इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ, दुष्प्रचार या गलत सूचना का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, गलत जानकारी का प्रसार एक गंभीर समस्या बन गई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अनुसार, झूठी या गलत जानकारी को गलत सूचना कहा जाता है, उदाहरण के लिए- अफवाहें। ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट-2024 के अनुसार, गलत सूचना (Misinformation) और दुष्प्रचार (Disinformation) को दुनिया भर में शांति और समृद्धि को प्रभावित करने वाले शीर्ष पांच खतरों में से एक माना गया है।
गलत सूचना के प्रमुख प्रभाव:
- मतदान व्यवहार को प्रभावित करना:
राजनीतिक अभियानों में गलत सूचना का प्रचलन एक वैश्विक रुझान है। उदाहरण के लिए, भारत में 2019 के आम चुनावों के दौरान लगभग 50,000 फर्जी खबरें प्रकाशित की गईं थीं और उन्हें 20 लाख से अधिक बार साझा किया गया था। यह निष्पक्ष या स्वतंत्र रूप से महत्वपूर्ण निर्णय लेने में लोगों की क्षमता को प्रभावित करता है। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर होती है और सही उम्मीदवारों का चुनाव नहीं हो पाता। - अलगाव:
गलत सूचना से राजनीतिक व्यवस्था और नागरिक जुड़ाव में विश्वास और भरोसा कम होता है। यह समाज में दरार पैदा कर सकता है और लोगों के बीच गलतफहमियाँ बढ़ा सकता है। इससे समाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचता है। - स्वास्थ्य संबंधी गलत सूचना:
इससे वैज्ञानिक ज्ञान की गलत व्याख्या, ओपिनियन का ध्रुवीकरण, भय और दहशत आदि बढ़ते हैं। उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान कई तरह की झूठी जानकारियाँ फैलीं, जिससे लोगों में भय और भ्रम बढ़ा। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ा, बल्कि कई लोगों की जान भी जोखिम में पड़ी। - आर्थिक प्रभाव:
गलत सूचना से आम मान्यताओं के व्यवहार में बदलाव आता है, खर्च करने संबंधी व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है, आदि।
इस समस्या के समाधान में मीडिया साक्षरता कैसे मदद करती है:
मीडिया साक्षरता में नॉलेज, कौशल, अप्रोच, दक्षता आदि शामिल हैं, जो लोगों को खबरों की सटीकता का गंभीरता से मूल्यांकन करने के लिए सशक्त बनाती है। यह मतदाताओं को सही और गलत जानकारी के बीच भेदभाव करने में मदद करती है और हेरफेर की संभावना को कम करने का प्रयास करती है। इसके साथ ही, यह इंटरनेट और मीडिया की स्वतंत्रता को कमजोर किए बिना गलत सूचना से निपटने में मददगार है।
- नॉलेज:
मीडिया साक्षरता का पहला चरण जानकारी प्राप्त करना और समझना है। इसके माध्यम से लोग विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उसे सही तरीके से समझ सकते हैं। - कौशल:
मीडिया साक्षरता में कौशल भी महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से लोग जानकारी को सही तरीके से विश्लेषण कर सकते हैं और झूठी और सच्ची जानकारी के बीच भेद कर सकते हैं। - अप्रोच:
मीडिया साक्षरता में सही दृष्टिकोण अपनाना भी आवश्यक है। इसके माध्यम से लोग सही जानकारी की तलाश कर सकते हैं और गलत सूचना से बच सकते हैं। - दक्षता:
मीडिया साक्षरता में दक्षता प्राप्त करना भी महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से लोग सही तरीके से जानकारी का उपयोग कर सकते हैं और उसे दूसरों तक पहुँचा सकते हैं।
गलत सूचना से निपटने हेतु उठाए गए कदम:
भारत में:
- सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021:
