State of World Fisheries and Aquaculture 2024: FAO’s New Report; 2024 में विश्व मात्स्यिकी और जलीय कृषि की स्थिति: FAO की नई रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने ‘विश्व मात्स्यिकी और जलीय कृषि की स्थिति 2024’ रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में “ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन इन एक्शन” विषय पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह रिपोर्ट वैश्विक मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र में हाल के विकास, चुनौतियों और अवसरों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। आइए, इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत नजर डालते हैं।

Table Of Contents
  1. रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
  2. जलवायु परिवर्तन और जलीय खाद्य पदार्थों की भूमिका:
  3. ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन इन एक्शन:
  4. वैश्विक उपभोग में वृद्धि:
  5. सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
  6. वैश्विक जैव विविधता समझौतों के संदर्भ में मत्स्य पालन और जलीय कृषि:
  7. निष्कर्ष:
  8. FAQs:

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

वैश्विक उत्पादन का उच्चतम स्तर

वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर मात्स्यिकी और जलीय कृषि उत्पादन 223.2 मिलियन टन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। इस आंकड़े में 185.4 मिलियन टन जलीय जानवरों का उत्पादन और 37.8 मिलियन टन एल्गी का उत्पादन शामिल है।

भारत का महत्वपूर्ण योगदान

जलीय जीवों के कुल उत्पादन में भारत का योगदान 8 प्रतिशत था, जो इसे विश्व में दूसरे स्थान पर रखता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्शाती है कि भारत जलीय कृषि (एक्वाकल्चर) और मत्स्य पालन के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। पहली बार, जलीय जीवों के मुख्य उत्पादक के रूप में जलीय कृषि (एक्वाकल्चर) ने कैप्चर फिशरीज को पीछे छोड़ दिया है। कैप्चर फिशरीज में प्राकृतिक रूप से पल रही मछलियाँ जल निकायों से सीधे पकड़ी जाती हैं, जबकि एक्वाकल्चर में मछलियों या जलीय जीवों को पाला जाता है और फिर उन्हें पकड़ा जाता है।

अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में भारत का नेतृत्व

1.9 मिलियन टन के उत्पादन के साथ, भारत अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि भारत के भीतर जल संसाधनों का कुशल उपयोग और प्रबंधन किया जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन और जलीय खाद्य पदार्थों की भूमिका:

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जलीय खाद्य पदार्थों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया गया है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तत्वाधान में ‘ओशन एंड क्लाइमेट चेंज डायलॉग 2023’ आयोजित किया गया था। इस डायलॉग में जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियों के समाधान में जलीय खाद्य पदार्थों की क्षमता को मान्यता दी गई थी।

FAO ने विशिष्ट क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलित होने के लिए पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत किया है। उदाहरण के लिए, बदलती परिस्थितियों के अनुकूल स्थानीय प्रजातियों के उत्पादन को महत्त्व देना आदि। यह कदम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद करता है।

ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन इन एक्शन:

FAO ने 2021 में “ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन” विज़न को प्रस्तुत किया था। इसका मुख्य लक्ष्य खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना, पोषण में सुधार करना और जलीय खाद्य प्रणालियों का अधिकतम लाभ उठाना है। इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:

  1. वैश्विक खाद्य मांग को पूरा करने के लिए संधारणीय जलीय कृषि पद्धतियों का विस्तार करना और लाभ का समान रूप से वितरण सुनिश्चित करना।
  2. मत्स्य भंडारण (फिश स्टॉक) को बनाए रखने और उचित आजीविका सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी मत्स्य प्रबंधन पर बल देना।
  3. सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय संधारणीयता सुनिश्चित करने के लिए उन्नत जलीय खाद्य पदार्थ मूल्य श्रृंखलाएं विकसित करना।

वैश्विक उपभोग में वृद्धि:

2021 में वैश्विक जलीय खाद्य पदार्थों की प्रत्यक्ष उपभोग 162.5 मिलियन टन तक पहुँच गई। 1961 के बाद से प्रति व्यक्ति वार्षिक उपभोग लगभग दोगुना हो गया है, जो 9.1 किलोग्राम से बढ़कर 2022 में 20.7 किलोग्राम हो गया है। कुल जलीय जानवरों के उत्पादन का 89 प्रतिशत प्रत्यक्ष मानव उपभोग के लिए उपयोग किया गया, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में मत्स्य पालन और जलीय कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका सिद्ध होती है।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:

मत्स्यिकी और जलीय कृषि न केवल पोषण और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, बल्कि लाखों लोगों के लिए आजीविका का भी स्रोत हैं। 2022 में, वैश्विक स्तर पर लगभग 61.8 मिलियन लोग मात्स्यिकी और जलीय कृषि के प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि 2020 में यह संख्या 62.8 मिलियन थी। इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत थी, लेकिन महिलाओं का योगदान विशेष रूप से प्रसंस्करण उपक्षेत्र में महत्वपूर्ण है, जहाँ वे कुल कार्यबल का 62 प्रतिशत हैं।

वैश्विक जैव विविधता समझौतों के संदर्भ में मत्स्य पालन और जलीय कृषि:

जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD) ने 2022 में कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (GBF) को अपनाया था। इसका उद्देश्य जैव विविधता की सुरक्षा करना और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए देशों की राष्ट्रीय योजनाएं विकसित करने में सहायता करना है।

जलीय खाद्य प्रणालियां ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क के कई लक्ष्यों से सीधे संबंधित हैं, जैसे जलीय क्षेत्रों का प्रबंधन, प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम को कम करना आदि। 2023 में, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य “राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे समुद्री जैव विविधता के संरक्षण एवं संधारणीय उपयोग पर समझौते” (BBNJ Agreement) पर सहमत हुए थे। यह कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है, जो समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और उसके स्थिर उपयोग को सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।

निष्कर्ष:

विश्व मात्स्यिकी और जलीय कृषि की स्थिति 2024’ रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जलीय कृषि और मत्स्य पालन में सतत प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है। भारत ने वैश्विक उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन में जलीय खाद्य पदार्थों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन विज़न और वैश्विक जैव विविधता समझौतों के माध्यम से, एक स्थायी और समृद्ध जलीय खाद्य प्रणाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।

FAQs:

‘ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन इन एक्शन’ का क्या मतलब है?

‘ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन इन एक्शन’ का मतलब है कि जलीय खाद्य प्रणालियों का उपयोग करके खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना, पोषण में सुधार करना और सतत जलीय कृषि पद्धतियों का विस्तार करना।

जलीय जीवों के उत्पादन में भारत का योगदान कितना था?

जलीय जीवों के कुल उत्पादन में भारत का योगदान 8 प्रतिशत था, जिससे वह विश्व में दूसरे स्थान पर रहा।

कैप्चर फिशरीज और एक्वाकल्चर में क्या अंतर है?

कैप्चर फिशरीज में प्राकृतिक रूप से पल रही मछलियाँ जल निकायों से सीधे पकड़ी जाती हैं, जबकि एक्वाकल्चर में मछलियों या जलीय जीवों को पाला जाता है और फिर उन्हें पकड़ा जाता है।

FAO रिपोर्ट के अनुसार 2022 में कुल मत्स्य पालन और जलीय कृषि उत्पादन कितना था?

2022 में कुल मत्स्य पालन और जलीय कृषि उत्पादन 223.2 मिलियन टन था, जिसमें 185.4 मिलियन टन जलीय जानवर और 37.8 मिलियन टन शैवाल शामिल थे।

वैश्विक जलीय खाद्य पदार्थों की प्रति व्यक्ति वार्षिक उपभोग क्या है?

1961 के बाद से प्रति व्यक्ति वार्षिक उपभोग लगभग दोगुना हो गया है, जो 9.1 किलोग्राम से बढ़कर 2022 में 20.7 किलोग्राम हो गया है।

2022 में मत्स्य पालन और जलीय कृषि के प्राथमिक क्षेत्र में कितने लोग कार्यरत थे?

2022 में मत्स्य पालन और जलीय कृषि के प्राथमिक क्षेत्र में लगभग 61.8 मिलियन लोग कार्यरत थे, जिनमें से 24 प्रतिशत महिलाएं थीं।

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