भारत के महत्वाकांक्षी ऊर्जा स्वतंत्रता लक्ष्य के साथ, हरित या ग्रीन हाइड्रोजन एक आशाजनक विकल्प की तरह उभरकर सामने आया है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के उद्देश्य से परिवहन क्षेत्र को डीकार्बोनाइज़ करने पर अत्यधिक जोर दिया जा रहा है और इस उद्देश्य को ग्रीन हाइड्रोजन से बड़ी मदद मिल सकती है। परंपरागत जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहन कार्बन उत्सर्जन के महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण जैसी चुनौतियां बढ़ती हैं। ग्रीन हाइड्रोजन एक उत्सर्जन-मुक्त, स्वच्छ ईंधन है, जो भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव ला सकता है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM)
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने फरवरी 2024 में “परिवहन क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग पर पायलट परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए योजना संबंधी दिशानिर्देश” जारी किए। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM) के एक भाग के रूप में इन दिशानिर्देशों को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा नामित एजेन्सियों की मदद से लागू किया जाना है। वर्ष 2025-26 तक चलने वाली इन परियोजनाओं का कुल बजटीय परिव्यय 496 करोड़ रुपये है। NGHM को 2023 में लॉन्च किया गया था। इस मिशन का लक्ष्य ग्रीन हाइड्रोजन की मांग सृजित करना तथा इसका उत्पादन, उपयोग और निर्यात बढ़ाने में मदद करना है। इसके उप-घटक हैं स्ट्रेटेजिक इंटरवेंशन्स फॉर ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम (SIGHT) और ग्रीन हाइड्रोजन हब्स।
इस महत्वपूर्ण योजना के उद्देश्य:
- हरित हाइड्रोजन वाहनों की व्यवहार्यता को साबित करना: योजना परिवहन के विभिन्न साधनों –बस, ट्रक, चार पहिया वाहन में स्वच्छ ऊर्जा के लिए ग्रीन हाइड्रोजन की व्यावहारिकता और लागत प्रभावशीलता का सटीक आकलन करेगी।
- आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास करना: भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र, हाइड्रोजन भरने वाले स्टेशन या ईंधन केंद्र इत्यादि विकसित करने हैं जिससे हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को संचालित करने के लिए मजबूत नींव रखी जा सके।
- बसों, ट्रकों और चार पहिया वाहनों में ईंधन के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग का समर्थन करना।
ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने का महत्व
- डीकार्बोनाइजेशन: जलवायु परिवर्तन से निपटने और परिवहन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने में हरित हाइड्रोजन सहायक हो सकता है। भारत एक तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है और वाहन आवागमन का बड़ी आबादी पर निर्भरता बढ़ रही है। कार्बन एमिशन में परिवहन क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 18% है और ग्रीन हाइर्डोजन एक स्थायी व पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा विकल्प उपलब्ध कराता है।
- जीवाश्म ईंधन से मुक्ति: आयातित तेल व पेट्रोलियम उत्पादों पर भारत बहुत निर्भर है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा का संकट बना रहता है। स्वच्छ व घरेलू रूप से उत्पादित हाइड्रोजन इस निर्भरता को कम करके भू-राजनीतिक चुनौतियों का जोखिम घटाएगा।
- पंचामृत लक्ष्यों के साथ कदमताल: भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पांच महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिन्हें पंचामृत संकल्प के रूप में जाना जाता है। इन लक्ष्यों को पूरा करने में ग्रीन हाइड्रोजन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- पंचामृत संकल्प के तहत भारत:
- 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता प्राप्त करेगा: ग्रीन हाइड्रोजन गैर-जीवाश्म ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है। इसका उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग करके किया जा सकता है।
- 2030 तक अपनी 50% ऊर्जा आवश्यकता नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतो से प्राप्त करेगा: ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण का एक प्रभावी साधन हो सकता है। इसका उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा को स्टोर करने और आवश्यकतानुसार उपयोग करने के लिए किया जा सकता है।
- अब से 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी करेगा: ग्रीन हाइड्रोजन डीकार्बोनाइजेशन का एक महत्वपूर्ण साधन हो सकता है। इसका उपयोग जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए किया जा सकता है।
- 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेंसिटी 45% से नीचे (2005 के स्तर से) लाएगा: ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत हो सकता है। इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन और परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए किया जा सकता है।
