UNCCD’s New Report on Rangelands and Pastoralists: Key Findings; चरवाहों और रेेंजलैंड्स पर UNCCD की नई रिपोर्ट: क्या हैं इसके निष्कर्ष?

हाल ही में, मरुस्थलीकरण रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCCD) ने “ग्लोबल लैंड आउटलुक थीमेटिक रिपोर्ट” जारी की है। यह रिपोर्ट रेेंजलैंड और वहां निवास करने वाले मानव समुदायों, विशेष रूप से चरवाहों के बीच संबंधों पर केंद्रित है, ताकि रेेंजलैंड संरक्षण के लिए बेहतर उपायों की पहचान की जा सके। यह रिपोर्ट रेेंजलैंड्स के क्षरण की चिंताजनक स्थिति, इसके कारणों और इससे निपटने के संभावित समाधानों पर गहराई से विचार करती है।

रेेंजलैंड क्या हैं?

रेेंजलैंड या प्रक्षेत्र प्राकृतिक या अर्ध-प्राकृतिक पारिस्थितिकी-तंत्र हैं, जहां मवेशी और वन्यजीव या केवल मवेशी या केवल वन्यजीव चराई करते हैं। इनमें घास के मैदान, सवाना, झाड़ियां, शुष्क भूमि, रेगिस्तान, स्टेपी, पहाड़, खुले वन और कृषि वानिकी प्रणालियां शामिल हैं। रेेंजलैंड्स की प्राकृतिक विविधता और पारिस्थितिक महत्व इन्हें पर्यावरणीय स्थिरता में महत्वपूर्ण बनाते हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

रेेंजलैंड्स की वैश्विक स्थिति:
रेेंजलैंड्स पृथ्वी की स्थलीय सतह के 54% से अधिक भाग पर विस्तारित हैं। इनमें से 78% रेेंजलैंड्स शुष्क भूमि पर अवस्थित हैं। अनुमान है कि 50% रेेंजलैंड्स क्षरित हो चुकी हैं, जिसमें मृदा की उर्वरता और पोषक तत्वों में कमी, अपरदन, लवणता, क्षारीयता और मृदा का संहनन (कम्पेक्शन) शामिल है।

रेेंजलैंड्स के क्षरण के मुख्य कारण:

  1. जनसंख्या वृद्धि और शहरी विस्तार:
    बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण भूमि उपयोग में परिवर्तन हो रहा है, जिससे रेेंजलैंड्स पर दबाव बढ़ रहा है।
  2. खाद्य, फाइबर और ईंधन की मांग में वृद्धि:
    इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है, जिससे रेेंजलैंड्स का दोहन बढ़ता है।
  3. अत्यधिक चराई:
    मवेशियों की अत्यधिक चराई से भूमि की गुणवत्ता में गिरावट आती है और मृदा क्षरण बढ़ता है।
  4. अनुपयोगी भूमि का त्याग:
    ऐसी भूमि जो उपयोग में नहीं आती, उसे त्याग दिया जाता है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ता है।
  5. अति-दोहन को बढ़ावा देने वाली नीतियां:
    कुछ नीतियां रेेंजलैंड्स का अति-दोहन बढ़ाती हैं, जिससे इनकी गुणवत्ता में गिरावट आती है।

भारत में रेेंजलैंड्स की स्थिति:

भारत में रेेंजलैंड्स लगभग 121 मिलियन हेक्टेयर में विस्तारित हैं। इनमें से लगभग 100 मिलियन हेक्टेयर भूमि का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जाता है। सरकारी नीतियों में चरवाहों को अधिक महत्व नहीं दिया गया है, जिसके कारण उनके भूस्वामित्व अधिकार सुरक्षित नहीं हैं और वे साझा संसाधनों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

चरवाहों के लिए चुनौतियाँ:

  • वनों और संरक्षित क्षेत्रों से प्रतिबंध: कई राज्यों में, चरवाहों को वनों और संरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिससे उनकी आजीविका के साधन सीमित हो गए हैं।
  • विकास परियोजनाओं का विरोध: खनन और ऊर्जा परियोजनाएं अक्सर चरवाहों के पारंपरिक मार्गों और संसाधनों का अतिक्रमण करती हैं, जिससे संघर्ष और विस्थापन होता है।

रेेंजलैंड्स का महत्व

  1. भूमि क्षरण रोकने में भूमिका:
    रेेंजलैंड्स भूमि क्षरण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और पर्यावरणीय स्थिरता बनाए रखने में सहायक होते हैं।
  2. पशुधन उत्पादन प्रणालियों में योगदान:
    रेेंजलैंड्स पशुधन उत्पादन प्रणालियों का समर्थन करते हैं और वैश्विक खाद्य उत्पादन में 16% का योगदान करते हैं।
  3. जैव विविधता हॉटस्पॉट्स:
    विश्व के एक तिहाई जैव विविधता हॉटस्पॉट्स रेेंजलैंड्स में मौजूद हैं, जो पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं।
  4. पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाएं:
    रेेंजलैंड्स पोषक तत्व पुनर्चक्रण, कार्बन पृथक्करण, मनोरंजन और पारिस्थितिकी पर्यटन जैसी कई पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाएं प्रदान करते हैं।

रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें

एकीकृत जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन रणनीतियां:
चरवाहा समुदायों की आपदाओं से निपटने की क्षमता में वृद्धि के लिए एकीकृत जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन रणनीतियां अपनाने की जरूरत है।

भूमि उपयोग परिवर्तन को रोकना:
रेेंजलैंड्स का अन्य प्रकार की भूमि में रूपांतरण और भूमि उपयोग परिवर्तन को रोकने की जरूरत है। ऐसे परिवर्तन रेेंजलैंड्स की विविधता को कम करते हैं और कई प्रकार की सेवाएं देने की इनकी क्षमता को क्षीण करते हैं।

पशुचारण-आधारित रणनीतियां:
पशुचारण-आधारित ऐसी रणनीतियों और उपायों को अपनाने की जरूरत है, जो रेेंजलैंड्स को नुकसान पहुंचाने वाले कारणों को कम कर सकें। इससे रेेंजलैंड्स की पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाएं बनी रहेंगी और चरवाहा समुदायों की आजीविका सुरक्षित रहेगी।

सामुदायिक भागीदारी: रेेंजलैंड्स के संरक्षण और प्रबंधन में स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से चरवाहों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

निष्कर्ष:

“ग्लोबल लैंड आउटलुक थीमेटिक रिपोर्ट” ने रेेंजलैंड्स और चरवाहों के बीच के संबंधों को उजागर किया है और रेेंजलैंड संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। इन सिफारिशों का पालन करके, हम रेेंजलैंड्स के स्थायी उपयोग को सुनिश्चित कर सकते हैं और चरवाहा समुदायों के जीवन में सुधार ला सकते हैं। रेेंजलैंड्स की सुरक्षा और स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि हम इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी-तंत्रों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं और उनकी पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं को बनाए रखें।

FAQs:

रेेंजलैंड्स क्या हैं?

रेेंजलैंड्स या प्रक्षेत्र प्राकृतिक या अर्ध-प्राकृतिक पारिस्थितिकी-तंत्र होते हैं, जहां मवेशी और वन्यजीव चराई करते हैं। इनमें घास के मैदान, सवाना, झाड़ियां, शुष्क भूमि, रेगिस्तान, स्टेपी, पहाड़, खुले वन और कृषि वानिकी प्रणालियां शामिल हैं।

रेेंजलैंड्स का क्या महत्व है?

रेेंजलैंड्स भूमि क्षरण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, पशुधन उत्पादन प्रणालियों में योगदान करते हैं, वैश्विक खाद्य उत्पादन में 16% हिस्सेदारी करते हैं, और कई पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे पोषक तत्व पुनर्चक्रण और कार्बन पृथक्करण।

रेेंजलैंड्स के क्षरण के मुख्य कारण क्या हैं?

रेेंजलैंड्स के क्षरण के मुख्य कारण हैं जनसंख्या वृद्धि और शहरी विस्तार, खाद्य, फाइबर और ईंधन की मांग में वृद्धि, अत्यधिक चराई, अनुपयोगी भूमि का त्याग, और अति-दोहन को बढ़ावा देने वाली नीतियां।

भारत में रेेंजलैंड्स की स्थिति क्या है?

भारत में रेेंजलैंड्स लगभग 121 मिलियन हेक्टेयर में विस्तारित हैं, जिनमें से लगभग 100 मिलियन हेक्टेयर भूमि का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जाता है। चरवाहों के भूस्वामित्व अधिकार सुरक्षित नहीं हैं और उन्हें जंगलों और संरक्षित क्षेत्रों में जाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

रेेंजलैंड्स का वैश्विक खाद्य उत्पादन में क्या योगदान है?

रेेंजलैंड्स वैश्विक खाद्य उत्पादन में 16% का योगदान करते हैं, जो पशुधन उत्पादन प्रणालियों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

चरवाहों की मुख्य चुनौतियां क्या हैं?

चरवाहों की मुख्य चुनौतियों में प्रवेश में प्रतिबंध, खनन और ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं, जो रेेंजलैंड्स में मौजूद महत्वपूर्ण संसाधनों को प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करती हैं।

रिपोर्ट में रेेंजलैंड्स संरक्षण के लिए क्या सिफारिशें की गई हैं?

रिपोर्ट में एकीकृत जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन रणनीतियां अपनाने, भूमि उपयोग परिवर्तन को रोकने, और पशुचारण-आधारित रणनीतियों को अपनाने की सिफारिशें की गई हैं।

Sharing Is Caring:

Leave a comment