भारत, दुनिया के सबसे बड़े मछली उत्पादक देशों में से एक है और मत्स्य पालन कई तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए, भारत सरकार ने मछलीपालन क्षेत्र के समग्र विकास और मछुआरों एवं मत्स्य किसानों को सशक्त बनाने के लिए कई पहकल्पी नीतियां शुरू की हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) ऐसी ही एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य भारत को मछलीपालन में अग्रणी बनाते हुए एक सतत ‘नीली क्रांति’ (Blue Revolution) लाना है।
भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, हालांकि इस क्षेत्र में काफी वृद्धि की संभावनाएँ विद्यमान हैं। मछली पालन उद्योग से लाखों लोगों की जीविका जुड़ी हुई है, परन्तु यह अधिकतर असंगठित क्षेत्र के रूप में संचालित होता है। इससे इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पाता और ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन पर आश्रित लोगों की स्थिति को मजबूत करने में अड़चनें आती हैं।
PM-MKSSY योजना
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है जो देश में मछली पालन क्षेत्र के विकास को गति प्रदान करने के लिए समर्पित है। यह योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत एक केंद्रीय क्षेत्रक उप-योजना है, जिसे मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा 2020 में शुरू किया गया था। PM-MKSSY का उद्देश्य मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय में वृद्धि करना, मछली उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना और मछली पालन क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना है।
योजना अवधि और कार्यान्वयन:
PM-MKSSY योजना को 4 साल (2023-24 से 2026-27) की अवधि के लिए लागू किया जाएगा। इसका विस्तार पूरे देश में किया जाएगा, जिससे सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मछुआरा समुदाय लाभान्वित हो सकें। योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल आवश्यक होगा।
योजना का वित्तीय आवंटन:
PM-MKSSY योजना के लिए कुल 6,000 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गई है। इसमें से आधे हिस्से (50%) की आर्थिक सहायता सार्वजनिक स्रोतों जैसे विश्व बैंक और फ्रांस की “एजेंसी फ्रांसेइस डे डेवलपमेंट (AFD)” से मिलेगी। बाकी राशि संबंधित लाभार्थियों और निजी क्षेत्रों से संग्रहित की जाएगी। योजना के संपूर्ण संचालन और सफल कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार का मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, राज्य सरकारें, और ज़िला स्तर पर विभिन्न कार्यकारी एजेंसियां मिलकर कार्य करेंगी।
योजना के लाभार्थी:
PM-MKSSY को इस तरह से तैयार किया गया है कि इसके लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचें। इसकी लाभार्थी सूची में ये सम्मिलित हैं:
- व्यक्तिगत मछुआरे
- मत्स्य (जलीय कृषि) से जुड़े किसान
- सीमित देयता भागीदारी (LLPs)
- सहकारी समितियां
- स्वयं सहायता समूह (SHGs)
- मत्स्य किसान उत्पादक संगठन (FFFPOs)
- अन्य मत्स्य संबंधी कार्यो से जुड़े छोटे व्यवसाय व ग्रामीण उद्योग
योजना के घटक और कार्यान्वयन रणनीति:
PM-MKSSY योजना को पांच मुख्य घटकों के आधार पर कार्यान्वित किया जाएगा:
- मात्स्यिकी क्षेत्र को औपचारिक बनाना, सूक्ष्म-लघु उद्योगों का समर्थन:
- योजना एक एकीकृत “राष्ट्रीय मात्स्यिकी डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDP)” विकसित करने में सहायता करेगी, ताकि इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को बाजारों तक आसान पहुंच, ई-गवर्नेंस और अन्य सरकारी सेवाओं का लाभ मिल सके।
- PM-MKSSY मत्स्य संबंधी सूक्ष्म, छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगों के विकास में प्रशास्तावित निवेश से उन्हें विस्तार करने, उन्नत तकनीक अपनाने, मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने में सहायता मिलेगी।
- जलीय-कृषि (Aquaculture) बीमा:
- मछली पालन से जुड़े जोखिमों के मद्देनजर वित्तीय सहयोग देना इस योजना का महत्वपूर्ण अंग है। PM-MKSSY जलीय-कृषि बीमा की उपलब्धता बढ़ाना चाहती है ताकि मछुआरे प्राकृतिक आपदा या पालन की विफलता की स्थिति में अपने नुकसान की भरपाई कर सकें।
- मात्स्यिकी मूल्य-श्रृंखला संरचना को मजबूत करने हेतु सूक्ष्म उद्यमों को सहायता प्रदान करना:
- मछली के उत्पादन, संग्रहण, मूल्य संवर्धन व प्रसंस्करण के ढांचे का आधुनिकीकरण व विस्तार करना योजना का मुख्य आधार है।
- सूक्ष्म उद्योगों, जो इन प्रक्रियाओं के सफल क्रियान्वयन में प्रमुख हैं, को आर्थिक व तकनीकी मदद दी जाएगी, जिससे उत्पादकता बढ़ने के साथ-साथ गुणवत्ता व बाज़ार मूल्य में वृद्धि के सकारात्मक परिणाम दिखेंगे।
- उत्पाद-गुणवत्ता और संरक्षण की उन्नत प्रणालियों का विकास:
- सुरक्षित तथा बाज़ार की अपेक्षाओं के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले मछली उत्पादों को सुनिश्चित करना उद्योग के विकास के लिए अति आवश्यक है। PM-MKSSY इस प्रक्रिया के मानकीकरण के लिए कार्य करेगी एवं उत्पादन संबंधी गुणवत्ता-जांच सुविधाओं के विकास का सहयोग देगी।
- परियोजना प्रबंधन, योजना की निगरानी एवं रिपोर्टिंग:
- इस योजना में राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों में परियोजना प्रबंधन इकाइयां (PMUs) स्थापित करने का सुझाव दिया गया है। ये इकाइयां राज्य स्तर पर विभिन्न परियोजनाओं के समन्वय, उनके प्रबंधन में मदद करेंगी, तथा कार्य-प्रगति पर रिपोर्टिंग करेंगी। योजना का लक्ष्य केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाकर दक्षता के साथ इसके सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है।
PM-MKSSY योजना का महत्व:
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PM-MKSSY) भारत में मछली पालन क्षेत्र के विकास के लिए एक क्रांतिकारी योजना है। इसके सफल क्रियान्वयन से निम्न लाभ हासिल होने की उम्मीद है;
- आत्मनिर्भर भारत: यह योजना राष्ट्र को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य की ओर एक लंबा कदम है।
- आर्थिक विकास: योजना, न केवल मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय में वृद्धि करेगी, बल्कि समग्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में भी योगदान देगी।
- रोजगार सृजन: यह रोजगार सृजन में मदद करेगी और मत्स्य उत्पादन से जुड़े सहायक उद्योगों के विकास में सहायक होगी।
- मछली की गुणवत्ता में वृद्धि: उत्पादन बढ़ने के साथ, मछली के संरक्षण, संग्रहण, और वैज्ञानिक गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया भी बेहतर होगी, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण समुद्री उत्पाद प्राप्त होंगे।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PM-MKSSY) भारत में मछली पालन क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। योजना का सफल कार्यान्वयन न केवल देश में मछली उत्पादन को बढ़ावा देगा बल्कि मछुआरों और मत्स्य किसानों के जीवन स्तर में भी महत्वपूर्ण सुधार लाएगा।
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