World Bank Report on Village Government in India: ‘Two Hundred and Fifty Thousand Democracies; भारत की ग्रामीण सरकार पर विश्व बैंक का कार्य-पत्र: ‘टू हंड्रेड एंड फिफ्टी थाउज़न्ड डेमोक्रेसीज़:

विश्व बैंक समूह ने नीतिगत अनुसंधान पर एक महत्वपूर्ण कार्य-पत्र जारी किया है, जिसका शीर्षक है ‘टू हंड्रेड एंड फिफ्टी थाउज़न्ड डेमोक्रेसीज़: ए रिव्यू ऑफ विलेज गवर्नमेंट इन इंडिया’। इस कार्य-पत्र में भारत की लोकतांत्रिक यात्रा को दिशा देने में 73वें संविधान संशोधन की भूमिका का विश्लेषण किया गया है। यह दस्तावेज़ पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) की वर्तमान स्थिति, उनके सामने आने वाली चुनौतियों और सुधार के उपायों पर गहराई से प्रकाश डालता है।

73वें संविधान संशोधन का महत्व:

73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में पंचायती राज संस्थाओं की कुछ बुनियादी और आवश्यक विशेषताओं को सुनिश्चित किया था, ताकि उन्हें निश्चितता, निरंतरता और मजबूती प्रदान की जा सके। इस संशोधन ने स्थानीय शासन को मजबूती प्रदान की और ग्रामीण विकास के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया।

‘टू हंड्रेड एंड फिफ्टी थाउज़न्ड डेमोक्रेसीज़’ कार्य-पत्र के मुख्य बिंदु:

धन की कमी

पंचायती राज संस्थाएं लगभग पूरी तरह से केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दिए गए अनुदान पर निर्भर हैं। यह वित्तीय निर्भरता उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने में बाधा डालती है। वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण, ग्राम पंचायतें अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाती हैं।

कर्मचारियों की कमी

पंचायती राज संस्थाओं में कर्मचारियों की भारी कमी है। उदाहरण के लिए, औसतन प्रति ग्राम-पंचायत 0.67 पंचायत सचिव हैं, जबकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह संख्या घटकर 0.33 रह गई है। इस कमी के कारण, पंचायतें अपने प्रशासनिक और विकासात्मक कार्यों को सही तरीके से नहीं कर पाती हैं।

पुनः केंद्रीकरण प्रक्रिया

प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) के आधार पर लाभार्थी चयन, लाभार्थियों की डिजिटल ट्रैकिंग आदि के कारण स्थानीय सरकारों की स्वायत्तता समाप्त हो रही है। इससे ग्राम पंचायतों की स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो रही है।

प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) के आधार पर लाभार्थी चयन और लाभार्थियों की डिजिटल ट्रैकिंग जैसी प्रक्रियाओं के कारण स्थानीय सरकारों की स्वायत्तता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। पहले, स्थानीय सरकारें अपने क्षेत्रों में लाभार्थियों का चयन खुद करती थीं, लेकिन अब यह काम केंद्रीकृत प्रणाली द्वारा किया जाता है। इससे उनकी निर्णय लेने की शक्ति में कमी आई है। इसके अलावा, MIS आधारित चयन प्रक्रियाओं में स्थानीय जरूरतों और परिस्थितियों को पूरी तरह से समझ पाना मुश्किल हो सकता है, जिससे योजनाओं का सही तरीके से अनुकूलन नहीं हो पाता। स्थानीय सरकारें अब केंद्रीकृत डेटा सिस्टम्स पर अधिक निर्भर हो गई हैं, जिससे उनकी स्वतंत्रता और स्वायत्तता कम हो गई है। पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद, इससे स्थानीय सरकारों का लचीलापन और स्वतंत्रता सीमित हो गई है।

आरक्षण के प्रभाव

महिलाओं और जातियों के लिए आरक्षण ने चुनावों में उम्मीदवार खड़े करने वाले परिवारों की प्रोफाइल बदल दी है। इससे राजनीति में सामाजिक न्याय की दिशा में सुधार हुआ है और अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ है।

कार्य-पत्र में की गई मुख्य सिफारिशें

स्थानीय कर के स्रोत को बढ़ाना

संपत्ति का बेहतर रिकॉर्ड तैयार करना चाहिए तथा पंचायतों को कर लगाने की अधिक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। इससे पंचायतों को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी और वे अधिक स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकेंगी।

