बोतलबंद पानी के प्रमुख ब्रांड बिसलेरी ने कार्बन क्रेडिट की तर्ज पर ‘वॉटर क्रेडिट’ शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। इस पहल के तहत, जल संरक्षण और जल की गुणवत्ता में सुधार करने वालों को प्रोत्साहित किया जाएगा। बिसलेरी ने वॉटर क्रेडिट की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के साथ साझेदारी की है और अपने अध्ययन के निष्कर्षों को सरकार के साथ साझा करेगा। इस अध्ययन के आधार पर सरकार बेवरेज उद्योग के लिए ‘वॉटर क्रेडिट फ्रेमवर्क’ तैयार कर सकती है।
वॉटर क्रेडिट के बारे में:
वॉटर क्रेडिट एक बाजार-आधारित तंत्र है, जो कार्बन क्रेडिट के समान है। इसके तहत, व्यक्ति और संस्थाएं जल-बचत उपायों को अपनाकर वॉटर क्रेडिट प्राप्त कर सकते हैं और उसका लेन-देन कर सकते हैं। इन वॉटर क्रेडिट्स को उन लोगों को बेचा जा सकता है, जो जल की अधिक खपत की भरपाई करने या अपनी जल प्रबंधन व्यवस्थाओं में सुधार करने के इच्छुक हैं।
कार्बन क्रेडिट:
- कार्बन क्रेडिट्स उन परियोजनाओं को दिए जाते हैं, जिनसे कम कार्बन उत्सर्जन हुआ है, उत्पन्न ही नहीं हुआ है या उत्सर्जित कार्बन को हटा दिया गया है।
- एक कार्बन क्रेडिट एक व्यापार योग्य परमिट है, जो वायुमंडल से हटाए गए, कम किए गए या अलग करके संचय किए गए एक टन कार्बन डाइऑक्साइड या समान ग्लोबल वार्मिंग क्षमता वाली अन्य ग्रीनहाउस गैस की मात्रा (CO2e) के बराबर होता है।
वॉटर क्रेडिट का महत्त्व:
वॉटर क्रेडिट की पहल से जल संकट की स्थिति का समाधान किया जा सकता है। साथ ही, स्वच्छ जल और स्वच्छता से संबंधित सतत विकास लक्ष्य-6 (SDG-6) को प्राप्त करने में भी मदद मिल सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2025 तक 15 प्रमुख नदी घाटियों में से 11 में जल की कमी हो जाएगी। वॉटर क्रेडिट प्रणाली कृषि से जुड़े कार्यों में जल उपयोग दक्षता में वृद्धि करेगी और संधारणीय जल प्रबंधन कार्यों में निवेश बढ़ाएगी।
वॉटर क्रेडिट प्रणाली लागू करने में चुनौतियां:
- स्थानीय स्तर: जल की बचत के लिए स्थानीय स्तर पर कदम उठाने होंगे। साथ ही, वर्षा और वॉटरशेड स्तर पर जल की खपत जैसे पहलुओं को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।
- स्थानीय लेन-देन: वॉटर क्रेडिट्स के लेन-देन स्थानीय स्तर पर ही हो सकते हैं, क्योंकि ये जल स्रोतों या जल उपलब्धता वाले क्षेत्रों तक ही सीमित होंगे।
- बड़ी कंपनियों का प्रभुत्व: बड़ी कंपनियों को वॉटर क्रेडिट्स बाजार पर हावी होने से रोकना भी चुनौती भरा काम होगा।
वॉटर क्रेडिट प्रणाली अपनाने के संभावित तरीके:
- विनियामक संस्था का गठन: मुक्त बाजार व्यवस्था बनाने और इसके सफलतापूर्वक प्रबंधन के लिए एक विनियामक संस्था गठित की जा सकती है।
- मल्टीप्लेयर एप्रोच: उद्योग जगत जल की अधिक आपूर्ति वाली नगर पालिकाओं से वॉटर क्रेडिट्स खरीद सकता है, जिससे नगरपालिकाओं को फंड की कमी की समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी।
- वैश्विक उदाहरणों को अपनाना: जल के व्यापार के लिए रोडमैप बनाने हेतु विश्व के सर्वोत्तम उदाहरणों को अपनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया में मर्रे-डार्लिंग बेसिन के बाजारों में जल का व्यापार किया जाता है। इस व्यापार से किसानों को जल का अधिक दक्षतापूर्ण उपयोग करने में मदद मिली है।
