Tissue Culture Lab to Save Rare and Endangered Tree Species of Delhi; दिल्ली की दुर्लभ व संकटग्रस्त वृक्ष प्रजातियों को बचाएगी टिश्यू कल्चर लैब:

दिल्ली, भारत की राजधानी, अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ शहरीकरण के बढ़ते दबाव का भी सामना कर रही है। इसने शहर के मूल वनस्पतियों और जीवों को खतरे में डाल दिया है, जिससे कई देशी वृक्ष प्रजातियों की आबादी में गिरावट आई है। दिल्ली सरकार ने इस खतरे को पहचाना है और राजधानी के मूल वृक्षों का संरक्षण करते हुए इसके पर्यावरणीय स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन प्रयासों में सबसे प्रमुख असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में एक अत्याधुनिक टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना है। यह लैब दिल्ली में तेजी से लुप्त हो रहे संकटग्रस्त और दुर्लभ देशी वृक्ष प्रजातियों की सैपलिंग तैयार करने पर केंद्रित होगी।

क्यों है जरूरी यह कदम?

दिल्ली में हिंगोट, खैर, बिस्तेन्दु, सिरी, पलाश जैसी कई अहम देशी वृक्ष प्रजातियों का अस्तित्व संकट में है। शहरीकरण, प्रदूषण और अन्य मानवीय गतिविधियों के चलते इन वृक्षों की संख्या में चिंताजनक गिरावट आई है। इन दुर्लभ वृक्षों को बचाने और इनकी आबादी बढ़ाने के लिए टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना एक आवश्यक कदम है। ये पेड़ कभी दिल्ली के परिदृश्य का एक अभिन्न अंग थे, लेकिन अब दुर्लभ होते जा रहे हैं।

क्या है प्लांट टिश्यू कल्चर?

प्लांट टिश्यू कल्चर, जिसे पादप ऊतक संवर्धन के रूप में भी जाना जाता है, एक जैव-प्रौद्योगिकी तकनीक है। इसमें कीटाणु-रहित वातावरण और अनुकूल नियंत्रित भौतिक वातावरण में सिंथेटिक मीडिया (साधन) के उपयोग के माध्यम से पौधों के ऊतकों या अंगों से नए पौधे उगाए जाते हैं। सरल शब्दों में, प्लांट टिश्यू कल्चर के जरिए पौधों की कोशिकाओं या ऊतकों के छोटे हिस्सों को कृत्रिम वातावरण में पोषक तत्वों का उपयोग करके विकसित किया जाता है, जिससे बड़ी संख्या में नए पौधे तैयार हो सकें।

इस पूरी प्रक्रिया का आधार पौधों की कोशिकाओं में मौजूद एक विशेषता है जिसे टोटिपोटेंसी (totipotency) कहा जाता है। टोटिपोटेंसी के कारण, एक पादप कोशिका में किसी भी प्रकार की विशेष कोशिका में विभाजित और विकसित होने की क्षमता होती है।

टिश्यू कल्चर लैब दिल्ली के लिए क्यों है फायदेमंद?

  • संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण: दिल्ली में कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों के पौधे हैं जिन्हें विलुप्त होने से बचाने की जरूरत है। टिश्यू कल्चर तकनीक इन प्रजातियों के बड़े पैमाने पर प्रसार को सक्षम करेगी, जिससे उनकी संख्या में वृद्धि होगी।
  • रोग-मुक्त पौधे: टिश्यू कल्चर लैब रोग-मुक्त पौधों के उत्पादन को सुनिश्चित करेगी। चूंकि पौधे एक नियंत्रित और कीटाणु-रहित वातावरण में विकसित होते हैं, इसलिए उनमें बीमारियों और कीटों के संक्रमण का जोखिम कम हो जाता है।
  • तेजी से होता है विकास: टिश्यू कल्चर पारंपरिक तरीकों की तुलना में पौधों के विकास की दर को काफी तेज कर देता है। इससे कम समय में अधिक पौधों का उत्पादन संभव होता है।
  • जैव विविधता में वृद्धि: संकटग्रस्त एवं दुर्लभ वृक्षों की अधिक संख्या में सैपलिंग तैयार कर दिल्ली की जैव विविधता को बढ़ाने में यह लैब महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

प्लांट टिश्यू कल्चर के विभिन्न प्रकार:

प्लांट टिश्यू कल्चर को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • ऑर्गन कल्चर: इस तकनीक में पौधे के किसी भी भाग (जड़, तना, पत्ती या फूल) का उपयोग एक एक्सप्लांट के रूप में किया जाता है। यह एक्सप्लांट ही पौधे के विकास का आधार बनता है।
  • सीड कल्चर: इस विधि में जिन पौधों को पहले से ही इन-विट्रो परिस्थितियों (कृत्रिम वातावरण में) में विकसित किया गया है, उनसे एक्सप्लांट प्राप्त होता है।
  • एम्ब्र्यो कल्चर: इसमें भ्रूण को अलग किया जाता है और इन-विट्रो परिस्थितियों में विकसित किया जाता है।

प्लांट टिश्यू कल्चर के लाभ:

  • संरक्षण में सहायक: टिश्यू कल्चर दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे उनकी आबादी को बहाल करने और जैव विविधता को बढ़ाने में योगदान मिलता है।
  • रोग मुक्त पौधों का उत्पादन: यह तकनीक स्वस्थ और रोग मुक्त पौधों की तेजी से सृष्टि की अनुमति देती है, जिससे फसल की पैदावार बढ़ सकती है और किसानों को लाभ हो सकता है।
  • पादपों का तेजी से प्रसार: टिश्यू कल्चर से सीमित समय में, कम जगह में बड़ी संख्या में पौधे तैयार किए जा सकते हैं।
  • कृत्रिम बीजों का उत्पादन: कृत्रिम बीजों को तैयार करने में पादप ऊतक संवर्धन तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • आनुवंशिक संशोधन: टिश्यू कल्चर आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधों के विकास को सक्षम करता है जिसमें बेहतर पोषण, कीट प्रतिरोध और प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता होती है।
  • अंतरिक्ष में पौधे: वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधों को उगाने के लिए टिश्यू कल्चर तकनीकों का पता लगा रहे हैं, जो लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशन के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

प्लांट टिश्यू कल्चर की चुनौतियां:

  • अवसंरचना की कमी: भारत में प्लांट टिश्यू कल्चर के लिए पर्याप्त अवसंरचना का अभाव है। अधिक लैब स्थापना की आवश्यकता है।
  • कुशल जनशक्ति की कमी: टिश्यू कल्चर से जुड़े कार्यों के लिए पर्याप्त संख्या में कुशल पेशेवरों की आवश्यकता होती है।
  • जैव-प्रौद्योगिकी की समझ का अभाव: टिश्यू कल्चर जैसी जैव-प्रौद्योगिकी तकनीकों को लेकर बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।

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