Participation of Women in Corporate Sector: Latest Report by LinkedIn India; कॉर्पोरेट जगत में महिलाओं की भागीदारी: लिंक्डइन इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट

लिंक्डइन इंडिया ने हाल ही में ‘वीमेन इन लीडरशिप इन कॉर्पोरेट इंडिया’ रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कॉर्पोरेट जगत में महिला नेतृत्व यानी लीडरशिप भूमिकाओं के स्तर पर लैंगिक विविधता और समावेशन की दिशा में अब तक हुई प्रगति एवं चुनौतियों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।

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रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:

वैश्विक परिदृश्य:
विश्व बैंक द्वारा 2022 में जारी आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर निम्न-मध्यम आय वाले देशों में 19.2% फर्मों में महिलाएं शीर्ष प्रबंधक पदों पर थीं। इसके विपरीत, उच्च-आय वाले देशों में यह आंकड़ा 17.3% था।

भारत में स्थिति:

  • विश्व बैंक के अनुसार, 2022 में फर्मों में वरिष्ठ और मध्यम प्रबंधन पदों पर कार्यरत लोगों में केवल 16% महिलाएं थीं।
  • 2013 में कंपनियों के बोर्ड्स में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात 6% था, जो 2022 में बढ़कर 18% तक पहुंच गया। इस तरह पिछले दशक में बोर्ड्स में महिलाओं के अनुपात में पर्याप्त वृद्धि दर्ज की गई है।

कंपनियों में लीडरशिप पदों पर महिलाओं की कम संख्या के कारण:

  1. मौजूदा विनियामक उपायों का सख्ती से पालन न करना:
    कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कुछ प्रकार की कंपनियों के बोर्ड्स में कम-से-कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति अनिवार्य है। इस नियम का पालन न करने के कारण 2018-2023 के दौरान 507 कंपनियों पर जुर्माना लगाया गया।
  2. लीडरशिप भूमिकाओं के लिए पात्र और अनुभवी महिलाओं की कमी:
    भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर कम (2022-23 में 37%) है। साथ ही, पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण महिलाएं बीच में कार्य करना छोड़ देती हैं, जिससे प्रबंधन स्तर के पदों के लिए कम महिलाएं उपलब्ध होती हैं या वे वहां तक नहीं पहुंच पाती हैं।
  3. सोशल कंडीशनिंग:
    महिलाएं अपने परिवेश, सांस्कृतिक जेण्डर संबंधी भूमिकाओं आदि के कारण नेतृत्व की भूमिकाएं निभाने से बचती हैं।
  4. क्षेत्रक-वार विसंगतियां:
    कई ऐसे कारक होते हैं, जिनकी वजह से महिलाओं का प्रतिनिधित्व अलग-अलग क्षेत्रकों में भिन्न-भिन्न होता है। उदाहरण के लिए- कार्य दशाएं, यात्रा संबंधी बाध्यता, वेतन में असमानता, काम के घंटों की संख्या और शिफ्ट प्रणाली आदि।

कॉर्पोरेट जगत में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने वाली पहलें:

सरकार के नेतृत्व में संचालित पहलें:

  1. कंपनी अधिनियम, 2013:
    कुछ प्रकार की कंपनियों के गवर्निंग बोर्ड में कम-से-कम एक महिला निदेशक होनी आवश्यक है। इस अधिनियम का उद्देश्य कंपनियों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना और लैंगिक समानता सुनिश्चित करना है।
  2. सामाजिक उत्तरदायित्व पर व्यावसायिक रिपोर्टिंग आवश्यकताएं:
    इसके तहत कंपनियों को कार्यबल और नेतृत्व में महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर डेटा प्रस्तुत करना होता है। इससे कंपनियों में लैंगिक विविधता और समावेशन की स्थिति का आकलन किया जा सकता है।

उद्योग के नेतृत्व में संचालित पहलें:

