यूनाइटेड किंगडम (UK) ने पर्यावरण सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए कोयला-आधारित विद्युत उत्पादन को पूरी तरह से बंद कर दिया है। यह कदम न केवल UK के ऊर्जा क्षेत्र को नया स्वरूप देने वाला है, बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की ओर एक महत्वपूर्ण प्रगति भी है। UK का अंतिम कोयला-आधारित विद्युत संयंत्र बंद होने के साथ ही, देश ने कोयले से 142 वर्षों का विद्युत उत्पादन युग समाप्त कर दिया। 2012 में, UK में कुल विद्युत उत्पादन का 40% कोयले से होता था, लेकिन आज यह आंकड़ा शून्य पर पहुंच गया है।
कोयला-आधारित विद्युत उत्पादन का इतिहास:
UK में विश्व का पहला कोयला-आधारित विद्युत संयंत्र 1882 में लंदन में खोला गया था। यह संयंत्र विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में एक नई शुरुआत थी, जिससे न केवल UK, बल्कि अन्य देशों में भी कोयले का उपयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जाने लगा। भारत ने 1920 में हैदराबाद में हुसैन सागर ताप विद्युत स्टेशन के रूप में अपना पहला प्रमुख कोयला संयंत्र स्थापित किया, जो इस दिशा में देश का पहला कदम था। कोयला-आधारित संयंत्रों ने पिछले दशकों में औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इसके साथ ही यह जलवायु परिवर्तन में भी एक बड़ा कारक बन गया है।
कोयला-आधारित विद्युत उत्पादन बंद करने की आवश्यकता:
- प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन: कोयला-आधारित संयंत्रों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों ने वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को तेजी से बढ़ा दिया है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन में तेजी आई है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, ऊर्जा क्षेत्र का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तीन-चौथाई योगदान है, जिसमें कोयला सबसे बड़ा स्रोत है।
- पेरिस समझौता और तापमान सीमा: पेरिस जलवायु समझौते के तहत, वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य रखा गया है। कोयला-आधारित संयंत्रों को बंद करना इस दिशा में एक आवश्यक कदम है, ताकि इस सीमा के भीतर तापमान वृद्धि को बनाए रखा जा सके।
- नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता और क्षमता: आज के दौर में, सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में तकनीकी विकास के चलते कोयले की आवश्यकता कम हो रही है। नई तकनीक और ऊर्जा भंडारण की क्षमता में सुधार के साथ, नवीकरणीय ऊर्जा अब आवश्यकता के अनुसार अधिक बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई जा सकती है।
कोयला-आधारित संयंत्रों को बंद करने में प्रमुख चुनौतियां:
- कोयले पर निर्भरता: भारत और चीन जैसे विकासशील देशों में कोयले पर भारी निर्भरता है, क्योंकि ये देश अपनी बढ़ती ऊर्जा और रोजगार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोयले का व्यापक उपयोग करते हैं।
- आर्थिक और वित्तीय प्रभाव: चीन और भारत जैसे देशों में कोयले से संचालित संयंत्र अपेक्षाकृत नए हैं। इन संयंत्रों को जल्दी बंद करने से भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है, क्योंकि इनके निर्माण पर बहुत बड़ी राशि खर्च की गई होती है। इसलिए इन देशों के लिए कोयले का वैकल्पिक विकल्प खोजना चुनौतीपूर्ण है।
- नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित बाधाएं: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने में कई चुनौतियां हैं जैसे उत्पादन में अस्थिरता, उच्च पूंजी लागत, और नीति निर्माण में स्पष्टता का अभाव। इसके अलावा, मौसम पर निर्भरता और ऊर्जा भंडारण की सीमाएं भी एक बड़ी बाधा हैं।
भारत में स्थिति और भविष्य की योजनाएं:
भारत में, वर्तमान में लगभग 70% विद्युत उत्पादन कोयला-आधारित संयंत्रों से होता है। यह स्थिति दर्शाती है कि भारत को कोयले से बिजली उत्पादन पर बहुत अधिक निर्भरता है। हालांकि, देश ने 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया है। इस दिशा में, भारत सरकार ने कई प्रमुख योजनाएं शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना है।
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख सरकारी पहलें: राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, प्रधानमंत्री कुसुम योजना (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान), प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना, सोलर पीवी मॉड्यूल्स के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं, आदि।
निष्कर्ष:
यूनाइटेड किंगडम द्वारा कोयले से विद्युत उत्पादन बंद करने का निर्णय जलवायु संरक्षण की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है, जो अन्य देशों के लिए एक प्रेरणा का कार्य करेगा। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से निपटने के लिए कोयला-आधारित ऊर्जा को छोड़ना आज की जरूरत है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश और तकनीकी विकास को प्राथमिकता देना आवश्यक है। केवल तभी हम स्थायी और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रभावी रूप से आगे बढ़ सकते हैं।
FAQs:
यूनाइटेड किंगडम ने कोयला-आधारित ऊर्जा उत्पादन क्यों बंद किया?
यूनाइटेड किंगडम ने कोयला-आधारित ऊर्जा उत्पादन बंद किया ताकि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी हो और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा मिले, जिससे जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में सहायता हो।
क्या कोयला से पूरी तरह ऊर्जा उत्पादन बंद करना संभव है?
कोयला-आधारित ऊर्जा उत्पादन को पूरी तरह बंद करना संभव है, लेकिन इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का मजबूत और व्यापक नेटवर्क तैयार करना जरूरी है ताकि बिजली की मांग पूरी हो सके।
भारत कोयला मुक्त ऊर्जा की दिशा में क्या कदम उठा रहा है?
भारत नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, को बढ़ावा दे रहा है और 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए कई सरकारी योजनाएँ, जैसे राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और पीएम-कुसुम योजना, चलाई जा रही हैं।