State of the Ocean Report, 2024: Warming, Acidification, and Solutions; महासागर की स्थिति रिपोर्ट, 2024: तापन, अम्लीकरण और समाधान

यूनेस्को ने हाल ही में “महासागर की स्थिति रिपोर्ट, 2024” जारी की है, जो “संयुक्त राष्ट्र-सतत विकास के लिए महासागर विज्ञान दशक (2021-2030)” से संबंधित है। यह रिपोर्ट महासागर से संबंधित वैज्ञानिक गतिविधियों पर विश्लेषण प्रदान करती है और महासागर की वर्तमान और भविष्य की स्थिति का वर्णन करती है। महासागरीय तापन, जल स्तर में वृद्धि, जल का अम्लीकरण, ऑक्सीजन की कमी और तटीय पारिस्थितिकी-तंत्र पर प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह रिपोर्ट गहराई से चर्चा करती है।

महासागर का तापन:

महासागर का तापन: महासागरीय जल अब 20 साल पहले की तुलना में दोगुनी दर से गर्म हो रहा है। महासागरीय तापमान में औसतन 1.45 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई है। भूमध्य सागर, उष्णकटिबंधीय अटलांटिक महासागर और दक्षिणी महासागर वार्मिंग हॉटस्पॉट्स के रूप में उभरे हैं, जहां तापमान में 2°C से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।

यह तापन न केवल समुद्री जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि महासागरीय धाराओं और मौसम के पैटर्न में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है। इस तेजी से बढ़ते तापमान के कारण कई समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है और इसके प्रभाव से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र भी खतरे में है।

समुद्री जल स्तर में वृद्धि:

समुद्री जल स्तर में वृद्धि: समुद्री जल स्तर में वृद्धि के लिए मुख्यतः ग्रीनलैंड और पश्चिम अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों से बर्फ का तेजी से पिघलना और कुछ हद तक महासागरीय जल का गर्म होना जिम्मेदार है।

जल स्तर में वृद्धि के कारण तटीय क्षेत्रों में बाढ़ और क्षरण की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे न केवल मानव बस्तियों पर खतरा है, बल्कि तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

महासागरीय जल का अम्लीकरण:

महासागरीय जल का अम्लीकरण: महासागरीय जल प्रतिवर्ष मानव-जनित गतिविधियों से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का लगभग 25% अवशोषित करता है। यह प्रक्रिया समुद्री जल के pH मान को कम करती है, जिससे अम्लीकरण बढ़ता है। इस सदी के अंत तक महासागरीय अम्लीकरण 100% से अधिक बढ़ जाएगा।

अम्लीकरण के परिणामस्वरूप समुद्री जीवों के लिए जीवित रहना कठिन हो जाता है। कोरल रीफ्स, शेलफिश और अन्य कैल्शियम-आधारित जीवों पर इसका विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

महासागरीय जल में ऑक्सीजन की कमी:

महासागरीय जल में ऑक्सीजन की कमी: महासागरीय जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है, जिससे हाइपोक्सिया की स्थिति उत्पन्न हो रही है। हाइपोक्सिया की स्थिति में जल में ऑक्सीजन की सांद्रता इतनी कम हो जाती है कि यह जीवों के लिए हानिकारक साबित होती है और बहुत कम जीव ऐसी स्थिति में जीवित रह पाते हैं।

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि महासागरीय तापमान में वृद्धि के चलते ही महासागरीय जल में ऑक्सीजन की कमी हो रही है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।

तटीय ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी-तंत्र पर प्रभाव:

तटीय ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी-तंत्र पर प्रभाव: मैंग्रोव, समुद्री घास और ज्वारीय दलदल पारिस्थितिकी-तंत्र गर्म और अधिक अम्लीय महासागर की स्थिति में जीवों को बचने के लिए आश्रय प्रदान करते हैं। साथ ही, यह कार्बन के महत्वपूर्ण भंडार भी हैं।

हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि ये पारिस्थितिकी-तंत्र हमेशा सुरक्षित ही रहें, क्योंकि 1970 से अब तक ये अपना 20-35% हिस्सा खो चुके हैं।

रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें:

समुद्री पारिस्थितिकी-तंत्र पर दबाव को कम करने के लिए: समुद्री स्थानिक योजना (Marine spatial planning) बनाई जानी चाहिए।

समुद्री नितल (सी-फ्लोर) के बारे में ज्ञान बढ़ाने के लिए: अधिक वैश्विक प्रयास की आवश्यकता है, क्योंकि अभी तक समुद्री नितल के 75% हिस्से की मैपिंग नहीं की जा सकी है।

“द ओशन वी वांट फॉर द फ्यूचर वी वांट” के संकल्प की ओर बढ़ने के लिए: समुद्री नीति व योजना बनाने में देशज लोगों को बेहतर ढंग से शामिल करने का प्रयास करना चाहिए।

वैश्विक महासागर के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए: इस पहल के तहत लोग सार्वभौमिक रूप से महासागर की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना कर सकेंगे और उसका उत्सव मना सकेंगे।

निष्कर्ष:

यूनेस्को की “महासागर की स्थिति रिपोर्ट, 2024” महासागरीय तापन, जल स्तर में वृद्धि, जल का अम्लीकरण, ऑक्सीजन की कमी और तटीय पारिस्थितिकी-तंत्र पर प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालती है।

यह रिपोर्ट न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आम जनता के लिए भी जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन है। महासागर की सुरक्षा और संरक्षण के लिए वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है, जिससे हम एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकें।

महासागर हमारी पृथ्वी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनकी सुरक्षा और स्थिरता के लिए हर संभव प्रयास करना आवश्यक है। यूनेस्को की यह रिपोर्ट इन प्रयासों को दिशा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

FAQs:

यूनेस्को की “महासागर की स्थिति रिपोर्ट, 2024” क्या है?

यह रिपोर्ट “संयुक्त राष्ट्र-सतत विकास के लिए महासागर विज्ञान दशक (2021-2030)” से संबंधित है और महासागर से संबंधित वैज्ञानिक गतिविधियों पर विश्लेषण प्रदान करती है। साथ ही, यह महासागर की वर्तमान और भविष्य की स्थिति का वर्णन करती है।

महासागर के तापन का क्या मतलब है?

महासागर के तापन का मतलब महासागरीय जल का गर्म होना है। रिपोर्ट के अनुसार, महासागरीय जल अब 20 साल पहले की तुलना में दोगुनी दर से गर्म हो रहा है, जिससे समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

महासागरीय जल स्तर में वृद्धि के मुख्य कारण क्या हैं?

महासागरीय जल स्तर में वृद्धि के लिए मुख्यतः ग्रीनलैंड और पश्चिम अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों से बर्फ का तेजी से पिघलना और महासागरीय जल का गर्म होना जिम्मेदार हैं।

महासागरीय जल का अम्लीकरण क्या है?

महासागरीय जल का अम्लीकरण तब होता है जब महासागर मानव-जनित गतिविधियों से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का अवशोषण करता है, जिससे जल का pH मान कम हो जाता है। इससे समुद्री जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

हाइपोक्सिया क्या है और यह महासागरीय जल में क्यों हो रही है?

हाइपोक्सिया वह स्थिति है जिसमें जल में ऑक्सीजन की सांद्रता इतनी कम हो जाती है कि यह जीवों के लिए हानिकारक साबित होती है। यह स्थिति महासागरीय जल में ऑक्सीजन की कमी के कारण उत्पन्न हो रही है।

महासागरीय तापन के हॉटस्पॉट्स कौन से हैं?

भूमध्य सागर, उष्णकटिबंधीय अटलांटिक महासागर और दक्षिणी महासागर वार्मिंग हॉटस्पॉट्स के रूप में उभरे हैं, जहां तापमान में 2°C से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।

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