हाल ही में, लोक लेखा समिति (PAC) और प्राक्कलन समिति (EC) के पुनर्गठन के लिए लोक सभा में प्रस्ताव पेश किए गए हैं। ये दोनों समितियां संसद की वित्तीय समितियां हैं जो सरकारी व्यय और बजट पर निगरानी रखती हैं। संसदीय समितियाँ अनुच्छेद-105 (संसद सदस्यों के विशेषाधिकार) और अनुच्छेद-118 (संसद की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन को विनियमित करने हेतु नियम बनाने के अधिकार) से शक्तियाँ प्राप्त करती हैं।
संसदीय समितियों के बारे में:
संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं: तदर्थ (Ad hoc) समितियां और स्थायी (Standing) समितियां।
तदर्थ (Ad hoc) समितियां: इनका गठन किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जाता है। कार्य पूरा होते ही इन्हें भंग कर दिया जाता है।
स्थायी (Standing) समितियां: ये स्थायी (प्रत्येक वर्ष या समय-समय पर गठित) होती हैं और नियमित होती हैं। इनमें वित्तीय समितियां, विभाग संबंधी स्थायी समितियां (DRSC) और अधीनस्थ विधान पर समितियां शामिल हैं।
संसदीय समितियों का महत्त्व:
संसदीय समितियां कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं:
- कार्यपालिका पर नियंत्रण: ये समितियां कार्यपालिका पर संसद के प्रहरी के रूप में कार्य करती हैं।
- सहमति का मंच: ये विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनाने का मंच प्रदान करती हैं।
- विधेयकों की जांच: ये विधेयकों के पारित होने से पहले उनकी गहन जांच करती हैं।
- तकनीकी विशेषज्ञता: ये संसद को जटिल मुद्दों को समझने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करती हैं।
संसदीय समितियों से जुड़ी चुनौतियां:
हालांकि संसदीय समितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन इन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
- समितियों के पास कम विधेयकों को भेजा जाता है।
- समितियों की बैठकों में सांसदों की पर्याप्त उपस्थिति नहीं रहती।
- इन्हें पूर्णकालिक तकनीकी विशेषज्ञ समर्थन नहीं मिलता।
- इनकी बहुत कम बैठकें होती हैं।
लोक लेखा समिति (PAC):
स्थापना: लोक लेखा समिति की स्थापना 1921 में ‘भारत सरकार अधिनियम, 1919’ के माध्यम से की गई थी, जिसे ‘मोंटफोर्ड सुधार’ भी कहा जाता है। इसका गठन प्रतिवर्ष ‘लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य-संचालन नियम’ के नियम 308 के तहत किया जाता है।
नियुक्ति: समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है। चूंकि यह कार्यकारी निकाय नहीं है, इसलिए यह केवल सलाहकार प्रकृति के निर्णय ले सकती है।
सदस्य: इसमें 22 सदस्य होते हैं (15 लोकसभा सदस्य और 7 राज्यसभा सदस्य)।
उद्देश्य: इस समिति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार द्वारा संसद से प्राप्त धन को सही और विशिष्ट मदों पर ही खर्च किया जाए।
कार्य: यह समिति सरकार के वार्षिक वित्त लेखों और व्यय की जांच करती है। इसके अलावा, यह नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) के प्रतिवेदनों की जांच करती है और सरकारी व्यय में किसी भी प्रकार की अनियमितता की समीक्षा करती है।
प्राक्कलन समिति (EC):
स्थापना: प्राक्कलन समिति की स्थापना 1950 में तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई की सिफारिश से की गई थी।
सदस्य: इसमें लोकसभा के 30 सदस्य शामिल होते हैं।
कार्य: यह समिति प्रशासन में दक्षता लाने के लिए वैकल्पिक नीतियों का सुझाव देती है और यह सुनिश्चित करती है कि प्राक्कलनों में अंतर्निहित नीति के तहत धन सही ढंग से आवंटित किया गया है।
निष्कर्ष:
लोक लेखा समिति (PAC) और प्राक्कलन समिति (EC) के पुनर्गठन के लिए लोक सभा में प्रस्ताव पेश किए गए हैं। ये समितियां सरकार के वित्तीय मामलों पर निगरानी रखती हैं और उनके कार्यकलापों की जांच करती हैं। संसदीय समितियां संसद के प्रहरी के रूप में कार्य करती हैं और सरकार को उत्तरदायी बनाती हैं। इन समितियों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए इनसे जुड़ी चुनौतियों का समाधान किया जाना आवश्यक है।
FAQs:
लोक लेखा समिति (PAC) क्या है?
लोक लेखा समिति (PAC) एक संसदीय समिति है जो सरकार के वार्षिक वित्त लेखों और व्यय की जांच करती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार द्वारा संसद से प्राप्त धन को सही और विशिष्ट मदों पर ही खर्च किया जाए।
प्राक्कलन समिति (EC) का क्या कार्य है?
प्राक्कलन समिति (EC) का मुख्य कार्य प्रशासन में दक्षता लाने के लिए वैकल्पिक नीतियों का सुझाव देना और यह सुनिश्चित करना है कि प्राक्कलनों में अंतर्निहित नीति के तहत धन सही ढंग से आवंटित किया गया है।
संसदीय समितियों के कितने प्रकार होते हैं?
संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं: तदर्थ (Ad hoc) समितियां और स्थायी (Standing) समितियां। तदर्थ समितियों का गठन विशिष्ट उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जबकि स्थायी समितियां नियमित होती हैं।
संसदीय समितियों का महत्त्व क्या है?
संसदीय समितियां कार्यपालिका पर निगरानी रखती हैं, विधेयकों की जांच करती हैं, राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाती हैं, और संसद को तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करती हैं।
लोक लेखा समिति (PAC) का गठन कब और कैसे होता है?
लोक लेखा समिति का गठन प्रतिवर्ष ‘लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य-संचालन नियम’ के नियम 308 के तहत किया जाता है। इसके सदस्य लोकसभा और राज्यसभा से चुने जाते हैं।
प्राक्कलन समिति (EC) की स्थापना कब हुई थी?
प्राक्कलन समिति की स्थापना 1950 में तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई की सिफारिश से की गई थी।
संसदीय समितियों से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
प्रमुख चुनौतियों में समितियों के पास कम विधेयक भेजे जाने, सांसदों की कम उपस्थिति, पूर्णकालिक तकनीकी विशेषज्ञता की कमी, और कम बैठकों की समस्या शामिल हैं।