इसके जरिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को झूठी, नकली, भ्रामक सूचना के प्रसार को रोकने हेतु उचित प्रयास करने के लिए कहा गया है। यह नियम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को जवाबदेह बनाता है और उन्हें गलत जानकारी के प्रसार से रोकता है। - इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय:
इसने सोशल मीडिया मध्यवर्तियों को डीपफेक पर कार्रवाई करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। डीपफेक तकनीक का उपयोग करके बनाए गए नकली वीडियो और ऑडियो को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है।
वैश्विक स्तर पर:
- यूनेस्को:
यूनेस्को ने मीडिया और सूचना साक्षरता करिकुलम तैयार किया है। इसका उद्देश्य है कि लोग मीडिया और सूचना का सही तरीके से उपयोग करना सीखें और गलत सूचना से बचें। - यूरोपीय आयोग:
इसने दुष्प्रचार पर आचार संहिता (2022) जारी किया है। इसका उद्देश्य है कि यूरोपीय संघ में दुष्प्रचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं और लोगों को सही जानकारी मिले।
निष्कर्ष:
गलत सूचना का प्रसार एक गंभीर समस्या है और इससे निपटने के लिए मीडिया साक्षरता का महत्व अत्यधिक है। मीडिया साक्षरता से हम न केवल गलत सूचना की पहचान कर सकते हैं, बल्कि इसके प्रभावों को कम करने में भी सक्षम हो सकते हैं। इस दिशा में उठाए गए कदम और पहलें सही दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास हैं। हमें मिलकर इस समस्या का सामना करना होगा और एक सशक्त और सूचित समाज का निर्माण करना होगा।
FAQs:
गलत सूचना क्या है?
गलत सूचना (Misinformation) झूठी या भ्रामक जानकारी है जिसे अनजाने में साझा किया जाता है। इसका उद्देश्य किसी को गुमराह करना नहीं होता, लेकिन इसका प्रभाव नुकसानदायक हो सकता है।
दुष्प्रचार और गलत सूचना में क्या अंतर है?
दुष्प्रचार (Disinformation) जानबूझकर फैलाई गई झूठी जानकारी है जिसका उद्देश्य लोगों को गुमराह करना या भ्रमित करना होता है। वहीं, गलत सूचना अनजाने में फैलाई जाती है और इसका उद्देश्य हानिकारक नहीं होता।
मीडिया साक्षरता क्या है?
मीडिया साक्षरता एक कौशल है जो लोगों को मीडिया के विभिन्न प्रकारों को समझने, मूल्यांकन करने, और विश्लेषण करने में मदद करता है। यह कौशल लोगों को सच और झूठ के बीच अंतर करने में सक्षम बनाता है।
मीडिया साक्षरता क्यों जरूरी है?
मीडिया साक्षरता जरूरी है क्योंकि यह लोगों को गलत सूचना और दुष्प्रचार से बचने में मदद करती है। इससे लोग सूचना की सटीकता को पहचान सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं।
गलत सूचना का प्रसार कैसे रोका जा सकता है?
गलत सूचना का प्रसार रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. सूचना की सटीकता की जाँच करें।
2. विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें।
3. सोशल मीडिया पर मिली जानकारी को बिना पुष्टि के साझा न करें।
4. मीडिया साक्षरता को बढ़ावा दें।
गलत सूचना का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
गलत सूचना का समाज पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, जैसे कि:
1. सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता
2. स्वास्थ्य संकट
3. आर्थिक नुकसान
4. लोगों के बीच गलतफहमियाँ और भय
क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स गलत सूचना के खिलाफ कदम उठा रहे हैं?
हाँ, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स गलत सूचना के खिलाफ कदम उठा रहे हैं, जैसे कि:
1. फर्जी खबरों की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिए अल्गोरिदम का उपयोग करना
2. उपयोगकर्ताओं को झूठी जानकारी की रिपोर्ट करने का विकल्प देना
3. सत्यापित और विश्वसनीय स्रोतों को प्रमोट करना