: वार्षिक आधार पर जितना दोहन योग्य भूजल संसाधन उपलब्ध है, उसका 90-100% दोहन ‘गंभीर’ स्थिति मानी जाती है।

भूजल का महत्व क्या है?

भूजल सतही जल के स्तर को बनाए रखने और उसे फिर से भरने में मदद करता है। दुनिया भर में लगभग 50% आबादी पेयजल हेतु भूजल पर निर्भर है। इसका उपयोग खाद्य उत्पादन, फसल सिंचाई, और औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है।

क्या भूजल के तापमान में वृद्धि को रोका जा सकता है?

भूजल के तापमान में वृद्धि को सीधे तौर पर रोकना मुश्किल है, लेकिन जलवायु परिवर्तन को कम करने के उपाय और भूजल का सही प्रबंधन इस समस्या के समाधान में सहायक हो सकते हैं।

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