  1. स्टैंडिंग कॉन्फ्रेंस ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज (SCOPE):
    इस पहल के तहत कॉर्पोरेट नेतृत्वकारी भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी में आ रही कमी को दूर करने के लिए प्रतिबद्धता प्रकट की गई है। साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में नेतृत्वकारी पदों पर लैंगिक विविधता सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
  2. निजी क्षेत्र की पहलें:
    निजी क्षेत्र के कॉर्पोरेशंस की तरफ से भी कई पहलें शुरू की गई हैं। इनमें एक्सेंचर, कॉग्निजेंट, और अन्य महत्वपूर्ण कॉर्पोरेशंस शामिल हैं। ये कंपनियाँ महिलाओं के लिए नेतृत्वकारी भूमिकाओं में अवसर बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और नीतियाँ लागू कर रही हैं।

महिला नेतृत्व में प्रगति और चुनौतियाँ:

कॉर्पोरेट जगत में महिला नेतृत्व के स्तर पर प्रगति तो हुई है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। महिलाओं के लिए नेतृत्वकारी पदों तक पहुंचने में कई बाधाएं होती हैं, जैसे कि पारिवारिक जिम्मेदारियाँ, सामाजिक कंडीशनिंग, और कार्यस्थल की परिस्थितियाँ। इसके अलावा, मौजूदा विनियामक उपायों का सख्ती से पालन न करने और नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए योग्य और अनुभवी महिलाओं की कमी भी एक बड़ी चुनौती है।

निष्कर्ष:

लिंक्डइन इंडिया की ‘वीमेन इन लीडरशिप इन कॉर्पोरेट इंडिया’ रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि कॉर्पोरेट इंडिया में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व की दिशा में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इन चुनौतियों का सामना करने और लैंगिक विविधता एवं समावेशन को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। सरकार, उद्योग और समाज के सभी स्तरों पर एक साथ काम करके ही हम महिलाओं के लिए अधिक समान और समावेशी कार्यस्थल का निर्माण कर सकते हैं।

FAQs:

लिंक्डइन इंडिया की ‘वीमेन इन लीडरशिप इन कॉर्पोरेट इंडिया’ रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य कॉर्पोरेट जगत में महिला नेतृत्व के स्तर पर लैंगिक विविधता और समावेशन की दिशा में हुई प्रगति एवं चुनौतियों का विश्लेषण करना है।

वैश्विक स्तर पर महिला नेतृत्व की स्थिति क्या है?

विश्व बैंक के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, निम्न-मध्यम आय वाले देशों में 19.2% फर्मों में महिलाएं शीर्ष प्रबंधक पदों पर थीं, जबकि उच्च-आय वाले देशों में यह आंकड़ा 17.3% था।

भारत में महिला नेतृत्व की स्थिति क्या है?

भारत में 2022 में फर्मों में वरिष्ठ और मध्यम प्रबंधन पदों पर केवल 16% महिलाएं थीं। 2013 में कंपनियों के बोर्ड्स में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात 6% था, जो 2022 में बढ़कर 18% हो गया।

महिलाओं की कम संख्या के कारण क्या हैं?

प्रमुख कारणों में मौजूदा विनियामक उपायों का सख्ती से पालन न करना, लीडरशिप भूमिकाओं के लिए पात्र और अनुभवी महिलाओं की कमी, सोशल कंडीशनिंग, और क्षेत्रक-वार विसंगतियां शामिल हैं।

कंपनियों में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन सी पहलें की जा रही हैं?

सरकार के नेतृत्व में कंपनी अधिनियम, 2013 और सामाजिक उत्तरदायित्व पर व्यावसायिक रिपोर्टिंग आवश्यकताएं शामिल हैं। उद्योग के नेतृत्व में स्टैंडिंग कॉन्फ्रेंस ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज (SCOPE) और निजी क्षेत्र की कई पहलें शामिल हैं।

क्या निजी कंपनियाँ भी महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रही हैं?

हाँ, निजी क्षेत्र की कई कंपनियाँ, जैसे एक्सेंचर और कॉग्निजेंट, महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और नीतियाँ लागू कर रही हैं।

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