संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (पूर्ववर्ती अंकटाड/UNCTAD) ने हाल ही में “डिजिटल अर्थव्यवस्था रिपोर्ट, 2024” जारी की। इस रिपोर्ट में डिजिटलीकरण की पूरी जीवनचक्र में संधारणीय रणनीतियों को अपनाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है। इसका उद्देश्य पर्यावरण के नजरिए से संधारणीय और समावेशी डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करना है।
इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि:
रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 2005 की 1 बिलियन से बढ़कर 2023 में 5.4 बिलियन हो गई है। यह वृद्धि दर्शाती है कि इंटरनेट का प्रसार कितनी तेजी से हो रहा है और अधिक लोग डिजिटलीकरण का हिस्सा बन रहे हैं। इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में यह वृद्धि न केवल सामाजिक और आर्थिक विकास को दर्शाती है, बल्कि यह डिजिटल विभाजन को कम करने का संकेत भी है।
डिजिटलीकरण का पर्यावरण पर प्रभाव:
1. ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन
अनुमान है कि 2020 में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) क्षेत्र 1.5-3.2% वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार था। यह उत्सर्जन पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है। डिजिटल उपकरणों और नेटवर्क के उपयोग से ऊर्जा की खपत बढ़ती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
2. ई-अपशिष्ट में वृद्धि
ऑनलाइन खरीदारों की संख्या में वृद्धि के कारण 2010 से 2022 तक डिजिटल से जुड़े अपशिष्ट में 30% की वृद्धि हुई है। यह अपशिष्ट वैश्विक स्तर पर 10.5 मिलियन टन को पार कर गया है, जो पर्यावरण के लिए एक गंभीर चुनौती है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का तेजी से अद्यतन और उनके छोटे जीवन चक्र के कारण ई-अपशिष्ट में वृद्धि हो रही है, जो पर्यावरणीय समस्याओं को बढ़ा रही है।
3. जल की अधिक खपत (वाटर फुटप्रिंट)
डेटा सेंटर्स के संचालन के लिए न केवल अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, बल्कि उन्हें कूलिंग के लिए अधिक पानी की भी आवश्यकता होती है। 2022 में केवल डेटा सेंटर्स ने ही लगभग 460 टेरावॉट घंटे बिजली की खपत की थी। 2026 तक यह खपत दोगुना होने का अनुमान है। डेटा सेंटर्स की बढ़ती संख्या और उनकी ऊर्जा खपत के साथ जल की खपत भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनती जा रही है।
4. महत्वपूर्ण (क्रिटिकल) खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करना
डिजिटलीकरण के लिए ग्रेफाइट, लिथियम और कोबाल्ट जैसे आवश्यक खनिजों की मांग 2050 तक 500% तक बढ़ सकती है। इन खनिजों की आपूर्ति सुरक्षित रखने के प्रयास में, राष्ट्रों में इनकी जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा और इन खनिजों के अधिक उत्पादन के लिए दबाव बढ़ेगा। इससे खनिजों के खनन में कम दक्ष प्रक्रियाएं अपनाई जाएंगी और इनका पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
रिपोर्ट में मुख्य सिफारिशें:
रिपोर्ट में निम्नलिखित सिफारिशें की गई हैं:
1. सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल अपनाना
सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल को अपनाने से अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार होगा और संसाधनों का पुनर्चक्रण बढ़ेगा। इससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा और पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकेगा।
चक्रीय अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जहाँ सामग्री कभी भी बेकार नहीं जाती और प्रकृति का पुनर्जनन होता है। चक्रीय अर्थव्यवस्था में, उत्पादों और सामग्रियों को रखरखाव, पुनः उपयोग, नवीनीकरण, पुनः निर्माण, पुनर्चक्रण और खाद बनाने जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रचलन में रखा जाता है।
2. सख्त पर्यावरणीय मानकों को लागू करना
सख्त पर्यावरणीय मानकों को लागू करके विनियमों को मजबूत करना चाहिए, ताकि पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके। सरकारों और उद्योगों को मिलकर इन मानकों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
3. नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाना
नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने और ऊर्जा-दक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास का समर्थन करना चाहिए। इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा और ऊर्जा खपत को अधिक संधारणीय बनाया जा सकेगा।
4. संधारणीय व्यवसाय मॉडल को प्रोत्साहित करना
नए संधारणीय व्यवसाय मॉडल (जैसे, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट एज अ सर्विस) को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना चाहिए। इससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग और अपशिष्ट की मात्रा को कम किया जा सकेगा।
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (UNCTAD):
उत्पत्ति: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1964 में एक स्थायी अंतर-सरकारी निकाय के रूप में स्थापित किया गया था।
उद्देश्य: विकासशील देशों, विशेष रूप से अल्प विकसित देशों और बदलाव के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रभावी रूप से एकीकृत करने में सहायता करना।
सदस्य: 195 देश (भारत भी सदस्य है)।
प्रमुख रिपोर्ट्स: व्यापार और विकास रिपोर्ट, विश्व निवेश रिपोर्ट आदि।
मुख्यालय: जिनेवा (स्विट्जरलैंड)।
निष्कर्ष:
“डिजिटल अर्थव्यवस्था रिपोर्ट, 2024” ने डिजिटलीकरण के लाभों के साथ-साथ उसके पर्यावरणीय प्रभावों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। रिपोर्ट में सुझाई गई सिफारिशें अपनाकर हम एक संधारणीय और समावेशी डिजिटल भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि समाज के सभी वर्गों को भी इसका लाभ मिलेगा। डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को संधारणीय बनाने के लिए हमें ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित कर सकें।
FAQs:
“डिजिटल अर्थव्यवस्था रिपोर्ट, 2024” क्या है?
यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (UNCTAD) द्वारा जारी की गई है, जिसमें डिजिटलीकरण की पूरी जीवनचक्र में संधारणीय रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इसका उद्देश्य पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संधारणीय और समावेशी डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करना है।
इस रिपोर्ट में मुख्य बिंदु क्या हैं?
रिपोर्ट में मुख्य बिंदु हैं:
1. इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि
2. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन
3. ई-अपशिष्ट में वृद्धि
4. जल की अधिक खपत
5. महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करना
इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में कितनी वृद्धि हुई है?
रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 2005 की 1 बिलियन से बढ़कर 2023 में 5.4 बिलियन हो गई है।
जल की अधिक खपत कैसे होती है?
डेटा सेंटर्स के संचालन के लिए न केवल अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, बल्कि उन्हें कूलिंग के लिए अधिक पानी की भी आवश्यकता होती है। 2022 में केवल डेटा सेंटर्स ने ही लगभग 460 टेरावॉट घंटे बिजली की खपत की थी।
UNCTAD क्या है?
UNCTAD (संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास) संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1964 में एक स्थायी अंतर-सरकारी निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य विकासशील देशों, विशेष रूप से अल्प विकसित देशों और बदलाव के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रभावी रूप से एकीकृत करने में सहायता करना है।