Stepping Towards Energy Security: Government’s Efforts to Meet Rising Electricity Demand in Summer; ऊर्जा-सुरक्षा की दिशा में कदम: गर्मी में बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने का सरकारी प्रयास:

गर्मी के मौसम का आगमन होते ही, भारत में बिजली की मांग तेजी से बढ़ने लगती है। बढ़ते तापमान के साथ एयर-कंडीशनिंग जैसे उपकरणों का उपयोग और कृषि क्षेत्र में सिंचाई की बढ़ी हुई आवश्यकता देश की ऊर्जा खपत को बढ़ा देती है। इस समस्या से निपटने और बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है – गैस-आधारित विद्युत संयंत्रों में बिजली उत्पादन बढ़ाने का निर्णय।

सरकार का निर्णय:

भारत सरकार ने विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 11 के तहत एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए गैस-आधारित विद्युत उत्पादन स्टेशनों को बिजली उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इस धारा के तहत सरकार को असाधारण परिस्थितियों में विद्युत उत्पादन कंपनियों को उत्पादन स्टेशन के संचालन और रखरखाव को जारी रखने का आदेश देने का अधिकार है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के इरादे से लिया गया है कि गर्मी के महीनों के दौरान देश में ऊर्जा सुरक्षा बनी रहे।

गैस आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा क्यों?

बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के अलावा, भारत सरकार एक मजबूत गैस-आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। प्राकृतिक गैस एक जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोत है, जिसका सबसे बड़ा घटक मीथेन होता है। गैस-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

  • स्वच्छ ऊर्जा विकल्प: कोयले की तुलना में, प्राकृतिक गैस के उपयोग से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन काफ़ी कम होता है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुमानों के अनुसार, बिजली उत्पादन के लिए कोयले की जगह गैस को अपनाने से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में औसतन 50% की कमी आ सकती है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा के साथ सहयोग: सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपनी सीमाएँ हैं। मौसम परिवर्तनों के अधीन ये स्रोत हमेशा पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं करा सकते। ऐसे में प्राकृतिक गैस से चलने वाले संयंत्र लचीलापन प्रदान करते हैं, जिससे बिजली की आपूर्ति में स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद: भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन (Net Zero Emission) का लक्ष्य निर्धारित किया है। गैस-आधारित अर्थव्यवस्था इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

गैस-आधारित अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियां:

यद्यपि गैस-आधारित अर्थव्यवस्था के कई फायदे हैं, इसके रास्ते में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:

  • ऊर्जा मिश्रण में सीमित हिस्सेदारी: वर्तमान में, भारत के ऊर्जा मिश्रण (Energy Mix) में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी लगभग 6% है। कोयले और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में यह अभी भी एक छोटा प्रतिशत है।
  • आयात पर निर्भरता: भारत को आवश्यक प्राकृतिक गैस का बड़ा हिस्सा आयात करना पड़ता है वित्त वर्ष 2022 में भारत ने अपनी आवश्यकता की लगभग आधी (48.2%) प्राकृतिक गैस आयात की। आयात पर निर्भरता देश की ऊर्जा सुरक्षा के मोर्चे पर एक चुनौती बन सकती है।
  • उर्वरक क्षेत्र में उच्च उपयोग: भारत में उर्वरक क्षेत्र प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इस क्षेत्र में प्राकृतिक गैस पर भारी सब्सिडी दी जाती है, जो सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ाती है।

प्राकृतिक गैस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार के कदम:

भारत सरकार देश में गैस आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए निरंतर काम कर रही है। कुछ महत्वपूर्ण पहलें इस प्रकार हैं:

  • राष्ट्रीय गैस ग्रिड: एक व्यापक राष्ट्रीय गैस ग्रिड स्थापित किया जा रहा है ताकि देश के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति को बेहतर बनाया जा सके।
  • सिटी गैस वितरण नेटवर्क (CGDN): वाहनों के लिए ईंधन के रूप में संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) और घरेलू व औद्योगिक उपयोग के लिए पाइप्ड प्राकृतिक गैस (PNG) उपलब्ध कराने के लिए CGDN विकसित किए जा रहे हैं।
  • संधारणीय परिवहन की दिशा में विकल्प (SATAT): इस पहल का उद्देश्य बायोमास अपशिष्ट (Biomass Waste) से संपीडित बायोगैस (CBG) और जैव-खाद (Bio-fertilizer) का उत्पादन करना है।

अंत में:

बिजली उत्पादन बढ़ाने एवं ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम देश के लिए एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण निर्णय है। प्राकृतिक गैस की ऊर्जा उत्पादन में बढ़ती भूमिका से भारत को अपनी अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

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