वॉटर क्रेडिट के लाभ:
- जल संकट का समाधान: वॉटर क्रेडिट प्रणाली से जल संकट की समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है। जल संरक्षण के उपाय अपनाने से जल की कमी की समस्या का निदान संभव है।
- सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति: वॉटर क्रेडिट से स्वच्छ जल और स्वच्छता से संबंधित सतत विकास लक्ष्य-6 (SDG-6) को प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है।
- कृषि में जल उपयोग दक्षता: भारत में भूजल का सर्वाधिक उपयोग कृषि कार्यों में होता है। वॉटर क्रेडिट प्रणाली से कृषि में जल उपयोग दक्षता बढ़ेगी, जिससे कृषि उत्पादन में सुधार होगा।
- संधारणीय जल प्रबंधन: वॉटर क्रेडिट प्रणाली से संधारणीय जल प्रबंधन कार्यों में निवेश बढ़ेगा, जिससे जल संसाधनों का सही और प्रभावी उपयोग संभव होगा।
निष्कर्ष:
वॉटर क्रेडिट प्रणाली से जल संरक्षण के नए अवसर खुलेंगे और जल प्रबंधन में सुधार होगा। बिसलेरी की इस पहल से न केवल जल संसाधनों का दक्ष उपयोग संभव होगा, बल्कि देश में जल संकट की समस्या का समाधान भी किया जा सकेगा। इसके अलावा, स्वच्छ जल और स्वच्छता से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी इस प्रणाली का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। सरकार और उद्योग जगत के सहयोग से वॉटर क्रेडिट प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू किया जा सकता है, जिससे देश के जल संसाधनों का संधारणीय और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित हो सके।
FAQs:
वॉटर क्रेडिट क्या है?
वॉटर क्रेडिट एक बाजार-आधारित तंत्र है, जिसके तहत जल संरक्षण और जल की गुणवत्ता में सुधार करने वालों को प्रोत्साहित किया जाता है। इसे कार्बन क्रेडिट के समान माना जा सकता है।
बिसलेरी ने वॉटर क्रेडिट की पहल क्यों शुरू की?
बिसलेरी ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने और जल प्रबंधन में सुधार लाने के लिए वॉटर क्रेडिट की पहल शुरू की है। यह पहल जल संकट का समाधान करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
वॉटर क्रेडिट कैसे काम करता है?
व्यक्ति और संस्थाएं जल-बचत उपायों को अपनाकर वॉटर क्रेडिट प्राप्त कर सकते हैं और उसका लेन-देन कर सकते हैं। इन वॉटर क्रेडिट्स को उन लोगों को बेचा जा सकता है, जो जल की अधिक खपत की भरपाई करने या अपनी जल प्रबंधन व्यवस्थाओं में सुधार करने के इच्छुक हैं।
वॉटर क्रेडिट के क्या लाभ हैं?
वॉटर क्रेडिट प्रणाली से जल संकट की समस्या का समाधान, स्वच्छ जल और स्वच्छता से संबंधित सतत विकास लक्ष्य-6 (SDG-6) की प्राप्ति, कृषि में जल उपयोग दक्षता में वृद्धि और संधारणीय जल प्रबंधन कार्यों में निवेश बढ़ाया जा सकता है।
वॉटर क्रेडिट प्रणाली लागू करने में कौन-कौन सी चुनौतियां हैं?
वॉटर क्रेडिट प्रणाली लागू करने में स्थानीय कदम उठाने की आवश्यकता, स्थानीय लेन-देन की सीमितता, और बड़ी कंपनियों के वॉटर क्रेडिट्स बाजार पर प्रभुत्व को रोकना जैसी चुनौतियां शामिल हैं।