स्पेन ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का 99वां सदस्य बनने का गौरव प्राप्त किया है। यह कदम सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम ISA के उद्देश्य, उत्पत्ति, महत्व और इसकी प्रमुख पहलों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के बारे में:
उद्देश्य:
ISA एक संधि-आधारित अंतर-सरकारी संगठन है जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग के लिए एक कार्य-उन्मुख, सदस्य-संचालित और सहयोगी मंच प्रदान करना है। इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और इससे जुड़े आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों को साझा करना है।
उत्पत्ति:
ISA की स्थापना 2015 में भारत और फ्रांस द्वारा पेरिस में संपन्न हुए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के CoP-21 के अवसर पर की गई थी। इसे आधिकारिक तौर पर 2017 में ISA फ्रेमवर्क समझौते के लागू होने के साथ स्थापित किया गया था। 2020 में इसके फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन किया गया था, जिससे संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश ISA में शामिल होने के लिए पात्र हो गए हैं।
मुख्य रणनीति:
ISA की रणनीति ‘Towards 1000 Strategy’ से मार्गदर्शन प्राप्त करती है। इसके तहत ISA के निम्नलिखित लक्ष्य हैं:
- 2030 तक सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में 1,000 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश जुटाना।
- स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से 1,000 मिलियन लोगों को ऊर्जा उपलब्ध कराना।
- 1,000 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करना।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यवेक्षक दर्जा:
2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ISA को पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया था, जिससे इसे वैश्विक स्तर पर अधिक मान्यता और सहयोग प्राप्त हुआ।
मुख्यालय:
ISA का मुख्यालय हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है। यह संगठन सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
ISA का महत्व:
ISA सौर ऊर्जा के जरिए जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, वित्त जुटाना आदि की सुविधा प्रदान करता है। ISA के साथ-साथ ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस और कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी पहलें भारत के लिए अपनी सॉफ्ट पावर को प्रदर्शित करने का मंच हैं।
ISA द्वारा शुरू की गई पहलें:
वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG):
इस पहल का उद्देश्य अलग-अलग क्षेत्रीय ग्रिड्स को एक कॉमन ग्रिड से जोड़ना है। इस कॉमन ग्रिड का उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की आपूर्ति करने के लिए किया जाएगा। साथ ही, इससे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (विशेष रूप से सौर ऊर्जा) की क्षमता का उपयोग किया जा सकेगा।
ग्लोबल सोलर फैसिलिटी (GSF):
इसका उद्देश्य संपूर्ण अफ्रीका में वंचित समुदायों और भौगोलिक क्षेत्रों में सौर ऊर्जा संबंधी निवेश को बढ़ावा देना है। GSF के माध्यम से सौर ऊर्जा की पहुंच और प्रभाव को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
सोलर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन रिसोर्स सेंटर (STAR-C) इनिशिएटिव:
इस पहल का उद्देश्य क्षमता निर्माण प्रयासों का समर्थन करना है। STAR-C के माध्यम से सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की क्षमता और उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
ISA सदस्य देशों के क्लस्टर/समूह में सोलर पार्क कॉन्सेप्ट के तहत बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास किया जा रहा है। यह पहलें सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष:
स्पेन का ISA का सदस्य बनना सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक ऊर्जा स्थिरता में सुधार होगा। ISA के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी सदस्य देशों को मिलकर कार्य करना होगा और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
ISA की पहलें और इसकी रणनीतियाँ सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके माध्यम से सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना संभव होगा। ISA के साथ मिलकर काम करना सदस्य देशों के लिए लाभदायक होगा और इससे वैश्विक ऊर्जा संकट का समाधान हो सकेगा।
FAQs:
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) एक संधि-आधारित अंतर-सरकारी संगठन है जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग के लिए एक कार्य-उन्मुख, सदस्य-संचालित और सहयोगी मंच प्रदान करना है। इसका मुख्यालय हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है।
ISA की स्थापना कब और कैसे हुई?
ISA की स्थापना 2015 में भारत और फ्रांस द्वारा पेरिस में संपन्न हुए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के CoP-21 के अवसर पर की गई थी। इसे आधिकारिक तौर पर 2017 में ISA फ्रेमवर्क समझौते के लागू होने के साथ स्थापित किया गया था।
ISA का उद्देश्य क्या है?
ISA का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और इससे जुड़े आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों को साझा करना है।
ISA के प्रमुख कार्यक्रम और पहलें क्या हैं?
ISA की प्रमुख पहलें शामिल हैं: वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG), ग्लोबल सोलर फैसिलिटी (GSF), और सोलर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन रिसोर्स सेंटर (STAR-C) इनिशिएटिव। इन पहलों का उद्देश्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना, तकनीकी सहयोग को बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा की पहुंच को बढ़ाना है।
ISA का ‘टुवर्ड्स 1000 स्ट्रेटेजी’ क्या है?
‘टुवर्ड्स 1000 स्ट्रेटेजी’ ISA की एक प्रमुख रणनीति है, जिसका उद्देश्य 2030 तक सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में 1,000 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश जुटाना, 1,000 मिलियन लोगों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराना और 1,000 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है।
ISA के सदस्य देशों को क्या लाभ मिलते हैं?
ISA के सदस्य देशों को सौर ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश, तकनीकी सहयोग, ज्ञान और अनुभव का आदान-प्रदान, और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलती है। इसके अलावा, सदस्य देशों को वैश्विक ऊर्जा संकट का समाधान खोजने में भी सहयोग प्राप्त होता है।
ISA के फ्रेमवर्क समझौते में 2020 में क्या संशोधन किए गए?
2020 में ISA के फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन किया गया, जिससे संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश ISA में शामिल होने के लिए पात्र हो गए। इस संशोधन का उद्देश्य ISA की सदस्यता को व्यापक बनाना और वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है।