कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो देश की एक बड़ी आबादी को आजीविका एवं खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है। देश की एक बड़ी आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि और संबंधित कार्यों पर निर्भर है। हाल के वर्षों में, कृषि क्षेत्र ने तकनीकी नवाचारों का तेजी से उपयोग किया है। इस परिवर्तन के केंद्र में एग्रीटेक स्टार्टअप्स हैं, जो कृषि को अधिक कुशल, उत्पादक और टिकाऊ बनाने के लिए नई तकनीकों का लाभ उठा रहे हैं। ऐसे में, कृषि क्षेत्र की उत्पादकता को बेहतर बनाना और किसानों की आय बढ़ाना राष्ट्रीय लक्ष्यों में से एक है। भारत सरकार और नाबार्ड भारतीय एग्रीटेक इकोसिस्टम को बढ़ावा देने और किसानों की स्थिति में सुधार के लिए अहम कदम उठा रहे हैं। नाबार्ड के ₹1000 करोड़ मिश्रित कोष का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और अभिनव तकनीक आधारित कृषि समाधानों का सहयोग करना है।
नाबार्ड: भारतीय कृषि क्षेत्र का समर्थक
नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) भारत के ग्रामीण क्षेत्रों, विशेषकर कृषि के वित्त पोषण और विकास के लिए भारत का शीर्ष वित्तीय संस्थान है। नाबार्ड की भूमिका ग्रामीण उद्योगों, कृषि गतिविधियों, लघु उद्योगों और अन्य ग्रामीण विकास परियोजनाओं के लिए ऋण उपलब्ध कराने तक ही सीमित नहीं है। यह संस्थान ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास, शोध व अनुसंधान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहयोग करने वाली परियोजनाओं को भी अपना समर्थन देता है।
₹1000 करोड़ के मिश्रित कोष की आवश्यकता:
भारत में, एग्रीटेक स्टार्टअप्स विकास की विभिन्न अवस्थाओं में हैं। कुछ स्टार्टअप अपने शुरुआती चरण में हैं और उन्हें बीज धन (seed funding) की आवश्यकता है, जबकि अन्य अधिक परिपक्व हैं और विकास के लिए धन की आवश्यकता रखते हैं। पारंपरिक वित्तीय संस्थान अक्सर इन जोखिम भरे उद्यमों को धन उपलब्ध कराने में हिचकिचाते हैं। नाबार्ड का मिश्रित कोष यह सुनिश्चित करेगा कि एग्रीटेक स्टार्टअप्स के पास अपनी क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध हों।
मिश्रित कोष का उद्देश्य:
नाबार्ड का मिश्रित कोष एग्रीटेक स्टार्टअप्स की विविध वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह कोष ग्रामीण उद्यमिता का समर्थन करके ग्रामीण भारत में रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने में भी मदद करेगा। कुछ महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्र इस प्रकार हैं:
- प्रौद्योगिकी-चालित कृषि स्टार्टअप को समर्थन: भारत में उभर रहे एग्रीटेक स्टार्टअप्स बड़ी क्षमता दर्शाते हैं, लेकिन अक्सर वित्तीय संसाधनों और उचित आधारभूत संरचना की कमी के चलते उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। नाबार्ड का कोष इन चुनौतियों को दूर करने और उभरते एग्रीटेक उद्यमियों को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।
- ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देना: कोष उन उद्यमों को वित्त पोषित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा जो ग्रामीण समुदायों में मूल्य-संवर्द्धन (value addition) और नौकरी के अवसर पैदा करते हैं।
- फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज का निर्माण: कोष का उद्देश्य स्टार्टअप्स के साथ काम करना है ताकि ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) में नए फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज बनाए जा सकें। यह कृषि-आधारित उत्पादों के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं (supply chains) को मजबूत करेगा और किसानों के लिए बाजार पहुंच में सुधार करेगा।
