Pokhran-I: 50th Anniversary: India’s Nuclear History and Significance; पोखरण-1 की 50वीं वर्षगांठ: भारत का परमाणु इतिहास और महत्व:

भारत ने 18 मई, 1974 को पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान में स्थित पोखरण परीक्षण स्थल पर अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। यह परीक्षण भारतीय सेना के द्वारा 10-15 किलोटन प्लूटोनियम का उपयोग करके किया गया था। इस परीक्षण को “ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा” का कोडनेम दिया गया था। यह ऐतिहासिक घटना भारतीय परमाणु इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस लेख में हम पोखरण-1 परीक्षण के विभिन्न पहलुओं, उसके महत्व, वैश्विक प्रतिक्रिया और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Table Of Contents
  1. पोखरण-1: एक ऐतिहासिक कदम
  2. परमाणु परीक्षण का महत्व:
  3. ऑपरेशन शक्ति: पोखरण-2 की ओर बढ़ते कदम:
  4. पोखरण-1 की आवश्यकता और इसके पीछे के कारण:
  5. परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर भारत का दृष्टिकोण:
  6. पोखरण-1 के बाद वैश्विक प्रतिक्रिया:
  7. भारत का परमाणु सिद्धांत:
  8. निष्कर्ष:
  9. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

पोखरण-1: एक ऐतिहासिक कदम

पोखरण-1 परीक्षण 10-15 किलोटन प्लूटोनियम का उपयोग करके किया गया था। इस परीक्षण ने भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया। उस समय, केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य (P-5) ही परमाणु परीक्षण कर चुके थे। P-5 देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस शामिल हैं। भारत ने इस परीक्षण के माध्यम से यह साबित कर दिया कि वह भी इस दौड़ में शामिल हो सकता है।

परमाणु परीक्षण का महत्व:

पोखरण-1 परीक्षण का महत्व कई पहलुओं में निहित है:

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा: यह परीक्षण भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए आवश्यक था। भारत को अपने संभावित शत्रुओं से खतरों के खिलाफ निवारक क्षमता हासिल करनी थी।
  2. वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा: इस परीक्षण ने भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्थापित किया। यह कदम भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं का भी प्रदर्शन था।
  3. परमाणु अप्रसार संधि (NPT): भारत पर NPT पर हस्ताक्षर करने का दबाव था। भारत ने इस संधि को भेदभावपूर्ण मानते हुए इस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। पोखरण-1 परीक्षण ने भारत की स्वतंत्र और आत्मनिर्भर नीति को प्रदर्शित किया।

ऑपरेशन शक्ति: पोखरण-2 की ओर बढ़ते कदम:

1998 में, भारत ने फिर से पोखरण में परमाणु परीक्षण किए, जिन्हें “ऑपरेशन शक्ति” का कोडनेम दिया गया था। इन परीक्षणों ने भारत को लगभग 200 किलोटन तक के परमाणु हथियार बनाने की क्षमता प्रदान की। यह परीक्षण भारत की परमाणु शक्ति को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था और इसने भारत की रक्षा क्षमता को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।

तालिका 1: भारत के परमाणु परीक्षणों की प्रमुख तिथियाँ

तिथिपरीक्षण का नामकोडनेमक्षमता (किलोटन)
18 मई 1974पोखरण-1ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा10-15
11 मई 1998पोखरण-2ऑपरेशन शक्ति15-25
13 मई 1998पोखरण-2ऑपरेशन शक्ति45-200
Pokhran Nuclear Test Site

पोखरण-1 की आवश्यकता और इसके पीछे के कारण:

पोखरण-1 परीक्षण की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि भारत को अपने संभावित शत्रुओं से खतरों के खिलाफ निवारक क्षमता (Deterrence capability) हासिल करनी थी। साथ ही, राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करना भी जरूरी था। निवारक क्षमता का मतलब है कि सामरिक हमलों को रोकने के लिए एक सुरक्षित, संरक्षित और प्रभावी परमाणु शस्त्रागार होना चाहिए। इस कदम ने भारत को एक मजबूत रक्षा स्थिति में खड़ा किया और उसे आत्मनिर्भर बनाने में मदद की।

परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर भारत का दृष्टिकोण:

भारत पर परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। भारत का मानना था कि यह संधि भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह P-5 देशों को परमाणु हथियार रखने की छूट देती है, जबकि अन्य देशों पर ऐसे हथियार रखने पर प्रतिबंध लगाती है। भारत ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि यह उसके राष्ट्रीय हितों के खिलाफ थी और उसकी सुरक्षा को कमजोर कर सकती थी।

पोखरण-1 के बाद वैश्विक प्रतिक्रिया:

