वर्ल्ड हाइड्रोजन समिट 2024 का आयोजन नीदरलैंड के रॉटरडैम में हुआ। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और उसके उपयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करना था। नीदरलैंड सरकार की साझेदारी में सस्टेनेबल एनर्जी काउंसिल द्वारा इस समिट का आयोजन किया गया था। इस समिट में भारत के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक इंडियन पवेलियन स्थापित किया था, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करना था।
ग्रीन हाइड्रोजन (GH2) के बारे में:
ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है जो नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग कर जल से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग करके उत्पादित किया जाता है। इसे सौर या पवन ऊर्जा की मदद से जल के फोटो-कैटालिसिस और इलेक्ट्रो-कैटलिसिस द्वारा उत्पादित किया जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान देता है।
ग्रीन हाइड्रोजन के प्रमुख उपयोग:
- ईंधन के रूप में:
ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग आंतरिक दहन इंजन (Internal combustion engines) वाले वाहनों में ईंधन के रूप में होता है। यह पारंपरिक ईंधनों के मुकाबले अधिक स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल होता है। - कम उत्सर्जन:
अन्य जीवाश्म ईंधन की तुलना में हाइड्रोजन और प्राकृतिक गैस के मिश्रण वाले ईंधन से कम उत्सर्जन होता है। यह वायु गुणवत्ता में सुधार करने और प्रदूषण को कम करने में मदद करता है। - फ्यूल सेल:
ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग वाहनों को चलाने के लिए H2 फ्यूल सेल में किया जाता है। फ्यूल सेल तकनीक वाहनों को लंबी दूरी तक चलाने के लिए सक्षम बनाती है और उत्सर्जन मुक्त परिवहन को बढ़ावा देती है।
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम:
- राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM), 2023:
इसके तहत वर्ष 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। यह मिशन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने और भारत को एक प्रमुख हाइड्रोजन उत्पादक देश बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। - SIGHT प्रोग्राम:
इस प्रोग्राम के जरिए इलेक्ट्रोलाइजर के निर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। यह कार्यक्रम ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत को कम करने और इसे आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाने में मदद करता है। - NGHM पोर्टल:
यह पोर्टल NGHM से संबंधित जानकारी के लिए वन-स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करता है। इस पोर््टल के माध्यम से उपयोगकर्ता ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित सभी जानकारी और अपडेट प्राप्त कर सकते हैं। - हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य भारत में ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम और उससे जुड़े नवाचार को बढ़ावा देना है। यह क्लस्टर ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करता है और उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
हाइड्रोजन के बारे में:
- प्राकृतिक गुण:
हाइड्रोजन एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, ज्वलनशील गैस है। यह ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में विद्यमान तत्व है और पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला तीसरा सबसे प्रचुर तत्व भी है। - रासायनिक गुण:
यह क्षार धातुओं और हैलोजन के गुणधर्म को दर्शाता है, जिससे यह विभिन्न रासायनिक प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत को H2 आधारित ईंधन की आवश्यकता:
- जीवाश्म ईंधन का विकल्प:
हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में काम कर सकता है और भारत की राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। इससे भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम कर सकता है। - उत्सर्जन में कमी:
हाइड्रोजन का उपयोग 2030 तक भारत की एमिशन इंटेन्सिटी को 45% तक कम कर सकता है। यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। - आयात पर निर्भरता कम करना:
हाइड्रोजन का उपयोग जीवाश्म ईंधन के आयात पर होने वाले खर्च को कम कर सकता है। भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक (80%) है और अपनी प्राकृतिक गैस संबंधी आवश्यकता का लगभग 54% आयात करता है। हाइड्रोजन का उपयोग इन आयातों पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
H2 आधारित ईंधन को लेकर चिंताएं:
- ज्वलनशीलता:
हाइड्रोजन बहुत अधिक ज्वलनशील प्रकृति की गैस है। इसका सुरक्षित उत्पादन, परिवहन और भंडारण सुनिश्चित करना आवश्यक है। - उत्पादन, परिवहन और भंडारण की लागत:
हाइड्रोजन के उत्पादन, परिवहन एवं भंडारण में अधिक लागत आती है और इसके लिए आवश्यक अवसंरचना की भी कमी है। इन चुनौतियों का समाधान करना महत्वपूर्ण है ताकि हाइड्रोजन का व्यापक उपयोग संभव हो सके।
निष्कर्ष:
वर्ल्ड हाइड्रोजन समिट 2024 ने ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और उसके उपयोग के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण चर्चा की। भारत ने इस समिट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में अपनी प्रगति को प्रदर्शित किया। ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग से न केवल पर्यावरणीय लाभ होते हैं, बल्कि यह ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि, इसके सफल कार्यान्वयन के लिए आवश्यक अवसंरचना और सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
FAQs:
वर्ल्ड हाइड्रोजन समिट 2024 क्या है?
वर्ल्ड हाइड्रोजन समिट 2024 एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन है जो नीदरलैंड के रॉटरडैम में आयोजित हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और उसके उपयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करना था।
ग्रीन हाइड्रोजन (GH2) क्या है?
ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है जो नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग कर जल से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग करके उत्पादित किया जाता है। इसे सौर या पवन ऊर्जा की मदद से जल के फोटो-कैटालिसिस और इलेक्ट्रो-कैटलिसिस द्वारा उत्पादित किया जाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन के प्रमुख उपयोग क्या हैं?
ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों में ईंधन के रूप में होता है, अन्य जीवाश्म ईंधनों की तुलना में कम उत्सर्जन करता है, और H2 फ्यूल सेल के रूप में वाहनों को चलाने में उपयोग किया जाता है।
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं?
भारत ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM), SIGHT प्रोग्राम, NGHM पोर्टल, और हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर की शुरुआत की है।
ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, परिवहन और भंडारण में कौन सी चुनौतियाँ हैं?
ग्रीन हाइड्रोजन बहुत अधिक ज्वलनशील प्रकृति की गैस है और इसके उत्पादन, परिवहन एवं भंडारण में अधिक लागत आती है और इसके लिए आवश्यक अवसंरचना की भी कमी है।
वर्ल्ड हाइड्रोजन समिट में भारत की भूमिका क्या थी?
वर्ल्ड हाइड्रोजन समिट 2024 में भारत के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक इंडियन पवेलियन स्थापित किया था, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करना था।