ग्राम सभाओं को मजबूत करना

ग्राम सभा की बैठकों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही, ग्राम सभा को गांव की योजनाएं बनाने और सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए लाभार्थियों के चयन जैसे महत्वपूर्ण कार्य सौंपकर उनकी शक्तियों का विस्तार करना चाहिए। इससे स्थानीय स्तर पर अधिक भागीदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

स्वयं सहायता समूह (SHG)-पंचायत लिंकेज

दोनों के बीच अधिक संतुलन और समन्वय बनाने से पंचायतों के कामकाज में भी सुधार होगा। साथ ही, पंचायत व SHGs के निर्णय महिलाओं की जरूरतों के प्रति अधिक संतुलित होंगे। इससे ग्रामीण विकास में समग्र सुधार होगा।

73वें संविधान संशोधन के बारे में:

73वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान में भाग IX जोड़ा गया है, जिसमें 243 से 243(O) तक अनुच्छेद शामिल हैं। इस संशोधन ने स्थानीय शासन को सशक्त बनाने और ग्रामीण विकास को गति देने का काम किया है।

मुख्य विशेषताएं

  • ग्राम सभा: यह एक स्थायी इकाई है जिसमें एक गांव की मतदाता सूची में पंजीकृत सभी व्यक्ति शामिल होते हैं।
  • पंचायती राज संस्थाओं के 3 स्तर: ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर। हालांकी, 20 लाख से कम आबादी वाले राज्यों में मध्यवर्ती स्तर नहीं हो सकता है।
  • आरक्षण: पंचायत के हर स्तर पर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए उनकी आबादी के अनुपात में सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसमें महिलाओं के लिए 1/3 सीटों के आरक्षण का भी प्रावधान किया गया है।

निष्कर्ष:

विश्व बैंक समूह द्वारा जारी यह कार्य-पत्र पंचायती राज संस्थाओं की वर्तमान स्थिति और उनमें सुधार के आवश्यक कदमों को स्पष्ट करता है। 73वें संविधान संशोधन ने भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसने ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने का कार्य किया है। इस कार्य-पत्र की सिफारिशें पंचायती राज संस्थाओं को और मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती हैं, जिससे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और अधिक मजबूत हो सकेगी।

FAQs:

पंचायती राज संस्थाओं के कितने स्तर होते हैं?

पंचायती राज संस्थाओं के तीन स्तर होते हैं: ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर। हालांकी, 20 लाख से कम आबादी वाले राज्यों में मध्यवर्ती स्तर नहीं हो सकता है।

73वें संविधान संशोधन का महत्व क्या है?

73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में पंचायती राज संस्थाओं की कुछ बुनियादी और आवश्यक विशेषताओं को सुनिश्चित किया था, ताकि उन्हें निश्चितता, निरंतरता और मजबूती प्रदान की जा सके। इस संशोधन ने स्थानीय शासन को मजबूती प्रदान की और ग्रामीण विकास के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया।

आरक्षण का पंचायती राज संस्थाओं पर क्या प्रभाव पड़ा है?

महिलाओं और जातियों के लिए आरक्षण ने चुनावों में उम्मीदवार खड़े करने वाले परिवारों की प्रोफाइल बदल दी है, जिससे राजनीति में सामाजिक न्याय की दिशा में सुधार हुआ है।

पंचायती राज संस्थाओं में कर्मचारियों की कमी से क्या समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं?

कर्मचारियों की कमी के कारण पंचायतें अपने प्रशासनिक और विकासात्मक कार्यों को सही तरीके से नहीं कर पा रही हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में प्रति ग्राम-पंचायत केवल 0.33 पंचायत सचिव हैं।

पुनः केंद्रीकरण प्रक्रिया का पंचायती राज संस्थाओं पर क्या प्रभाव हो रहा है?

प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) के आधार पर लाभार्थी चयन और लाभार्थियों की डिजिटल ट्रैकिंग जैसी प्रक्रियाओं के कारण स्थानीय सरकारों की स्वायत्तता समाप्त हो रही है।

प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) क्या है?

प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) एक तकनीकी उपकरण है जो डेटा संग्रह, प्रसंस्करण, भंडारण और सूचना की रिपोर्टिंग के लिए उपयोग किया जाता है। यह प्रणाली प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुगम बनाने, डेटा की सटीकता सुनिश्चित करने और निर्णय लेने में सहायता करने के लिए बनाई गई है।

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