Researchers at IISc have developed a new method for large-scale production of recombinant proteins; IISc के शोधकर्ताओं ने विकसित की रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन की नई विधि:

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्ताओं ने रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन के उत्पादन के लिए एक नई प्रक्रिया विकसित की है। यह विधि प्रोटीन उत्पादन की वर्तमान तकनीकों में सुधार लाने और उन्हें अधिक सुरक्षित और कुशल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नई प्रक्रिया के माध्यम से, प्रोटीन उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव और प्रगति की संभावना है।

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन क्या है?

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन संशोधित या हेरफेर किए गए प्रोटीन होते हैं, जिन्हें रि-कॉम्बिनेंट डीएनए (rDNA) द्वारा एन्कोड किया जाता है। इनका उपयोग प्रोटीन उत्पादन को बढ़ाने, जीन अनुक्रमों को संशोधित करने और उपयोगी वाणिज्यिक उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाता है।

  • rDNA: कृत्रिम रूप से बनाया गया डीएनए स्ट्रैंड है, जो दो या दो से अधिक डीएनए अणुओं के संयोजन से बनता है। यह विभिन्न प्रजातियों के डीएनए को संयोजित या स्थानांतरित करने या नए कार्यों वाले जीन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन का उत्पादन:

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन का व्यापक पैमाने पर उत्पादन बड़े बायोरिएक्टर में बैक्टीरिया, वायरस या स्तनधारी जीवों की संशोधित कोशिकाओं को विकसित करके किया जाता है। रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन में शामिल हैं: वैक्सीन एंटीजन, इंसुलिन, मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज आदि।

  • प्रमुख सूक्ष्मजीव: इस प्रोटीन के उत्पादन में सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाला सूक्ष्मजीव यीस्ट पिचिया पास्टोरिस है, जिसे अब कोमागाटेला फाफी भी कहा जाता है। यह मेथनॉल का उपयोग करके रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन का उत्पादन करता है।
  • मेथनॉल के जोखिम: हालांकि, मेथनॉल अत्यधिक ज्वलनशील और खतरनाक होता है। इसके लिए सख्त सुरक्षा सावधानियों की आवश्यकता होती है।

नई उत्पादन विधि:

शोधकर्ताओं ने अब एक वैकल्पिक सुरक्षित उत्पादन प्रक्रिया विकसित की है। यह प्रक्रिया मोनो-सोडियम ग्लूटामेट (MSG) नामक एक सामान्य खाद्य योजक पर निर्भर करती है।

  • एस्चेरिकिया कोलाई (ई. कोलाई): इस सूक्ष्मजीव के आनुवंशिक लक्षणों के बारे में अच्छी तरह से पता होने, उसके तेजी से विकास करने और उच्च उत्पादन करने जैसे गुणों के कारण यह रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन उत्पादन के लिए पसंदीदा सूक्ष्मजीवों में से एक है।

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन के उपयोग:

  • बायोथेराप्यूटिक्स का उत्पादन: इंसुलिन, ग्रोथ हॉर्मोन, मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज आदि का उत्पादन।
  • वेक्टर टीकों का विकास: ये टीके पारंपरिक टीकों की तुलना में अधिक सुरक्षित माने जाते हैं क्योंकि इनमें जीवित रोगजनक नहीं होते हैं।
  • कृषि: आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के विकास, पशु आहार पोषण में वृद्धि आदि के लिए।
  • पर्यावरण: जैवोपचार की प्रक्रिया में उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में पर्यावरण में प्रदूषकों को विखंडित करने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग किया जाता है।

नई विधि के फायदे:

इस नई विधि से कई महत्वपूर्ण फायदे हैं:

  • सुरक्षा: मेथनॉल के बजाय मोनो-सोडियम ग्लूटामेट का उपयोग अधिक सुरक्षित है, जिससे उत्पादन प्रक्रिया में जोखिम कम होता है।
  • कुशलता: यह विधि उच्च उत्पादन दर और गुणवत्ता प्रदान करती है, जिससे प्रोटीन उत्पादन की लागत और समय दोनों में कमी आती है।
  • प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग: यह विधि प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयोग करती है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष:

IISc के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई यह नई विधि रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन उत्पादन में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। यह विधि न केवल उत्पादन प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित बनाती है बल्कि उत्पादन की लागत और समय को भी कम करती है। इससे चिकित्सा, कृषि और पर्यावरण में महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

FAQs:

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन क्या है?

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन संशोधित या हेरफेर किए गए प्रोटीन होते हैं, जिन्हें रि-कॉम्बिनेंट डीएनए (rDNA) द्वारा एन्कोड किया जाता है। इनका उपयोग प्रोटीन उत्पादन को बढ़ाने, जीन अनुक्रमों को संशोधित करने और उपयोगी वाणिज्यिक उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाता है।

IISc के शोधकर्ताओं ने किस नई विधि का विकास किया है?

IISc के शोधकर्ताओं ने रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक नई विधि विकसित की है, जो मोनो-सोडियम ग्लूटामेट (MSG) नामक एक सामान्य खाद्य योजक पर निर्भर करती है, जो मेथनॉल के उपयोग की तुलना में अधिक सुरक्षित और कुशल है।

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन का उत्पादन कैसे किया जाता है?

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन का उत्पादन बड़े बायोरिएक्टर में बैक्टीरिया, वायरस या स्तनधारी जीवों की संशोधित कोशिकाओं को विकसित करके किया जाता है। इनमें प्रमुख रूप से यीस्ट पिचिया पास्टोरिस और एस्चेरिचिया कोलाई (ई. कोलाई) का उपयोग किया जाता है।

रि-कॉम्बिनेंट डीएनए (rDNA) क्या है?

रि-कॉम्बिनेंट डीएनए (rDNA) कृत्रिम रूप से बनाया गया डीएनए स्ट्रैंड है, जो दो या दो से अधिक डीएनए अणुओं के संयोजन से बनता है। यह विभिन्न प्रजातियों के डीएनए को संयोजित या स्थानांतरित करने या नए कार्यों वाले जीन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन के उपयोग क्या हैं?

रि-कॉम्बिनेंट प्रोटीन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है:
बायोथेराप्यूटिक्स: इंसुलिन, ग्रोथ हॉर्मोन, मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज आदि का उत्पादन।
वेक्टर टीके: पारंपरिक टीकों की तुलना में अधिक सुरक्षित माने जाते हैं क्योंकि इनमें जीवित रोगजनक नहीं होते हैं।
कृषि: आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के विकास, पशु आहार पोषण में वृद्धि आदि के लिए।
पर्यावरण: जैवोपचार की प्रक्रिया में उपयोग किया जाता है, जिसमें पर्यावरण में प्रदूषकों को विखंडित करने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग किया जाता है।

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