- 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करेगा: ग्रीन हाइड्रोजन भारत को 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने में मदद कर सकता है।
- पंचामृत संकल्प के तहत भारत:
- ग्रीन हाइड्रोजन पंचामृत संकल्प को पूरा करने में कैसे मदद कर सकता है:
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि: ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जा सकता है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि होगी।
- ऊर्जा भंडारण: ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण का एक प्रभावी साधन हो सकता है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा को स्टोर करने और आवश्यकतानुसार उपयोग करने में मदद मिलेगी।
- डीकार्बोनाइजेशन: ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।
- आर्थिक विकास: ग्रीन हाइड्रोजन उद्योग भारत में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
ग्रीन हाइड्रोजन में बदलाव की बाधाएँ:
- उत्पादन, सुरक्षा और मानक संबंधी चुनौतियां: स्वच्छ, उच्च-गुणवत्ता वाले हाइड्रोजन उत्पादन, सुरक्षित हैंडलिंग, परिवहन और भंडारण के आसपास बुनियादी ढांचे की कमी है। अंतरराष्ट्रीय मानकों और विनियमों का समेकित अभाव प्रौद्योगिकी अनुसंधान में भी सीमाएँ बनाता है।
- स्वच्छ हाइड्रोजन वैल्यू-चेन का अभाव: भारत में हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र, ईंधन भरने वाले स्टेशन, भंडारण सुविधाओं जैसी स्वच्छ हाइड्रोजन वैल्यू-चेन का अभाव है।
- वाहनों की रेट्रो फिटिंग: ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिए वाहनों की रेट्रो फिटिंग करनी होगी।
- अनुसंधान एवं विकास: इस क्षेत्र में अधिक अनुसंधान एवं विकास की जरुरत है।
- अंतर्राष्ट्रीय मानकों और विनियमों का अभाव: ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय मानकों और विनियमों का अभाव है।
परिवहन क्षेत्रक के डीकार्बोनाइजेशन के लिए अन्य पहलें
हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों का तीव्र अंगीकरण एवं विनिर्माण (फेम/ FAME) योजना:
- सरकार ने 2015 में FAME योजना शुरू की थी। इसका उद्देश्य हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों (HEVs) की खरीद को प्रोत्साहित करना और उनकी लागत को कम करना है।
- FAME योजना के तहत, सरकार HEVs और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर सब्सिडी प्रदान करती है।
- FAME योजना के परिणामस्वरूप, भारत में EVs की बिक्री में तेजी से वृद्धि हुई है।
भारत स्टेज VI उत्सर्जन मानक:
- भारत ने 2020 में BS VI उत्सर्जन मानक लागू किए। ये मानक BS IV मानकों की तुलना में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को काफी कम करते हैं।
- BS VI मानक यूरोपीय VI उत्सर्जन मानकों के समान हैं।
नीति आयोग और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (WRI)-इंडिया द्वारा “फोरम फॉर डीकार्बोनाइजिंग ट्रांसपोर्ट” लॉन्च:
- इस मंच का उद्देश्य भारत में परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के लिए नीतियां और रणनीतियां विकसित करना है।
- मंच में सरकार, उद्योग, नागरिक समाज और शिक्षाविदों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
इथेनॉल सम्मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम:
- सरकार ने 2003 में EBP कार्यक्रम शुरू किया था। इसका उद्देश्य पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण बढ़ाना है।
- EBP कार्यक्रम के तहत, सरकार पेट्रोल में 10% इथेनॉल के मिश्रण को अनिवार्य बनाती है, 20% 2030 तक।
- EBP कार्यक्रम भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने में मदद करता है।
निष्कर्ष
भारत सरकार ग्रीन हाइड्रोजन को परिवहन क्षेत्र को डीकार्बोनाइज़ करने और भारत को ऊर्जा स्वतंत्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखती है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और “परिवहन क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग पर पायलट परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए योजना संबंधी दिशानिर्देश” जैसे पहल इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
हालांकि, ग्रीन हाइड्रोजन को व्यापक रूप से अपनाने से पहले कुछ चुनौतियों का समाधान करना होगा, जैसे कि उत्पादन, सुरक्षा और मानक संबंधी चुनौतियां, स्वच्छ हाइड्रोजन वैल्यू-चेन का अभाव, और अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता।
सरकार हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों (HEVs) की खरीद को प्रोत्साहित करने, BS VI उत्सर्जन मानकों को लागू करने, इथेनॉल सम्मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम को बढ़ावा देने और “फोरम फॉर डीकार्बोनाइजिंग ट्रांसपोर्ट” जैसे पहलों के माध्यम से परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के लिए अन्य पहलों को भी लागू कर रही है।
यह स्पष्ट है कि भारत सरकार ग्रीन हाइड्रोजन और अन्य पहलों के माध्यम से परिवहन क्षेत्र को डीकार्बोनाइज़ करने और ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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