Space Debris Challenge: Rising Concerns After RESURS-P1 Satellite Breakup; अंतरिक्ष मलबा: रूसी उपग्रह RESURS-P1 के टूटने से बढ़ी चुनौती

हाल ही में, रूस का RESURS-P1 उपग्रह अंतरिक्ष में निष्क्रिय अवस्था में था और यह कई टुकड़ों में टूट गया है। इससे कक्षा में अंतरिक्ष मलबा बढ़ गया है। RESURS-P1 एक भू-प्रेक्षण (Earth observation) उपग्रह था जिसे जून 2013 में लॉन्च किया गया था।

अंतरिक्ष मलबे (Space Debris) या अंतरिक्ष कबाड़ (Space Junk) के बारे में:

अंतरिक्ष मलबे को अंतरिक्ष कबाड़ भी कहा जाता है। इनमें प्रयुक्त रॉकेट के अलग-अलग चरण, अनुपयोगी उपग्रह, अंतरिक्ष से जुड़े ऑब्जेक्ट्स के टुकड़े तथा एंटी-सैटेलाइट वेपन्स (ASAT) से उत्पन्न मलबे शामिल होते हैं। इनके पृथ्वी की कक्षा व उसके वायुमंडल में पुनः प्रवेश का जोखिम बना रहता है।

  • पृथ्वी से 800-1000 किमी की ऊंचाई पर और लगभग 1400 किमी के निकट मलबे की साद्रता अधिकतम होती है। ये मलबे निम्न-भू कक्षा (LEO) में लगभग 27,000 किमी प्रति घंटे की औसत गति से पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं।
  • अधिकांश मलबा कक्षा में मौजूद किसी ऑब्जेक्ट (उपग्रह आदि) के टुकड़े होने तथा मलबे के ही आपस में टकराने से उत्पन्न होता है।

अंतरिक्ष मलबे से जुड़े जोखिम:

परिचालन संबंधी जोखिम: अंतरिक्ष मलबा सक्रिय अंतरिक्ष यान और उपग्रहों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। मलबे की उच्च गति और उनकी अनियमित कक्षीय पथों के कारण, वे कार्यशील उपग्रहों के साथ टकरा सकते हैं, जिससे महत्वपूर्ण तकनीकी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। केसलर सिंड्रोम से यह जोखिम और भी बढ़ जाता है।

केसलर सिंड्रोम: यह एक ऐसी परिघटना है जिसमें पृथ्वी की कक्षा में मलबों की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि उनके टकराव का विनाशकारी चक्र आरंभ हो जाता है। इसके तहत प्रत्येक टकराव से निर्मित अंतरिक्ष मलबे से आगे टकराव की संभावना बढ़ती जाती है।

अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन को खतरा: निम्न भू-कक्षा में मलबे की गति की दर और मात्रा के कारण अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा पैदा हो गया है। मलबे के साथ टकराव से ISS और उसके अंदर के अंतरिक्ष यात्रियों को गंभीर जोखिम हो सकता है।

अंतरिक्ष में उपग्रहों के रखरखाव की लागत में वृद्धि: अंतरिक्ष एजेंसियों को अंतरिक्ष मलबे से उपग्रहों आदि को बचाने के लिए टकराव बचाव उपाय (Collision Avoidance Manoeuvres: CAMs) करने पड़ते हैं।

अंतरिक्ष मलबे से बचाव के लिए शुरू की गई पहलें:

वैश्विक स्तर पर शुरू की गई पहलें

  • अंतर-एजेंसी मलबा समन्वय समिति (IADC): IADC की स्थापना 1993 में हुई थी और इसका उद्देश्य अंतरिक्ष मलबे के मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय समन्वय को बढ़ावा देना है। इसके तहत विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियां मलबा शमन के उपायों पर काम कर रही हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र अंतरिक्ष मलबा शमन दिशा-निर्देश: UN-COPUOS द्वारा तैयार किए गए ये दिशा-निर्देश बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये दिशा-निर्देश अंतरिक्ष मलबे के निर्माण को कम करने और इसके प्रबंधन में सहायता करते हैं।
  • जीरो डेब्री चार्टर: जीरो डेब्री चार्टर पर 12 देशों (ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस आदि) ने हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष मलबे के निर्माण को रोकने और इसे नियंत्रित करने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देना है।

भारत में शुरू की गई पहलें

  • मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन (Debris Free Space Missions: DFSM): 2030 तक मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया गया है।
  • IS4OM (ISRO System for Safe and Sustainable Operations Management): वर्ष 2022 में स्थापित किया गया था। यह टकराव के खतरे वाले ऑब्जेक्ट्स की लगातार निगरानी करने और अंतरिक्ष मलबों से उत्पन्न जोखिम को कम करने के लिए उत्तरदायी है।
  • स्पेस सीटुएशनल अवेयरनेस कंट्रोल सेंटर (SSACC) स्थापित किया गया है।
  • नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (NETRA): इसरो इस प्रोजेक्ट के तहत नए रडार और ऑप्टिकल टेलीस्कोप तैनात कर रहा है।

निष्कर्ष:

रूस का RESURS-P1 उपग्रह के कई टुकड़ों में खंडित होने से अंतरिक्ष के मलबे में वृद्धि हुई है। यह घटना अंतरिक्ष मलबे के खतरों को उजागर करती है और इसे नियंत्रित करने के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को दर्शाती है। अंतरिक्ष मलबे के कारण उत्पन्न जोखिमों को कम करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियों और देशों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही पहलों के माध्यम से हम अंतरिक्ष को सुरक्षित और टिकाऊ बना सकते हैं।

FAQs:

RESURS-P1 उपग्रह क्या था?

RESURS-P1 एक भू-प्रेक्षण (Earth observation) उपग्रह था जिसे जून 2013 में रूस द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य पृथ्वी की सतह की निगरानी और डेटा एकत्र करना था।

अंतरिक्ष मलबे से क्या जोखिम होते हैं?

अंतरिक्ष मलबा सक्रिय अंतरिक्ष यान और उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकता है, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा पैदा कर सकता है, और केसलर सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिसमें मलबों का टकराव विनाशकारी चक्र में बदल जाता है।

केसलर सिंड्रोम क्या है?

यह एक ऐसी परिघटना है जिसमें पृथ्वी की कक्षा में मलबों की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि उनके टकराव का विनाशकारी चक्र आरंभ हो जाता है। इसके तहत प्रत्येक टकराव से निर्मित अंतरिक्ष मलबे से आगे टकराव की संभावना बढ़ती जाती है।

अंतरिक्ष मलबे से बचाव के लिए कौन-कौन सी वैश्विक पहलें शुरू की गई हैं?

अंतर-एजेंसी मलबा समन्वय समिति (IADC), संयुक्त राष्ट्र अंतरिक्ष मलबा शमन दिशा-निर्देश, और जीरो डेब्री चार्टर जैसी पहलें अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन और शमन के लिए शुरू की गई हैं।

भारत में अंतरिक्ष मलबे से निपटने के लिए कौन-कौन सी पहलें शुरू की गई हैं?

भारत में मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन (DFSM), ISRO System for Safe and Sustainable Operations Management (IS4OM), स्पेस सीटुएशनल अवेयरनेस कंट्रोल सेंटर (SSACC), और नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (NETRA) जैसी पहलें शुरू की गई हैं।

Sharing Is Caring:

Leave a comment