- ऑपरेशनल क्षमताओं में वृद्धि: ग्रामीण इलाकों में मौजूद स्टार्टअप्स और उद्यमों को प्रायः अपना स्केल बढ़ाने और बाजार तक व्यापक पहुंच बनाने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। नाबार्ड का कोष ऐसी एंटिटीज़ की इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए निवेश के अवसर प्रदान करेगा।
फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज का महत्व:
फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज का विचार कृषि मूल्य श्रृंखला (agricultural value chain) के विभिन्न चरणों के बीच के जुड़ाव पर केंद्रित है।
- बैकवर्ड लिंकेज: कृषि उत्पाद के उत्पादन में उपयोग किए गए कच्चे माल, बीज, उर्वरक, यंत्र, जैसी सामग्री तथा सेवाओं के नेटवर्क से संबंधित होते हैं।
- फॉरवर्ड लिंकेज: उत्पाद और इसके अंतिम उपभोक्ता के बीच के रिश्ते से जुड़े होते हैं। इसमें उत्पाद का प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन और वितरण जैसी क्रियाएं शामिल हैं।
एक मजबूत फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज किसानों की बाजार तक पहुंच, बेहतर आय, और कृषि मूल्य श्रृंखला में अपव्यय में कमी को सुनिश्चित करता है।
आखिर क्या हैं एग्रीटेक स्टार्टअप्स?
एग्रीटेक स्टार्टअप कृषि क्षेत्र में काम करने वाले नवीन उद्यम हैं, जो तकनीक के माध्यम से कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान निकालते हैं। कृषि तकनीक का लक्ष्य कृषि उत्पादकता, दक्षता और लाभप्रदता में सुधार करना है। ये स्टार्टअप कई तरह से कृषि प्रथाओं में योगदान कर सकते हैं:
- स्मार्ट कृषि: सेंसर, ड्रोन और डेटा विश्लेषण उपकरणों के माध्यम से एग्रीटेक स्टार्टअप्स फसलों के स्वास्थ्य, मिट्टी की गुणवत्ता, मौसम के पैटर्न आदि की जानकारी एकत्र करते हैं। इससे फसल प्रबंधन में सटीक निर्णय लिए जा सकते हैं, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होता है।
- मार्केटप्लेस और लॉजिस्टिक्स: एग्रीटेक प्लेटफॉर्म किसानों और खरीदारों को डिजिटल रूप से जोड़ते हैं, बिचौलियों को कम करते हैं और किसानों के लिए बेहतर कीमत प्राप्ति सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा, इनका लॉजिस्टिक्स सहायता से किसानों के उत्पादों को भंडारण से लेकर बड़े बाजारों तक पहुंचाने में सुविधा होती है।
- बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस : बड़ी मात्रा में कृषि संबंधी डेटा का विश्लेषण एग्रीटेक स्टार्टअप्स को खेती में सुधार और कीट-रोग प्रबंधन के लिए मशीन-लर्निंग अल्गोरिद्म बनाने की अनुमति देता है। यह भविष्य में होने वाली संभावित फसल विफलताओं या कीट प्रकोप की चेतावनी भी दे सकता है।
एग्रीटेक स्टार्टअप्स के उदाहरण:
पिछले कुछ वर्षों में, कुछ भारतीय एग्रीटेक स्टार्टअप्स उल्लेखनीय योगदान के साथ सामने आए हैं:
- निंजाकार्ट: निंजाकार्ट किसानों को सीधे खुदरा विक्रेताओं और रेस्तरां से जोड़ता है, बिचौलियों को हटाता है और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने में सक्षम बनाता है।
- बिगहाट: बिगहाट कृषि-आदानों (agri-inputs) के लिए एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है, जो किसानों को कृषि से संबंधित सामग्रियों तक त्वरित पहुँच प्रदान करता है।
एग्रीटेक स्टार्टअप्स की चुनौतियाँ:
भारत में एग्रीटेक स्टार्टअप्स की अपार संभावनाओं के बावजूद, इन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है:
- सीड फंडिंग की चुनौती: प्रारंभिक अवस्था के एग्रीटेक स्टार्टअप को वित्तपोषण प्राप्त करने में परेशानी होती है। निवेशकों का ध्यान आकर्षित करना अक्सर मुश्किल होता है क्योंकि ग्रामीण परिदृश्य और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र की जटिलताओं की समझ सीमित होती है।
- मेंटॉरशिप का अभाव: सफल स्टार्टअप के निर्माण में विशेषज्ञ मार्गदर्शन का होना बहुत जरूरी है। कृषि क्षेत्र, बाजार के रुझान, तकनीकी विकास तथा सरकारी नीतियों को समझने वाले अनुभवी मेंटर्स की कमी एग्रीटेक स्टार्टअप के विकास में बाधा बनती है।
