हर साल 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिकल सेल एनीमिया (SCA) या सिकल सेल रोग (SCD) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। वर्ष 2024 का विषय “प्रगति के माध्यम से आशा: सिकल सेल देखभाल को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाना” है।
सिकल सेल एनीमिया (SCA) क्या है?
सिकल सेल एनीमिया एक वंशानुगत विकार है जो सिकल सेल रोग के अंतर्गत आता है। यह विकार शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं के आकार को प्रभावित करता है। सामान्यत: लाल रक्त कोशिकाएँ गोल और लचीली होती हैं, जिससे वे रक्त वाहिकाओं में आसानी से प्रवाहित होती हैं। लेकिन सिकल सेल एनीमिया में, कुछ लाल रक्त कोशिकाएँ दरांती या अर्धचंद्राकार आकार की हो जाती हैं। ये कोशिकाएँ कठोर और चिपचिपी हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह धीमा या अवरुद्ध हो सकता है।
सिकल सेल एनीमिया के लक्षण:
सिकल सेल रोग के सामान्य लक्षणों में एनीमिया, पीलिया, यकृत और प्लीहा की वृद्धि शामिल हैं। गंभीर मामलों में, रोगियों में दुर्बल करने वाली आर्थोपेडिक स्थितियां होती हैं जिन्हें फीमर का एवैस्कुलर नेक्रोसिस कहा जाता है। इसके अलावा, हाथ-पैर में सूजन, बार-बार संक्रमण, शारीरिक विकास में मंदता और दृष्टि संबंधी समस्याएं भी होती हैं।
- एनीमिया: यह रोग लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होता है, जिससे थकान और कमजोरी महसूस होती है।
- पीलिया: इसमें रोगी की त्वचा और आंखों का सफेद हिस्सा पीला हो जाता है।
- यकृत और प्लीहा की वृद्धि: इन अंगों का आकार बढ़ जाता है, जिससे पेट में दर्द हो सकता है।
- आर्थोपेडिक स्थितियां: फीमर का एवैस्कुलर नेक्रोसिस जैसी स्थितियां रोगी को कमजोर कर सकती हैं।
- हाथ-पैर में सूजन: इस रोग के कारण हाथ और पैर में सूजन हो सकती है।
- बार-बार संक्रमण: रोगियों का इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण वे बार-बार बीमार पड़ सकते हैं।
- शारीरिक विकास में मंदता: बच्चों में शारीरिक विकास धीमा हो सकता है।
- दृष्टि संबंधी समस्याएं: आँखों की समस्याएं भी हो सकती हैं।
सिकल सेल एनीमिया का प्रभाव:
सामान्यत: लगभग 120 दिनों तक जीवित रहने वाली लाल रक्त कोशिकाएँ सिकल सेल एनीमिया की स्थिति में लगभग 10 से 20 दिनों में ही मर जाती हैं, जिससे लाल रक्त कोशिकाओं की कमी (Hemolysis) हो जाती है। गंभीर हेमोलिसिस से लगातार एनीमिया की स्थिति में बाद के चरणों में अन्य अंगों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हो सकती है। इस रोग का प्रभाव इतना गंभीर हो सकता है कि यह हृदय, फेफड़े, यकृत, किडनी और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
सिकल सेल एनीमिया का उपचार:
वर्तमान में सिकल सेल रोग का कोई पूर्ण उपचार नहीं है। हालांकि, भारत इस रोग के उपचार के लिए जीन थेरेपी विकसित करने का प्रयास कर रहा है।
- हाइड्रोक्सीयूरिया: यह दवा सिकल सेल एनीमिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है।
- रक्त आधान: यह प्रक्रिया एनीमिया को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
- बोन मैरो ट्रांसप्लांट: फिलहाल वर्तमान में यह सिकल सेल रोग का एकमात्र उपचार है, लेकिन यह हर मरीज के लिए उपयुक्त या उपलब्ध नहीं होता है।
- जीन थेरेपी: यह उपचार विकल्प उभरता हुआ है और इसके माध्यम से रोगियों को दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है।
भारत में सिकल सेल एनीमिया की स्थिति:
दक्षिण एशिया में सिकल सेल रोग का सबसे ज़्यादा प्रसार भारत में है। इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, भारत में 20 मिलियन से अधिक व्यक्ति सिकल सेल रोग से पीड़ित हैं। SCA के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की अनुमानित संख्या के मामले में भारत दूसरा सबसे प्रभावित देश है। भारत में आदिवासी आबादी के बीच इसका व्यापक प्रभाव देखा जाता है, जहाँ लगभग प्रति 86 में से 1 बच्चा SCD के साथ जन्म लेता है। भारत में छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात, ओडिशा, केरल और राजस्थान राज्यों में SCD का व्यापक प्रभाव है। इन राज्यों को सिकल सेल बेल्ट कहा जाता है।
भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
भारत सरकार ने सिकल सेल रोग के प्रबंधन और उन्मूलन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन: केंद्रीय बजट 2023 में घोषित इस मिशन की शुरुआत जुलाई 2023 में मध्य प्रदेश से की गई थी। इसका उद्देश्य सभी SCD रोगियों को सस्ती और सुलभ देखभाल का प्रावधान करना, देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और SCD की व्यापकता को कम करना है। लक्ष्य है कि 2047 तक भारत से सिकल सेल एनीमिया को खत्म करना।
CRISPR-Cas9 जीन थेरेपी: इस मिशन में CRISPR-Cas9 तकनीक का उपयोग करके जीन थेरेपी विकसित करना भी शामिल है। यह प्रणाली आनुवंशिक विकारों के उपचार के लिए सबसे तेज़ और बहुमुखी साधन मानी जाती है। CRISPR-Cas9 प्रणाली में एक एंजाइम होता है जो आणविक कैंची की तरह व्यवहार करता है। इसे एक सटीक स्थान पर डीएनए के टुकड़े को काटने के लिए निर्देशित किया जा सकता है।
SCD सहायता कॉर्नर: जनजातीय मामलों के मंत्रालय (MoTA) ने जनजातीय क्षेत्रों में रोगियों और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के बीच अंतर को पाटने के लिए सिकल सेल रोग सहायता कॉर्नर की शुरुआत की है। यह पोर्टल एक वेब-आधारित रोगी संचालित पंजीकरण प्रणाली प्रदान करता है जो भारत में आदिवासी लोगों के बीच SCD से संबंधित सभी जानकारी एकत्र करता है।
SCD राष्ट्रीय परिषद: समय पर और प्रभावी कार्रवाई के लिए सिकल सेल रोग पर राष्ट्रीय परिषद का गठन भी किया गया है।
विशेष कार्ड: बजट 2023-24 में, सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों को ‘विशेष कार्ड’ वितरित करने की अपनी योजना की घोषणा की। स्क्रीनिंग परिणामों के आधार पर कार्डों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा। इस मिशन को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत वित्त पोषण प्राप्त होगा।
निष्कर्ष:
सिकल सेल रोग एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन इसके प्रति जागरूकता और उचित उपचार के प्रयासों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। भारत सरकार और अन्य संस्थाओं के प्रयासों से इस रोग की पहचान, उपचार और प्रबंधन में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।
विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस हमें इस रोग के बारे में जागरूक रहने और इसके खिलाफ लड़ाई में सहयोग करने की प्रेरणा देता है। सिकल सेल रोग के मरीजों को बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा।
FAQs:
सिकल सेल रोग क्या है?
सिकल सेल रोग एक वंशानुगत विकार है जो लाल रक्त कोशिकाओं के आकार को प्रभावित करता है, जिससे वे दरांती या अर्धचंद्राकार हो जाती हैं और रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती हैं।
सिकल सेल एनीमिया के लक्षण क्या हैं?
सिकल सेल एनीमिया के लक्षणों में एनीमिया, पीलिया, यकृत और प्लीहा की वृद्धि, हाथ-पैर में सूजन, बार-बार संक्रमण, शारीरिक विकास में मंदता, और दृष्टि संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
सिकल सेल रोग का उपचार क्या है?
सिकल सेल रोग का पूर्ण उपचार नहीं है, लेकिन हाइड्रोक्सीयूरिया, रक्त आधान, बोन मैरो ट्रांसप्लांट और जीन थेरेपी जैसे विकल्पों से लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है।
भारत में सिकल सेल रोग का प्रसार कितना है?
भारत में सिकल सेल रोग का प्रसार दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है। इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, भारत में 20 मिलियन से अधिक लोग सिकल सेल रोग से पीड़ित हैं।
भारत सरकार सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिए क्या कदम उठा रही है?
भारत सरकार ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू किया है, जिसमें सस्ती और सुलभ देखभाल, गुणवत्तापूर्ण उपचार, और CRISPR-Cas9 जीन थेरेपी विकसित करने के प्रयास शामिल हैं।
सिकल सेल रोग से कौन से राज्य सबसे अधिक प्रभावित हैं?
भारत में छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात, ओडिशा, केरल और राजस्थान राज्यों में सिकल सेल रोग का व्यापक प्रभाव है।