पोखरण-1 परीक्षण के बाद, 1975 में “परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG)” की स्थापना की गई थी। NSG का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु व्यापार, परमाणु हथियारों के प्रसार में योगदान न दे। यह समूह असैन्य उद्देश्यों वाली परमाणु सामग्री और परमाणु-संबंधित उपकरण एवं प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को नियंत्रित करता है। NSG की स्थापना से वैश्विक परमाणु सुरक्षा को बढ़ावा मिला और परमाणु हथियारों के अनियंत्रित प्रसार को रोका जा सका।

तालिका 2: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) के प्रमुख उद्देश्य

उद्देश्यविवरण
परमाणु सामग्री के हस्तांतरण को नियंत्रित करनाशांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु सामग्री का उचित उपयोग सुनिश्चित करना
परमाणु प्रसार को रोकनापरमाणु हथियारों के निर्माण में उपयोग की जा सकने वाली सामग्री का हस्तांतरण रोकना
वैश्विक सुरक्षा को बढ़ावा देनापरमाणु हथियारों के प्रसार को रोककर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देना

भारत का परमाणु सिद्धांत:

भारत का परमाणु सिद्धांत “विश्वसनीय न्यूनतम निवारक (Credible minimum deterrent)” पर आधारित है। इसके तहत, भारत ने यह घोषणा की है कि वह परमाणु हथियारों का सबसे पहले इस्तेमाल नहीं करेगा और केवल परमाणु हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में ही उनका उपयोग करेगा।

भारत के परमाणु सिद्धांत के प्रमुख बिंदु:

  1. विश्वसनीय न्यूनतम निवारक: भारत एक विश्वसनीय न्यूनतम निवारक का निर्माण करेगा और इसे बनाए रखेगा।
  2. पहले उपयोग नहीं: भारत परमाणु हथियार का सबसे पहले इस्तेमाल नहीं करेगा। परमाणु हथियारों का इस्तेमाल केवल परमाणु हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में किया जाएगा।
  3. गैर-परमाणु हथियार देशों के खिलाफ उपयोग नहीं: भारत उन देशों के खिलाफ परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं करेगा, जिनके पास परमाणु हथियार नहीं हैं।
  4. असैन्य राजनीतिक नेतृत्व: जवाबी परमाणु हमलों का आदेश केवल असैन्य राजनीतिक नेतृत्व द्वारा ही दिया जा सकता है।
  5. परमाणु हथियार मुक्त विश्व: भारत “परमाणु हथियार मुक्त विश्व” के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।

निष्कर्ष:

भारत का पहला परमाणु परीक्षण, पोखरण-1, भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह परीक्षण न केवल भारत की परमाणु शक्ति को स्थापित करने में मददगार रहा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को भी मजबूत किया। पोखरण-1 की 50वीं वर्षगांठ हमें इस ऐतिहासिक यात्रा को याद करने और भविष्य में शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए विज्ञान और तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण कब किया था?

भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 18 मई, 1974 को पोखरण में किया था। इस परीक्षण को ‘ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा’ का कोडनेम दिया गया था।

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) क्या है और इसकी स्थापना क्यों की गई?

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की स्थापना 1975 में की गई थी और यह विश्व के 48 “परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों” का समूह है। NSG का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु व्यापार परमाणु हथियारों के प्रसार में योगदान न दे।

पोखरण-2 क्या है और यह कब हुआ?

पोखरण-2 एक अन्य महत्वपूर्ण परमाणु परीक्षण था जिसे भारत ने 1998 में “ऑपरेशन शक्ति” के तहत पोखरण में किया। इन परीक्षणों ने भारत को 200 किलोटन तक के परमाणु हथियार बनाने की क्षमता प्रदान की।

भारत का परमाणु सिद्धांत क्या है?

भारत का परमाणु सिद्धांत “विश्वसनीय न्यूनतम निवारक (Credible minimum deterrent)” पर आधारित है। इसके तहत, भारत ने यह घोषणा की है कि वह परमाणु हथियारों का सबसे पहले इस्तेमाल नहीं करेगा और केवल परमाणु हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में ही उनका उपयोग करेगा।

पोखरण-1 परीक्षण की वैश्विक प्रतिक्रिया क्या थी?

पोखरण-1 परीक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विभिन्न प्रतिक्रियाएं आईं। कई देशों ने भारत की आलोचना की और आर्थिक और तकनीकी प्रतिबंध लगाए। इसके साथ ही, 1975 में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की स्थापना भी की गई थी ताकि परमाणु हथियारों के प्रसार को नियंत्रित किया जा सके।

पोखरण-1 परमाणु परीक्षण का उद्देश्य क्या था?

पोखरण-1 परमाणु परीक्षण का मुख्य उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करना और अपने संभावित शत्रुओं से खतरों के खिलाफ निवारक क्षमता हासिल करना था।

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