2024 के लोक सभा चुनाव के नतीजे आने के बाद, बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य फिर से ‘विशेष श्रेणी राज्य के दर्जे (Special Category Status – SCS)’ की मांग कर सकते हैं। इस मांग का मुख्य उद्देश्य इन राज्यों के विकास में तेजी लाना और उन्हें आर्थिक सहयोग प्रदान करना है। SCS एक ऐसा दर्जा है जो केंद्र सरकार द्वारा उन राज्यों को दिया जाता है जो भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे होते हैं।
विशेष श्रेणी राज्य के दर्जे (SCS) के बारे में:
विशेष श्रेणी राज्य (SCS) केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को प्रदान किया जाने वाला एक विशेष दर्जा है। यह दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है जो भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे होते हैं, ताकि उनके विकास में मदद मिल सके।
SCS की शुरुआत 1969 में 5वें वित्त आयोग की सिफारिश पर की गई थी। 1969 में, तीन राज्यों को SCS का दर्जा दिया गया था: जम्मू और कश्मीर, असम, और नागालैंड। वर्तमान में, 11 राज्यों को SCS का दर्जा प्राप्त है, जो हैं: असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना।
SCS राज्यों को गाडगिल-मुखर्जी फार्मूले के आधार पर अनुदान प्रदान किया जाता है। भारत के संविधान में कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान (अनुच्छेद 371, 371A से 371H और 371J) किए गए हैं, लेकिन संविधान किसी भी राज्य को SCS के रूप में वर्गीकृत नहीं करता है।
14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार अब किसी भी राज्य को SCS प्रदान नहीं किया जाना चाहिए। इसके बाद से किसी भी नए राज्य को SCS का दर्जा नहीं मिला है। ध्यान देने योग्य है कि पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए वर्तमान विशेष वित्त-पोषण पैटर्न इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के उप-समूहों की सिफारिशों पर आधारित है, न कि उनके SCS दर्जे पर।
राज्यों को SCS दर्जा देने के लाभ:
SCS राज्यों के मामले में, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को 90:10 के अनुपात में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जबकि सामान्य श्रेणी के राज्यों में यह अनुपात 60:40 या 80:20 होता है।
खर्च न किए गए धन के मामले में, SCS राज्यों को आगामी वित्त वर्षों में इसे खर्च करने की अनुमति होती है, जिससे उन्हें यह राशि केंद्र को वापस नहीं करनी पड़ती है।
SCS राज्यों को नए उद्योग स्थापित करने और निवेश आकर्षित करने के लिए उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर पर भी महत्वपूर्ण रियायतें मिलती हैं।
बिहार और आंध्र प्रदेश की मांग:
बिहार और आंध्र प्रदेश दोनों ही राज्यों ने पिछले कुछ वर्षों में SCS की मांग को लेकर संघर्ष किया है। इन राज्यों का तर्क है कि विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा मिलने से उन्हें केंद्र से अधिक वित्तीय सहायता मिलेगी, जिससे उनके विकास को गति मिलेगी। विशेष रूप से, बिहार जैसे राज्य जहां सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन उच्च स्तर पर है, SCS का दर्जा प्राप्त करने से बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान मिल सकता है।
निष्कर्ष:
विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा एक महत्वपूर्ण आर्थिक साधन है, जो राज्यों को उनके विकास में मदद करता है। बिहार और आंध्र प्रदेश की मांग को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि इन राज्यों को SCS का दर्जा मिलने से उन्हें आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा। 2024 के चुनाव के परिणाम और नई सरकार की नीतियों पर निर्भर करेगा कि इन राज्यों की मांग पूरी होती है या नहीं।
इस विषय पर राज्य सरकारों, नीति निर्माताओं और जनता के बीच व्यापक चर्चा होनी चाहिए ताकि एक संतुलित और न्यायसंगत निर्णय लिया जा सके।
FAQs:
विशेष श्रेणी राज्य (SCS) का दर्जा क्या है?
विशेष श्रेणी राज्य (Special Category Status – SCS) एक ऐसा दर्जा है जो केंद्र सरकार द्वारा उन राज्यों को दिया जाता है जो भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे होते हैं। इस दर्जे के तहत, इन राज्यों को विशेष वित्तीय और अन्य लाभ मिलते हैं।
SCS की शुरुआत कब और कैसे हुई थी?
SCS की शुरुआत 1969 में 5वें वित्त आयोग की सिफारिश पर की गई थी। 1969 में, तीन राज्यों को SCS प्रदान किया गया था: जम्मू और कश्मीर, असम, और नागालैंड।
वर्तमान में किन राज्यों को SCS का दर्जा प्राप्त है?
वर्तमान में 11 राज्यों को SCS का दर्जा प्राप्त है। ये राज्य हैं: असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना।
SCS राज्य बनने के क्या लाभ हैं?
SCS राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 90:10 के अनुपात में वित्तीय सहायता मिलती है। इन्हें नए उद्योग स्थापित करने और निवेश आकर्षित करने के लिए उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर पर रियायत मिलती है। इसके अलावा, ये राज्य खर्च न किए गए धन को अगले वित्त वर्षों में भी खर्च कर सकते हैं।
बिहार और आंध्र प्रदेश ने SCS की मांग क्यों की है?
बिहार और आंध्र प्रदेश ने SCS की मांग इसलिए की है क्योंकि वे आर्थिक और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे हैं। विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा मिलने से उन्हें अधिक वित्तीय सहायता और अन्य लाभ मिलेंगे, जिससे उनके विकास में तेजी आएगी।