- ग्रामीण बाजारों में प्रवेश में कठिनाई: ग्रामीण इलाकों में कमजोर इंटरनेट संपर्क और कम तकनीकी साक्षरता के स्तर के कारण एग्रीटेक स्टार्टअप्स के लिए ग्रामीण बाजारों में प्रवेश करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- बुनियादी ढांचे की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त भंडारण और परिवहन सुविधाएं एग्रीटेक स्टार्टअप्स के प्रभावी संचालन में बाधा उत्पन्न करती हैं।
- विश्वास निर्माण: कई किसान नई तकनीकों को अपनाने में संकोच करते हैं जिनसे वे परिचित नहीं हैं। एग्रीटेक स्टार्टअप्स को अपना विश्वास हासिल करने के लिए कठिन प्रयास करने की आवश्यकता होती है।
नाबार्ड का कोष: समाधान की ओर एक कदम
नाबार्ड द्वारा प्रस्तावित निवेश कोष एग्रीटेक स्टार्टअप्स और ग्रामीण उद्यमों को वित्तीय संकट से राहत देने और विकास का एक मजबूत मार्ग प्रशस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, इस कोष से कृषि क्षेत्र की समग्र उत्पादकता और भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई गति मिलने की उम्मीद है।
क्या भारत सरकार पहले से ही इस दिशा में प्रयास कर रही है?
भारत सरकार पहले से ही प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों को लागू कर रही है। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
डिजिटल कृषि मिशन (DAM), 2021:
- इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम ऑफ़ एग्रीकल्चर (IDEA): डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए एक व्यापक योजना।
- किसान डेटाबेस: किसानों, उनकी भूमि, और फसलों का डेटाबेस तैयार करना।
- नई तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को वित्त प्रदान करने हेतु नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान इन एग्रीकल्चर (NeGPA): राज्यों को कृषि में डिजिटल तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास कार्यक्रम:
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत 2018-19 से शुरू किया गया।
- नवाचार और कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देना।
- कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप और उद्यमियों को सहायता प्रदान करना।
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण:
- RBI के निर्देशानुसार, कृषि-स्टार्टअप्स को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण श्रेणी के तहत बैंकों से ऋण प्रदान किया जा सकता है।
- कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना।
- कृषि स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
निधि बीज सहायता कार्यक्रम (NIDHI-SSP):
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत शुरू किया गया।
- कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना।
- नए कृषि उत्पादों और तकनीकों को विकसित करना।
इन पहलों के अलावा, सरकार ने कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए कई अन्य पहलें भी शुरू की हैं। इनमें शामिल हैं:
- कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) की स्थापना: किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करना।
- कृषि मेलों और प्रदर्शनियों का आयोजन: किसानों को नई कृषि तकनीकों और उत्पादों से अवगत कराना।
- कृषि ऋण पर ब्याज सब्सिडी: किसानों को ऋण प्राप्त करने में आसानी प्रदान करना।
- कृषि बीमा योजना: किसानों को फसल खराब होने से होने वाले नुकसान से बचाना।
निष्कर्ष:
नाबार्ड का मिश्रित कोष भारतीय कृषि में क्रांति लाने की क्षमता रखता है। यह एग्रीटेक स्टार्टअप्स को विकसित करने और भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक कुशल, उत्पादक और टिकाऊ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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