दक्षिण अफ्रीका में निर्मित स्क्वायर किलोमीटर ऐरे ऑब्ज़र्वेटरी (SKAO) का एक प्रोटोटाइप टेलिस्कोप, जिसे SKA-Mid प्रोटोटाइप (SKAMPI) कहा जाता है, ने पहली बार प्रकाश को कैप्चर करके इमेज जारी कर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। किसी नए खगोलीय उपकरण (जैसे टेलिस्कोप) द्वारा पहली बार प्रकाश को कैप्चर करके उससे अपेक्षित इमेज प्राप्त करने को ही ‘फर्स्ट लाइट’ कहा जाता है। यह उपलब्धि खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
स्क्वायर किलोमीटर ऐरे ऑब्ज़र्वेटरी (SKAO):
स्क्वायर किलोमीटर ऐरे ऑब्ज़र्वेटरी (SKAO) एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो पांच महाद्वीपों के सदस्य देशों और भागीदारों से मिलकर बना है। इसका मुख्यालय यूनाइटेड किंगडम में स्थित है। इसके नौ सदस्य देश हैं:
नीदरलैंड | पुर्तगाल | दक्षिण अफ्रीका |
स्पेन | स्विट्जरलैंड | यूनाइटेड किंगडम |
ऑस्ट्रेलिया | चीन | इटली |
संभावित सदस्य बनने वाले देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और स्वीडन शामिल हैं। SKAO का उद्देश्य अत्याधुनिक रेडियो टेलिस्कोप का निर्माण और संचालन करना है।
SKAO के टेलिस्कोप्स:
SKAO के तहत वर्तमान में दो टेलिस्कोप ऑस्ट्रेलिया के मर्चिसन शायर और दक्षिण अफ्रीका के कारू में निर्माणाधीन हैं। ये टेलिस्कोप दो अलग-अलग आवृत्ति वाली रेडियो रेंज को कवर करेंगे। इन्हें रेडियो क्वाइट जोन्स में स्थापित किया जा रहा है, जिससे मानवजनित रेडियो तरंगों से इनके कार्यों में कोई बाधा न पहुंचे।
इंटरफेरोमेट्री तकनीक:
इंटरफेरोमेट्री की मदद से दोनों SKA टेलिस्कोप्स को एक विशाल वर्चुअल टेलिस्कोप के रूप में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इंटरफेरोमेट्री के तहत काफी संख्या में छोटे आकार के एंटेना को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क द्वारा एक साथ कनेक्ट किया जाता है, जिससे एक अत्यधिक संवेदनशील और विस्तृत अवलोकन संभव हो पाता है।
SKAO के उद्देश्य:
SKAO के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- ब्रह्मांड की उत्पत्ति का पता लगाना: SKA टेलिस्कोप ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास के रहस्यों को उजागर करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
- गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाना: ये तरंगें स्पेस-टाइम में अदृश्य लहरें होती हैं, जो ब्रह्मांड में सबसे विशाल और ऊर्जावान घटनाओं के कारण उत्पन्न होती हैं।
- आकाशगंगाओं, डार्क मैटर और ब्रह्मांडीय चुंबकत्व के विकास को समझना: SKA टेलिस्कोप इन प्रमुख खगोलीय घटनाओं और संरचनाओं के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
भारत और SKAO:
भारत SKAO का सदस्य बनने की प्रक्रिया में है और इसके निर्माण चरण के लिए लगभग 1250 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। इसे परमाणु ऊर्जा विभाग (लीड एजेंसी) तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से वित्त-पोषित किया जाएगा। भारत ने SKA टेलिस्कोप्स के निर्माण से पहले के चरण में सक्रिय रूप से योगदान दिया है।
SKA में भारत की भागीदारी से भारतीय उद्योग और अनुसंधान संगठनों को निम्नलिखित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आवश्यक कौशल हासिल होगा:
- आधुनिक एंटेना डिजाइन करने में: SKA टेलिस्कोप्स के लिए अत्याधुनिक एंटेना तकनीक विकसित करना।
- हाई परफॉर्मेंस सुपर-कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों में: SKA प्रोजेक्ट में शामिल होने से भारत को उच्च प्रदर्शन सुपर-कंप्यूटिंग के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
SKA-Mid प्रोटोटाइप की फर्स्ट लाइट:
SKA-Mid प्रोटोटाइप (SKAMPI) द्वारा पहली बार प्रकाश को कैप्चर करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसने अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए उच्च गुणवत्ता वाली इमेज जारी की है, जो भविष्य में खगोल विज्ञान में नई खोजों का मार्ग प्रशस्त करेगी। फर्स्ट लाइट का मतलब है कि नए खगोलीय उपकरण ने पहली बार सफलतापूर्वक काम किया है और अपेक्षित इमेज प्रदान की है।
निष्कर्ष:
स्क्वायर किलोमीटर ऐरे (SKA) प्रोटोटाइप टेलिस्कोप द्वारा पहली बार प्रकाश को कैप्चर करना और इमेज जारी करना खगोल विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। SKAO का उद्देश्य अत्याधुनिक रेडियो टेलिस्कोप का निर्माण और संचालन करना है, जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति, गुरुत्वाकर्षण तरंगों, आकाशगंगाओं, डार्क मैटर और ब्रह्मांडीय चुंबकत्व के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान देगा। भारत की SKAO में भागीदारी से भारतीय उद्योग और अनुसंधान संगठनों को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आवश्यक कौशल प्राप्त होगा, जो भविष्य के खगोल विज्ञान अनुसंधान और अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण होगा।
FAQs:
SKA प्रोटोटाइप टेलिस्कोप क्या है?
SKA प्रोटोटाइप टेलिस्कोप, जिसे SKA-Mid प्रोटोटाइप (SKAMPI) कहा जाता है, एक अत्याधुनिक रेडियो टेलिस्कोप है जिसे स्क्वायर किलोमीटर ऐरे ऑब्ज़र्वेटरी (SKAO) द्वारा दक्षिण अफ्रीका में निर्मित किया गया है। इसका उद्देश्य खगोल विज्ञान में नई खोजों को संभव बनाना है।
‘फर्स्ट लाइट’ का क्या मतलब है?
‘फर्स्ट लाइट’ का मतलब है कि किसी नए खगोलीय उपकरण, जैसे टेलिस्कोप, ने पहली बार सफलतापूर्वक प्रकाश को कैप्चर किया और अपेक्षित इमेज प्रदान की। यह किसी भी खगोलीय उपकरण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
SKAO के सदस्य देश कौन-कौन से हैं?
SKAO के नौ सदस्य देश हैं: ऑस्ट्रेलिया, चीन, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्विट्जरलैंड और यूनाइटेड किंगडम।
इंटरफेरोमेट्री क्या है?
इंटरफेरोमेट्री एक तकनीक है जिसके तहत कई छोटे आकार के एंटेना को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क द्वारा एक साथ कनेक्ट किया जाता है। इसका उद्देश्य एक विशाल वर्चुअल टेलिस्कोप का निर्माण करना है जो अत्यधिक संवेदनशील और विस्तृत अवलोकन कर सके।
SKAO के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
SKAO के मुख्य उद्देश्य हैं:
ब्रह्मांड की उत्पत्ति का पता लगाना
गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाना
आकाशगंगाओं, डार्क मैटर और ब्रह्मांडीय चुंबकत्व के विकास को समझना